सांभर की लवणीय झील में विचरण करते पक्षियों की तस्वीरें बनायी



शैलेश माथुृर की रिपोर्ट

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सांभरझील (जयपुर)। सांभर की लवणीय झील में केन्द्रीय विद्यालय भीलवाड़ा की ओर से एक दिवसीय पक्षी दर्शन कैम्प का आयोजन किया गया जहां विद्यार्थियों को झील में विचरण करते अनेक प्रजातियाें के पक्षियों को निहारने एवं उनकी जल क्रीड़ा करते देखने का आनन्द  मिला। चित्रकार लक्ष्यपाल सिंह राठौड़ के निर्देशन में छात्रा खुशी जैन, तनिष्क बिस्वास, दिया जांगिड़, आस्था गोयल, भव्य संचेती, वंदना जैन, नीलोफर ने पक्षियों की गतिविधियों को सुन्दर तरीके से चित्रों के माध्यम से उकेर कर बेहतर चित्रकारी का नमूना पेश किया। 

प्रधानाचार्या आशा गोयल ने कहा कि देशभर के सभी सीबीएसई स्कूलों में कला व विज्ञान के माध्यम से आर्ट इण्टिग्रेटेट प्रोजेक्ट वर्क शुरू किया गया है, जिसका उद्देश्य हमारी संस्कृति को जानना व इस पर स्टेडी कराने का प्रयास है।  इसका मुख्य उद्देश्य यह भी है कि प्रकृति और पक्षियों को उनके प्राकृतिक अवस्था में निहार सके व पक्षियों के कलात्मकता का चित्रण कर सके। सभी पक्षियों को देखकर सकारात्मक ऊर्जा से भर जाते हैं। सभी के घर आंगन में पक्षियों की चहलकदमी देखी जा सकती है, इनसे  नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं करती हैं।  कुछ वर्षों से प्रवासी पक्षियों की तादाद लगातार घटती जा रही है। वर्तमान में बदलते परिवेश में हमें इनकी सुरक्षा करना है। कई पक्षियों की प्रजातियां लुप्त होने की कगार पर है। 

भारत में प्राचीन समय से ही इन्हें संरक्षण और सुरक्षा करते आ रहे है।  पक्षियों को स्वच्छ जल और शांत वातावरण देना मनुष्य का कर्तव्य है। पक्षियों के प्रति दया भाव और उदारता की भावना के साथ, इनका संरक्षण प्रकृति पक्षी और स्वयं का संरक्षण है।  प्रकृति के संतुलन के लिए सृष्टि में सभी जीव- प्राणियों का एक अहम स्थान है। इनमें पक्षियों की विशेष भूमिका है। घरों के आसपास, खेत- खलिहानों, वनों, पर्वतों, झीलों, नदियों और सागर किनारे सभी स्थलों में पक्षियों का कलरव मनमोह लेता है। 

यह आकाश में उड़ते, धरती में विचरण करते और जल में क्रीडा करते हैं। पक्षियों के बिना प्रकृति के सौंदर्य की कल्पना करना ही असंभव है। सांभर की लेक एवं विभिन्न झीलों, नदियों और जलाशयों के किनारे इनका बसेरा होता है। ये मेहमान परिंदे झीलों की लहरों में गोते लगाते हैं। जल क्रीड़ा करते हैं। धरती और जल से ये आकाश में उड़ते, वापस आते और वृक्षों पर विश्राम करते हैं। तब लगता है मानो प्रकृति ने अपना इंद्रधनुषी आंचल इनके लिए फैला दिया हो और वह अपनी ममता और वात्सल्य इन पक्षी बच्चों पर लुटा रही हो। पर्यटक और प्रकृति प्रेमियों के लिए पक्षियों का चहचहाना एक मनोरम दृश्य उपस्थित कर उन्हें आनंदित करता है।