लेखक : डा.सत्यनारायण सिंह
(रिटायर्ड आई.ए.एस. अधिकारी हैं)
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राजस्थान में तीसरी बार सरकार का नेतृत्व करते हुए अशोक गहलोत प्रदेश का एक विश्वसनीय और जनप्रिय चेहरा बन गये है। सम्पूर्ण प्रदेश की जनता के बीच उनकी एक सहज मिलनसार और कुशल राजनेता के रूप में पहचान है। प्रदेश में प्रत्येक जिले की प्रत्येक पंचायत स्तर तक की समस्याओं और परिस्थितियों को गहलोत पहचानते है। मुख्यमंत्री के रूप में अपने पिछले दो कार्यकाल का व्यापक स्तर पर अनुभव उनके पास है और पूरी क्षमता से कार्य करते हुए अपने वर्तमान कार्यकाल के तीन वर्ष पूरे कर चुके है। इस बार गहलोत की दृष्टि में स्वाभाविक रूप से अधिक व्यापकता है। उनकी नई नीतियां अधिक ठोस व व्यवहारिक है और प्रशासनिक दृष्टि से उनमें अधिक कसावट देखी जा सकती है।
प्रदेश के आम आदमी को गहलोत में एक ऐसा राजनेता दिखाई देता है जो राजस्थान को उसके प्रत्येक कोण के साथ समझता है, राज्य के हर जिले के विकास की बुनियादी जरूरतों से परिचित है। इस बार के सत्ताकाल में गहलोत की राजनीतिक क्षमता और उसके सुशासन देने की घोषणा का वास्तविक रूप सामने आया है।
सरकार ने प्रदेश में लोक कल्याण और जन सेवा की भावना से उत्तरदायी, पारदर्शी और संवेदनशील कार्यप्रणाली विकसित करने की दिशा में नये आयाम स्थापित किये हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन मूल्यों एवं नैतिक आदर्शो यथा सत्य, अहिंसा, स्वदेशी, ग्राम स्वराज, सत्याग्रह के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए सरकार उन्हीं मूल्यों का अनुसरण कर रही है एवं उनके मूल्यों को आत्मसात करने के लिए सतत प्रयास जारी है। गहलोत सरकार द्वारा नवीन समृद्ध राजस्थान के निर्माण की दिशा में दृढ़ संकल्प के साथ कार्य किये जा रहे है।
राज्य सरकार प्रदेश के आमजन एवं गरीब को समय पर निःशुल्क और सुलभ चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए निरंतर प्रयासरत है। राज्य सरकार द्वारा आम आदमी को अनिवार्य रूप से चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए ‘‘राइट टू हैल्थ केयर‘‘ कानून लाने की कार्यवाही की जा रही है। “निरोगी राजस्थान“ महत्वपूर्ण योजना के अन्तर्गत हजारों गांवों में स्वास्थ्य मित्र बनाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना के अंतर्गत उपलब्ध करवायी जा रही 607 दवाईयों में कैंसर, हृदय, श्वास एवं गुर्दा रोग आदि के उपचार हेतु नयी दवाओं को शामिल करते हुये अब 709 दवाईयां उपलब्ध करवायी जा रही हैं। निःशुल्क जांच योजना के अन्तर्गत जांचों की संख्या 70 से बढ़ाकर 90 की गयी है। मुख्यमंत्री की मुफ्त दवाईयां उपलब्ध कराने की योजना को तो राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली है। स्वास्थ्य सेवाओं की दृष्टि ये इस योजना को विशेष उपहार माना जा रहा है।
बी.पी.एल. एवं वरिष्ठ नागरिकों को एम.आर.आई. एवं सीटी स्केन की सुविधायें एस.एम.एस. अस्पताल की तर्ज पर 6 अन्य मेडिकल कॉलेज अस्पताल एवं आर.यू.एच.एस. मेडिकल कालेज (जयपुरिया अस्पताल) में भी निःशुल्क उपलब्ध करवायी जा रही हैं। 12 जनता क्लिनिक खोले गए हैं। राज्य में प्रत्येक जिले में नये मेडिकल कॉलेज खोलने का कार्य चल रहा है। प्रत्येक परिवार के लिए चिरंजीवी बीमा योजना के अन्तर्गत 5 लाख तक की कैशलेस चिकित्सा सुविधा, राज्य कर्मचारियों के लिए सीजीएचएस की तर्ज में मेडीकल सेवाएं प्रारम्भ की जा चुकी है। 58 पंचायत मुख्यालयों पर आयुर्वेद चिकित्सालय- औषधालय खोले जा रहे है।
कोरोना के विरूद्ध लड़ाई में मुख्यमंत्री ने जिस त्वरित गति से अपने वैज्ञानिक व प्रशासनिक सोच के आधार पर अपनी प्रशासनिक योग्यता, संवेदनशीलता व राजनैतिक नेतृत्व का परिचय दिया है, उसकी सर्वत्र प्रशंसा हुई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गहलोत की मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हुए अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों को राजस्थान द्वारा अपनाई नीति व कार्य प्रणाली अपनाने की राय दी है।
किसानों के हितार्थ 1 हजार करोड़ रुपयेे के कृषक कल्याण कोष का गठन, राजस्थान कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति-2019 जारी की गयी है। फूड प्रोसेसिंग इकाइयाँ लगाने वाले किसानों को 10 हेक्टेयर तक जमीन का भू-उपयोग परिवर्तन कराने की आवश्यकता समाप्त कर दी गयी है। कृषि महाविद्यालय खोले गये हैं। किसान सेवा पोर्टल शुरू किया गया है। लघु एवं सीमान्त वृद्धजन सम्मान किसान पेंशन योजना को प्रदेशभर में लागू कर 75 वर्ष से कम आयु के किसानों को 750 रुपयेे प्रतिमाह तथा 75 वर्ष एवं अधिक आयु के किसानों को 1 हजार रुपयेे प्रतिमाह पेंशन से लाभान्वित किया जा रहा है। 20 लाख 26 हजार कृषकों को ऋण माफी प्रमाण पत्र जारी कर 7 हजार 689 करोड़ रुपयेे के ऋण माफ कर कृषकों को राहत दी गयी है। अब तक 30 हजार 37 किसानों के लिए कृषि आदान अनुदान भुगतान के लिए 47 करोड़ 80 लाख रुपयेे का बजट आवंटित किया जा चुका है।
1 लाख 27 हजार 910 कृषि कनेक्शन एवं 6 लाख घरेलू कनेक्शन जारी किये गये। किसानों के बिजली के बिलों में राज्य सरकार द्वारा अनुदान दिया गया है। किसानों पर आने वाले 300 करोड़ के भार को भी सरकार वहन करेगी। 4 वर्षों तक कृषि विद्युत कनेक्शन पर बिजली की दरें नहीं बढ़ाए जाने का निर्णय लिया गया है। बिजली की आसानी से उपलब्धता और पीने योग्य जल एवं सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति को भी अधिक सुगम बनाया गया है।
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को राज्य की राजकीय सेवाओं में 10 प्रतिषत आरक्षण का प्रावधान किया गया है। अति पिछड़े वर्गों के लिए 5 प्रतिशत एवं आर्थिक कमजोर वर्गों के विद्यार्थियों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान लागू किया गया है। पेंशन राशि 500 रुपयेे को बढ़ाकर 750 रुपयेे किये गये हैं। वृद्धावस्था पेंशनधारियों की पेंशन में 250 रुपयेे की वृद्धि की गयी है। प्रतिभावान दिव्यांग विद्यार्थियों को प्रोत्साहन देने के लिए ‘मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा छात्रवृत्ति योजना‘ प्रारम्भ की गयी है। उन्हें पंचायतों में राज्य सेवाओं में व प्रोमोशन में आरक्षण दिया जा रहा है।
राज्य में शिक्षा क्षेत्र में आधारभूत ढांचे को सुदृृढ़ करने के लिये 14 हजार 51 नवीन कक्षों, 23 नवीन भवनों के निर्माण तथा 83 भवनों की वृहद् मरम्मत कार्यों हेतु लगभग 1 हजार 582 करोड़ रुपयेे स्वीकृत किये गए हैं। 60 प्राथमिक विद्यालयों को उच्च प्राथमिक विद्यालय में क्रमोन्नत किया जा रहा है। दूध का उचित मूल्य प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक सम्बल योजना में 1 फरवरी, 2019 से पशुपालकों को 2 रुपयेे प्रति लीटर का अनुदान दिया जा रहा है। महात्मा गांधी अंग्रेजी पाठशालायें खोली जा रही है जिससे गांवों में उच्चस्तरीय शिक्षा प्राप्त हो और विद्यार्थियों को निजी स्कूलों में प्रवेश लेने को बाध्य नहीं होना पड़े।
राजस्थान सिलिकोसिस नीति-2019 लागू कर दी गयी है। आदिवासी क्षेत्र में शिक्षा को बढ़ावा देने की मंशा के साथ 4 नवीन एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय प्रारम्भ किये गये हैं। अल्पसंख्यक वर्ग के कल्याण हेतु पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना राशि का भुगतान सीधे ही विद्यार्थियों के खातों में हस्तांतरित किया जा रहा है। 1 हजार करोड़ रुपयेे की इंदिरा महिला शक्ति निधि का गठन किया गया है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का मानदेय 6 हजार रुपयेे से बढ़ाकर 7 हजार 500 रुपये किया गया है। 746 करोड़ रुपयेे व्यय कर ग्रामीण आधारभूत संरचना के 14 हजार कार्य पूर्ण कराये गये हैं। महात्मा गांधी नरेगा योजना में 5 हजार 810 करोड़ रुपयेे व्यय कर 51 लाख 89 हजार परिवारों के 73 लाख 51 हजार व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध करवाया गया। प्रधानमंत्री आवास योजना के अन्तर्गत प्रति आवास पर 1 लाख 49 हजार 280 रुपयेे व्यय करते हुए 3 लाख 64 हजार परिवारों को लाभान्वित किया जा रहा है। ’’महात्मा गांधी ग्रामोत्थान शिविर’’ आयोजित किये जाकर 1 लाख 37 हजार 751 पट्टे जारी कर पात्र व्यक्तियों को लाभान्वित किया गया है। 3 नये नगर निगम गठित किये गये हैं। हेरिटेज प्लान, चारदीवारी संरक्षण एवं ट्रेफिक प्लान बनाया जा रहा है। राज्य में कोई व्यक्ति भूखा नहीं रहे इसके लिए इन्द्रा रसोई योजना प्रारम्भ की गई है जिससे लाखों लोग लाभांवित हो रहे है।
राज्य में कोई भी व्यक्ति निसंकोच पुलिस थाने में अथवा पुलिस अधीक्षक कार्यालय में एफआईआर दर्ज करवा सकता है। ऐसी व्यवस्था करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य है। राजस्थान देश का दूसरा ऐसा राज्य है, जिसने मॉब लिंचिंग कानून बनाया है। राज्य में विशेष जघन्य दर्ज अपराधों (हीनियस क्राईम) पर निगरानी रखने हेतु एक सी.आई.डी. (सी.बी.) शाखा में मॉनिटरिंग इकाई स्थापित की गयी है।
1 लाख से अधिक युवाओं को रोजगार प्रदान करने की दिषा में सरकारी क्षेत्र में 75 हजार से अधिक पदों पर युवाओं को नियुक्ति प्रदान की गयी है तथा 30 हजार से अधिक पदों के परिणाम जारी हो चुके हैं जिनकी नियुक्ति शीघ्र की जा रही है। इसके अलावा 10 हजार से अधिक पदों हेतु परीक्षा आयोजित हो चुकी है जिनका परिणाम आना शेष है। साथ ही 37 हजार से अधिक नये पदों हेतु विज्ञप्ति जारी कर दी गयी है। रोजगार सहायता शिविरों का आयोजन कर 40 हजार से अधिक लोगों को सार्वजनिक व निजी क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध कराया जा चुका है। बेरोजगारी भत्ते में बढ़ोतरी की जा चुकी है। पिछले वर्षो में हजारों युवकों व युवतियों को क्रमशः 3000 व 3500 रूपया प्रतिमाह दिया जा रहा है। 5 हजार नये डेयरी बूथों से भी स्वरोजगार को बढ़ावा मिला है।
लोक कल्याणकारी योजनाओं के लाभ आमजन को सरलता, सुगमता एवं पारदर्षी रूप से पहुँचाने हेतु ‘‘राजस्थान जन-आधार योजना, 2019’’ का शुभारम्भ 18 दिसम्बर, 2019 को किया गया है। महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती पर राज्य सरकार द्वारा खादी क्षेत्र में कतिन एवं बुनकरों को प्रोत्साहित करने के लिये खादी वस्त्रों की फुटकर बिक्री पर 50 प्रतिषत की विशेष छूट दी जा रही है।
11 नये औद्योगिक क्षेत्र विकसित किये जा रहे हैं। प्रदेश में औद्योगिक विकास को नया रूप दिया जा रहा है। नये उद्योगों की स्थापना के लिए उद्योगपतियों को राज्य में आमंत्रित कर राजय को नये आर्थिक अवसर प्रदान किये जा रहे है। उद्योगों की स्थापना और निवेश बढ़ाने हेतु जरूरी कदम उठाये जा रहे है। राज्य सरकार की नई औद्योगिक नीति के प्रारूप में आधारभूत बातों को शामिल कर लिया गया है। प्रदेश में निवेश प्रोत्साहन योजना, मुख्यमंत्री लघु उद्योग प्रोत्साहन योजना, सौर ऊर्जा नीति 2019, पवन एवं हाईब्रिज ऊर्जा नीति का भी प्रारम्भ किया जा चुका है। राजस्थान निर्यात पुरस्कार और राजस्थान उद्योग रत्न पुरस्कार भी दिये जा रहे है। इससे राज्य के आर्थिक चक्र के तेज गति के साथ घूमते रहने की स्थिति बनी है। स्वतन्त्रता सेनानियों की चिकित्सा सहायता 4 हजार से बढ़ाकर 5 हजार रुपयेे प्रतिमाह की गयी। जयपुर में राज्य खेल का आयोजन किया गया, जिसमें 18 खेलों में 8 हजार खिलाड़ियों ने भाग लिया। विभिन्न सिचांई परियोजनाओं पर वित्तीय वर्ष 2019-20 में दिसम्बर, 2019 तक 2 हजार 44 करोड़ 98 लाख रुपयेे का व्यय किया गया है। चम्बल नहर प्रणाली के सुदृृढ़ीकरण के तहत वित्तीय वर्ष 2019-20 के अन्तर्गत माह दिसम्बर 2019 तक 39 करोड़ 17 लाख व्यय किये जाकर 53 किलोमीटर पाइप लाईनिंग का कार्य पूरा किया गया है।
जन समस्याओं के निराकरण हेतु स्वयं मुख्यमंत्रीजी के नेतृत्व में प्रशासन शहरों की ओर व प्रशासन गांवों की ओर सफल अभियान चल रहा है जिसमें लाखों पट्टे वितरित किये जा रहे है व जन समस्याओं का मौके पर सरकारी विभागों द्वारा एक साथ निस्तारण किया जा रहा है। मुख्यमंत्री गहलोत की सरकार के कार्यकाल का एक वर्ष तो राजनीतिक समस्याओं को हल करने में बीता। वह वर्ष राजनीतिक कुशलता व नई योजनाओं के प्रारूप का ही वर्ष रहा। द्वितीय वर्ष व तृतीय वर्ष कोरोना से सफल संघर्ष में गुजरा। मुख्यमंत्री अपने स्वास्थ्य की परवाह न करते हुए चोबिसों घंटे सरकार को नेतृत्व प्रदान करते रहे। राज्य के सर्वांगीण विकास में पूर्ण क्षमता से वित्तीय अभावों के बावजूद प्रदेश को आगे बढ़ाने हेतु प्रयत्नशील है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)