सफलता के लिए आत्मविश्वास और अनुशासन जरूरी

लेखक : प्रोफेसर (डॉ.) सोहन राज तातेड़ 

पूर्व कुलपति सिंघानिया विश्वविद्यालय, राजस्थान

www.daylife.page 

मानव जीवन में अनुशासन का बहुत अधिक महत्व है। अनुशासन के द्वारा मानव का आत्मविकास होता है। जब तक मन में आत्मविश्वास नहीं रहता तब तक सफलता नहीं मिलती। आत्मविश्वास ही वह संकल्प है जो हमें आगे बढ़ने में सहायता देता है। बिना अनुशासन, बिना नियम, बिना संयम सफलता मुश्किल है। सफल जीवन जीने के लिए अनुशासन बहुत जरूरी है। अनुशासन की शिक्षा परिवार से शुरू होती है। बच्चा अपने परिवार में सबको नियमित रूप से कार्य करते हुए जब देखता है तो उसमें भी यह अन्तःप्रेरणा जागृत होती है कि हमें भी ऐसा करना चाहिए। धीरे-धीरे बालक में स्वतः ही यह अभ्यास हो जाता है कि हमें समय से उठना, समय से सोना, समय से पढ़ना, समय से दैनिक क्रिया करना और समय से विद्यालय जाना चाहिए। निज पर शासन फिर अनुशासन। यह अनुशासन का सूत्र है। इसका अर्थ है पहले खुद पर नियन्त्रण रखिये फिर दूसरों को नियन्त्रण रखने का गुण सिखाइये। अतः अनुशासन स्वयं से ही प्रारम्भ होता है। अनुशासन किसी भी कार्य को ठीक ढंग से करने का एक तरीका है। इसके लिए शरीर और मन पर नियन्त्रण जरूरी होता है। कुछ लोगों के पास स्वअनुशासन प्राकृतिक सम्पत्ति के रूप में होता है जबकि कुछ लोगों को इसे अपने अन्दर विकसित करना पड़ता है। अनुशासन में वह प्रेरणा निहित है कि मानव भावनाओं को नियन्त्रित कर सकता है और किसी भी कठिनाई को पार करके अपने मंजिल को प्राप्त कर सकता है। बिना अनुशासन के जीवन अधूरा और असफल है। अनुशासन कि आवश्यकता पग-पग पर पड़ती है। अगर हम अनुशासन का पालन न करें तो जीवन अव्यवस्थित हो जायेगा। अनुशासन की सबसे अधिक शिक्षा प्रकृति देती है। सूर्य का प्रातःकाल उदित होना और सांयकाल अस्त हो जाना, रात-दिन का क्रमशः होना, ऋतुओं का आना और जाना ये सभी क्रियाएं प्राकृतिक रूप से हेाती रहती है। इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता क्योंकि ये प्रकृति के अधीन है। प्रकृति के इस अनुशासन से मानव को शिक्षा लेनी चाहिए। हवा, पानी और जमीन हमें जीवन जीने का मार्ग बताते है। देश, समाज, समुदाय आदि सबकुछ बिना अनुशासन के असंगठित हो जायेगा। अनुशासन एक स्वभाव है जो प्रकृति द्वारा प्रदत्त सभी चीजों में उपस्थित है। अनुशासित व्यक्ति आज्ञाकारी होता है। बड़ों को सम्मान देना, छोटो पर स्नेह करना और बराबर वालों के साथ मैत्रीपूर्ण व्यवहार करना अनुशासन का ही अंग है। हमें सदैव अनुशासन में रहना चाहिए। राजमार्गों पर आने जाने वाले वाहन यदि अपने मार्ग पर सही ढंग से चलते है तो वे अपने गंतव्य तक पहुंच जाते है। किन्तु यदि अनुशासन तोड़कर वाहन चलाया जाता है तो निश्चित रूप से दुर्घटना हो जाती है। परिणामस्वरूप निर्दोष लोग मारे जाते है। जो लोग अनुशासन प्रिय है और सड़क पर लिखे हुए निर्देशों का पालन करते है और आत्मानुशासी है, उन्हें मंजिल अवश्य प्राप्त हो जाती है। हम अपने व्यावहारिक जीवन में देखते है कि जब लोग समुदाय में रहते है तो भेड़-बकरे की तरह बैठे रहते है, किन्तु जब वही लोग पंक्तिबद्ध होकर के बैठते है और अनुशासन में रहते है तो वही भीड़ कितनी अच्छी लगती है। पुलिस, अर्द्धसैनिक बल, सेना आदि का कार्य इतना अनुशासित रहता है कि उनसे राष्ट्र को प्रेरणा लेनी चाहिए। बड़े अधिकारियों का सम्मान करना और साथ वालों के साथ प्रेमपूर्ण व्यवहार करने की शिक्षा उनके आचरण से मनुष्य को लेनी चाहिए। हमें भी अपने माता-पिता, गुरुजनों और बड़े लोगों का सम्मान करना चाहिए, उन्हें आदर देना चाहिए और उनके बताये हुए मार्ग पर चलना चाहिए। मानव होने के नाते हमारे पास सोचने-समझने का, गलत सही के बारे में फैसला करने के लिये और अपनी योजना को कार्य में बदलने के लिए ईश्वर ने मस्तिष्क दिया है। अपने जीवन में अनुशासन के महत्व और जरूरत को जानने के लिए हम अत्यधिक जिम्मेदार है। अनुशासनहीन जीवन निष्क्रियता का जीवन है। अनुशासनहीन व्यक्ति सदैव दुविधा में रहता है। उसके अन्दर विश्वास की कमी रहती है। जिसके कारण वह जीवन मंे असफल होता है। जीवन में सही रास्ते पर चलने के लिए अनुशासन की बहुत जरूरत पड़ती है। अनुशासन के बिना जीवन निरर्थक हो जाता है। अनुशासन दो प्रकार का है। एक वह जो हमें बाहरी समाज से मिलता है और दूसरा वह जो हमें अन्दर खुद से उत्पन्न होता है। हमारे जीवन के कई पड़ावों पर बहुत से रास्तों पर अनुशासन की जरूरत पड़ती है। इसलिए बचपन से ही अनुशासन का अभ्यास करना अच्छा होता है। स्वअनुशासन का सभी के लिए अलग-अलग अर्थ होता है। विद्यार्थी के लिए इसका अर्थ है सही समय पर एकाग्रता के साथ पढ़ना और विद्यालय के द्वारा दिये गये कार्य को पूरा करना। किसान के लिए अनुशासन का अर्थ है सही समय पर खेत की बुआई, सिंचाई और कटाई करके अधिक अन्न उत्पन्न करना। दुकानदार के लिए अनुशासन का अर्थ है ईमानदारी के साथ वस्तु विपड़न करना। शिक्षक के लिए अनुशासन का कार्य है सही समय पर विद्यालय जाकर विद्यार्थी को शिक्षा देकर उसका जीवन निर्माण करना। इसी प्रकार जो जिस क्षेत्र से सम्बन्धित है वह अपने-अपने क्षेत्र में ईमानदारी के साथ निष्ठापूर्वक कार्य करके देश को आगे बढ़ाये। आधुनिक युग में अनुशासन और आत्मविश्वास दोनों की कमी देखी जा रही है। इसी का परिणाम है समाज में भ्रष्टाचार व्याप्त है। अतः अनुशासन को बढ़ाकर आत्मविश्वास को जागृत किया जाये। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)