खुद का नेतृत्व खुद करें
लेखिका : रश्मि अग्रवाल

नजीबाबाद, 9837028700 

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कभी लोग छूट जाते, तो कभी वस्तुएँ। स्वयं को संभाले रखना सरल नहीं हो पाता। समझ नहीं आता, करें तो क्या? अगर हम उदास, कमजोर, निराश, संदेह या संकोच से घिरा महसूस कर रहे, तो स्वयं के पास लौटें, देखें कि वर्तमान में हम कहाँ हैं? क्या हैं?? और क्यों है??? तब हम स्वयं को पा जायेंगे, जैसा स्वयं के लिए इच्छा रखते हैं। हमारी समझ में दुनिया पूरी तरह कभी नहीं आती। 

कई बार लगता है कि मानो किसी जादूगर के इशारों पर ही चल रही है क्योंकि हम सभी के दिन-रात सपनों की तरह चलते हैं। ये सपने भी तीन प्रकार के होते हैं- ऐसे सपने, जिन्हें हम पूरा करना चाहते हैं और उनके दायरे से बाहर नहीं निकल पाते हैं। ये सपने हैं- सुरक्षा का सपना, स्थायित्व का सपना और बिना किसी शर्त वाले प्रेम का सपना। जो इस दुनिया को चलाता है, उस जादूगर ने कुछ जादुई शक्तियाँ हमें भी सौंपी हैं, जिनके प्रयोग से हम अपने लिए एक पवित्र सपना रच सकते हैं, अपने लिए एक ऐसा भाग्य रच सकते हैं, जिसमें धैर्य होगा और खुशहाली का समावेश होगा। इसलिए हमें अपनी इस खूबसूरत जिंदगी के पहलुओं का सोच-समझ प्रयोग करें और स्वयं को नेतृत्व स्वयं ही करें।