मंहगाई आसमान पर-कमाई जमीन पर : डाॅ. सत्यनारायण सिंह

लेखक : डाॅ. सत्यनारायण सिंह

(लेखक रिटायर्ड आई.ए.एस. अधिकारी है)

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देश में बढती मंहगाई थम नहीं रही। मार्च में थोक मंहगाई दर 14.55 बढ़ी। यह चार माह में सर्वाधिक है। सरकारी आंकडों के अनुसार मार्च लगातार 12वां महिना रहा जब थोक मंहागाई 10 प्रतिशत से उपर रही है। इससे पहले नवम्बर 2021 में 14.87 प्रतिशत के उच्च्तम स्तर पर थी। फरवरी में 13.11 प्रतिशत बढ़ी थी। वाणिज्य उद्योग मंत्रालय के अनुसार थोक मंहगाई दर मुख्य रूप से कच्चे तेल, प्राकृतिक गैर, खनिज तेल व धातुओं के दाम बढने से बढी है। एक साल में ईंधन 50 प्रतिशत (पेट्रोल 55.44 प्रतिशत, डीजल 52.22 प्रतिशत), बिजली 21.78 प्रतिशत, सब्जी 19.88 प्रतिशत, सरसो तेल 24.16 प्रतिशत व सोया तेल 19.21 प्रतिशत मंहगा हुआ है।

एक साल से थोक मंहगाई दो अंकों में बनी हुई है। खाद्य पदार्थो की थोक मंहगाई फरवरी 2022 के 8.47 प्रतिशत से बढकर मार्च में 8.71 पंहुच गई। ईंधन व बिजली फरवरी के 31.50 प्रतिशत की तुलना में बढकर 34.5 प्रतिशत पंहुच गई। फरवरी में इनकी मंहगाई दर 55.17 प्रतिशत थी जो मार्च में बढकर 83.56 प्रतिशत हो गई।

दूसरी ओर एफएमसीजी कंपनियों ने दाम कम करने की बजाय कीमतों में वृद्धि नहीं दिखाने के लिए पैकेटो का बजन घटाकर अपनी जेब भर रही है और ग्राहकों को मूर्ख बना रही है। दाम नहीं, उत्पादों के पैकेट हल्के हो गये। बिस्किट, नमकीन, टूथपेस्ट जैसे उत्पादों की कीमत नहीं बडी परन्तु इन उत्पादों के वनज में कटौती की गई। ईंधन व बिजली की मंहगाई दर 34.52 पर पंहुच गई। अनाज 8.11 प्रतिशत, गेंहू 14.04 प्रतिशत, सब्जियां 19.88 प्रतिशत, आलू 24.93 प्रतिशत, फल 10.62 प्रतिशत, 2.9 प्रतिशत मंहगा हुए। मैन्यूफैक्चर्ड प्रोडक्ट की मंहगाई 10.71 प्रतिशत बढी। इसके चलते खुदरा मंहगाई भी 17 महिनो के उच्चतम स्तर पर पंहुच गई, मार्च में में 14.55 प्रतिशत बढी। कोयला मंहगा हो रहा है, आयात होगा, बिजली मंहगी होगी।

मंहगाई के रिकार्ड स्तर पर पंहुचने के कारण 8 कारोबारी दिनों में 7 दिन बाजार में गिरावट रही। आईटी दिग्गजो के शेयरों में रिकार्ड गिरावट रही। क्रूड आयल पुनः 113 डालर प्रति बैरल पंहुचा जो 100 डालर पर था, होम व आटो लोन की ब्याज दर बढ़ी है। सोने चांदी के बढते भाव से शादी विवाह का बजट भी बिगड गया है। तत्काल आवश्यकता वाले लोग खरीद रहे है, ठोस गहनों की बजाय हल्के गहने ले रहे है। सोने का भाव 55000 रूप्ये प्रति 10 ग्राम तक पंहुच गया है, चांदी 72100 प्रति किग्रा पंहुच गई है।

वल्र्ड बैंक ने कहा है भारत में पैट्रोल डीजल और खाने पीने की वस्तुओं में हुई उछाल का लोगों की वास्तविक आय पर गहरा नकारात्मक असर पड रहा है और बढती मंहगाई के चलते 2022-23 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट अनुमान 8.7 प्रतिशत से घटाकर 8 प्रतिशत कर दिया है। भारत में मंहगाई के दबाब में लेबर मार्केट में रिकवरी भी अधूरी रहने का अनुमान है। बढती खुदरा मंहगाई सबसे बडी चिंता है।

मंहगाई आसमान पर-कमाई जमीन पर पंहुच गई है। मांग-आपूर्ति का संतुलन गडबडाने से मंहगाई आसमान पर पंहुच गई है। पिछले सालों की तुलना में करीब 100 फीसदी का इजाफा हुआ है। मनमानी नीतियों से आर्थिक बदहाली बढ गई है और अर्थव्यवस्था को बरबाद कर दिया है। बढती आबादी और लालसा, दक्षिणपंथी व कारपोरेट जगत को लाभांवित करने वाली नीतियों से हमारे जीवन व जरूरतों पर असर पड रहा है।

सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। कोई कारगर व ठोस कदम मंहगाई की रोकथाम हेतु नहीं उठा रही है। एक ओर वैश्वीकरण को मान्यता है तो दूसरी ओर आत्मनिर्भरता का नारा। नोटबंदी के बाद जीएसटी, उसके बाद लघु उद्योगों के वित्तीय पोषण पर पाबन्दी, उसके बाद लम्बा लाकडाउन, पलायन, नौकरियों का टूटना, कम होना, आय व मांग में कमी सभी मामलों में गरीब निम्न मध्यम वर्ग पिस रहा है।

मंहगाई का नियंत्रण सरकार के पास है परन्तु स्वयं उपभोक्ता मंहगाई कैसे नियोजित करे यह एक अहम प्रश्न है। प्रथम मंहगी वस्तुओं को खरीदने की बजाय वैकल्पिक वस्तुओं का उपभोग प्रारम्भ करे, मंहगी हो रही वस्तुओं का उपयोग कम या बंद करे। अनुपयोगी एवं अनावश्यक वस्तुओं की खरीद व संग्रहण नहीं करे। वस्तुओं की कमी दिखाकर कालाबाजारी व्यापारियों के चंगुल में नहीं फंसे, अधिक संग्रहण कर बाजार में वस्तुओं की कमी पैदा नहीं करे। संयुक्त राष्ट्र के सूत्रों के अनुसार 81.02 करोड वर्ष 2019 में अत्यधिक गरीब थे, 2021 में यह संख्या 88.9 करोर्ड हो गई है। सरकार भूल रही है मंहगाई सबसे ज्यादा गरीब को तडपाती है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)