बिहार से होगा पर्यावरण सुधार अभियान का आगाज!

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सदियों से बिहार इस देश का नेतृत्व करता रहा है। वह चाहे स्वाधीनता आंदोलन का सवाल हो जिसकी शुरुआत चंपारण से हुई हो या फिर आपातकाल के विरोध में आंदोलन हो, बिहार ने दोनों बार ही देश को दिशा दिखाने का काम किया है। यदि प्राचीन इतिहास पर दृष्टपात करें तो पाते हैं कि मौर्य और गुप्त शासन में भी भारत के विशाल रुप की नींव बिहार से ही रखी गयी थी। बिहार की  इस विरासत को सदियों तक आगे और इस देश के प्रभाव को विश्व भर में पहुंचाने में विशेष भूमिका रही है। जब देश अंग्रेजों के आततायी शासन और बाद में आजाद भारत में आपातकाल से मुक्ति हेतु बिहार की धरती से ही क्रांति की भेरी बजी थी।

इसी प्रकार आज पूरा देश प्रदूषण के मायाजाल में फंस कर विनाश की ओर जा रहा है। हमें इससे मुक्ति पाना असम्भव न सही , किंतु कठिन अवश्य लग रहा है। इस प्रदूषण की चपेट में धरती, आकाश, जल और वायु सभी हैं। इस प्रदूषण से देश मुक्त होना चाहता है। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए हमें तुरंत प्रभावी कदम उठाने होंगे अन्यथा आगे आने वाले दशकों में प्राकृतिक संतुलन बिगड़ जायेगा, संसाधन खत्म हो जायेंगे और पर्यावरण भयावहता की सीमा पार कर जायेगा और चारों ओर त्राहि त्राहि मच जाएगी। 

ऐसा लगता है कि अब देश को बिहार ही प्रदूषण से मुक्त कराएगा। देश को एक और आंदोलन की आवश्यकता महसूस होने लगी है। यह समय की मांग है। भले ही इस आवाज को लोग दबी जुबान में उठायें,सच यह है कि इस देश को पर्यावरण सुरक्षा के दृष्टिकोण से आंदोलन की महतीआवश्यकता  है। गौरतलब है कि आन्दोलन की आवश्यकता तभी महसूस होती है जब व्यवस्था असामान्य हो। हालात सबूत हैं कि सरकारें पर्यावरण का समाधान  कर पाने में खुद को असमर्थ पा रही हैं। जनता पर्यावरण असंतुलन के विरोध में आंदोलन के लिए तैयार है। आंदोलन की शुरुआत बिहार की धरती से होगी।  यह आंदोलन सम्पूर्ण मानव जाति के साथ साथ जीव जंतुओं  और पशु पक्षियों के हित के लिए होगा।

इस दिशा में प्रशांत सिन्हा जो खुद एक पर्यावरणवादी हैं और बिहार की धरती से ही सम्बंध रखते हैं। उनका मानना है कि देश के पर्यावरणविद इस मुहिम का नेतृत्व करें और देश के दूसरे राज्यों के पर्यावरणविदों के साथ परस्पर सहयोग से पर्यावरण जागरूकता की इस क्रान्ति की शुरुआत करें।