प्रीत के सात-साथ : ममता सिंह राठौर

लेखिका : ममता सिंह राठौर

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प्यार की गहराइयों को जब दिल से महसूस किया

तो आशिकी ने कहा लो जीने का जुनून दिया


मैंने भी हँसके उसके अन्दाज को कुबूल किया

यह आशिकी थी जिसने उड़ना  सिखा दिया


बेमतलब बेमौसम बातों नें ऐसा सुरूर दिया

यह जिंदगी  तुम्हारी है हमने भी उससे कह दिया


फिर हम दोनों ने मिल कर इस प्यार को प्यारा सा नाम दिया

हर नजर से सम्मान का हकदार किया


इतने पर भी वो न रूका उसने इतना एतबार किया

हमारे हाथों में हाथ रख अगले जन्म का वादा मांग लिया