स्वामी विवेकानन्द की सामाजिक शिक्षा

12 जनवरी जन्म दिवस पर विशेष

लेखक : डा. सत्यनारायण सिंह

(लेखक रिटायर्ड आई.ए.एस. अधिकारी हैं)

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हमारे अनेक सांसद, साधु संत एवं तथाकथित सामाजिक सुधारक अन्य धर्मावलंबियों को ’घर वापसी’ के नारे के साथ वापस हिन्दू धर्म में लाना चाहते है। एक राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक के अनुसार बाल्मिक वर्ग के एक समुदाय ने मांग की है कि उन्हें महात्मा बाल्मिकी, जिन्होनें रामायण की रचना की है, के मन्दिर में  पूजा अर्चना के लिए प्रवेश दिया जाए, अन्यथा वे हिन्दू धर्म छोड कर अन्य धर्म अपना लेगें। स्पष्ट है हिन्दू धर्म के इन तथाकथित संरक्षकों में अभी सामाजिक चेतना जागृत नहीं हुई है, मात्र राजनेैतिक दृष्टिकोण से समाज में विष-वमन करते रहते है।

यह लोग युवको को स्वामी विवेकानन्द के पद चिन्हों पर चलने की षिक्षा देते है परन्तु संभवतया उन्होंने स्वामी विवेकानन्द द्वारा लिखित ’कास्ट कलचर एण्ड सोसलिज्म’ को नहीं पढ़ा। स्वामी विवेकानन्द ने ’कास्ट कलचर एवं सोसलिज्म’ मे धार्मिक कट्टरता को तोड़ने के लिए ऐसे कर्मकाण्डियो एवं धर्म प्रचारको को खुली चेतावनी दी है।

स्वामी विवेकानन्द ने कहा था मानव समाज पर बारी बारी से चार जातियों का राज्य होता है। पुरोहितों, सैनिकों, व्यापारियों और मजदूरों का सबसे आखिर मे षूद्रों (मजदूरों) का राज्य पहली तीन जातियों के शासन के दिन अब लद चुके है। अब आखिरी वर्ग का समय आ गया है। उसे षासन मिलना ही चाहिए। कोई इस बात को रोक नही सकता। बौद्ध धर्म के भारत में समाप्त होते ही ब्राह्मण का बोलबाला हो गया था। मौर्य राज्य के अंतिम वारिस राजा बृहद्रथ  को जब उसके ब्राह्मण सेनापति पुष्यमित्र ने धोखे से मारकर राज्य पर कब्जा किया, तब फिर से ब्राह्मणवाद की नींव रखी गई। मौर्यकाल में जब मानव को बराबरी का सिद्धांत प्रतिष्ठित हुआ, तब विदेषी हमलावरों ने भारत की ओर आंखे उठाकर देखना बंद कर दिया था। जैसे ही ब्राह्मणवाद की नीव पुष्पमित्र ने रखी, वैसे ही बौद्ध धर्म का हृास और ब्राहमणवाद का विकास प्रारंभ हुआ और उसी समय से भारत बाहरी हमलावरों का जोरदार शिकार हुआ। जैसे जैसे ब्राह्मणवाद के प्रभाव से बहुजन समुदाय को विद्या, बुद्धि तथा षस्त्र धारण करने से वंचित किया गया, वैसे वैसे देश कमजोर हुआ और किसी भी बाहरी हमले का असरकारक ढंग से प्रतिकार नही कर सका और हम लज्जाहीन कर्मो में लीन रहे। जब तक उनकी इस दुःशक्ति को कम नहीं किया जाता तब तक राष्ट्र के पुनरुत्थान का कार्य भी पूरा नहीं हो सकता।

कोई नहीं जानता कि उनका राज्य आने पर परिवर्तन का क्या स्वरुप होगा। शांति या क्रांति से, फिर भी वह समय आयेगा जब शूद्र वर्ग का उत्थान होगा। अर्थात आज कल की भांति नही जबकि शूद्र लोग बनावटी तौर पर क्षत्रिय, वैष्य का नाम व गुण ग्रहण करके बडे बन रहे है। एक समय ऐसा आयेगा जब कि देष में हर शूद्र अपने जन्म, जाति स्वभाव व व्यवहार के साथ, क्षत्रिय, वैष्य का लबादा पहन कर नही बल्कि शूद्र रह कर ही पूर्ण रुप से हर मानव समाज में श्रेष्ठता प्राप्त करेगा।

किसान, चमार, मेहतर व अन्य भारतीय निम्न वर्ग के लोगों में काम करने तथा स्वावलम्बन की शक्ति आप (सवर्ण जातियों) के मुकाबिेले में बहुत अधिक है। वे युगों युगों से खामोशी के साथ काम करते चले आ रहे है और बिना एक शब्द शिकायत के रुप में कहे, देश की सारी संपत्ति का उत्पादन करते चले आ रहे है। अब बहुत जल्द उनकी स्थिति आपसे ऊपर हो जायेगी। अब वे अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये आपकी तरह दुखी नही होंगे। ’आप (सवर्ण जातियों) ने बहुत दिनों से इसे उपेक्षित व उत्पीडित जनता को दबाकर रखा है, अब उनको इससे मुक्ति पाने का समय आ गया है और आप देखेगें कि आपका सारा जीवन जीविका खोजते ही जायेगा और आपका सारा प्रयास निष्फल होगा।

यदि मजदूर लोग काम करना बंद कर दे, तो आपको खाना और कपडा मिलना भी बंद हो जायेगा और उनको, नीच वर्ग का समझते हो और अपनी संस्कृति पर गर्व करते हो। केवल जीवित रहने के लिए वे सदा संघर्षरत रहे जिसके कारण उन्हें अपनी बुद्धि का विकास करने का अवसर नही मिला। वे श्रमिक शूद्र बुद्धिजीवियों द्वारा मशीन की भांति निरन्तर काम में लगाये रखे गये और चतुर शिक्षित वर्ग बुद्धि चातुर्य द्वारा उनके परिश्रम के फल का अधिकांश भाग स्वयं अपने उपयोग में लेता रहा। अधिकांशतः निम्न वर्ग के लोगों में अब इस (षोषण जनित) तथ्य के प्रति जागरुकता आई है और अब से संगठित होकर अपने वैध वंचित अधिकारों को प्राप्त करने के लिए कमर कस कर खड़े हो गये है। उच्च वर्गीय लोग चाहे जितना ही प्रयास क्यों न कर ले अब इस निम्न वर्ग को और अधिक दिन तक दबाये नही रख सकते अतः उच्च वर्ग की बुद्धिमता इसी में है कि वे निम्न वर्ग के लोगों को वैध अधिकार प्राप्त करने में उनकी सहायता करें। वरना जब वे (शूद्र) जागेंगे और आपके (उच्च वर्ग) द्वारा अपने प्रति किये गये शोषण को समझेंगे तो अपनी एक फूंक से वे आप सबको पूरी तरह उडा देगें। यही (शूद्र) वह लोग है जिन्होंने आपको सभ्यता सिखाई और वही अब आपको नीचे भी गिरा सकते है। सोचें कि किस तरह शक्तिषाली रोमन सभ्यता गाल्स के हाथों से मिट्टी में मिला दी गई।

अतः मेरी (विवेकानन्द की) आप (उच्च वर्ग) को नेक सलाह है कि इन निम्न वर्गाे को अज्ञानता की नींद से जगाओ और अपना ज्ञान और संस्कृति उन्हें भी दो। जब वे जागरुक होंगे। एक दिन ये जागरुक अवश्य होंगे। वे आपके प्रति की गई सेवाओं को नही भूलेंगे और आपके आभारी होगें। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)