लेखक : लोकपाल सेठी
(लेखक, वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनितिक विश्लेषक)
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केरल देश के उन राज्यों की श्रेणी में आता है जहाँ शराब की खपत अधिक है। लगातार दूसरी बार सत्ता में आने के बाद मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी नीत वाम लोकतान्त्रिक मोर्चे की सरकार ने हाल ही में ऐसे कई कदम उठाये है जिससे राज्य में शराब की खपत और बढे ताकि राज्य के राजस्व में वृद्धि हो। उधर चर्च से जुड़े संगठन और कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन सरकार की इस नई नीति का विरोध कर रहे है। इन संगठनों के नेताओं का कहना है कि युवा पढ़ी को नशे की लत डाल वर्तमान सरकार उन्हें गर्त की ओर ले जा रही है।
राज्य में राजधानी श्रीअनंत्पुरम के पास नए आईटी क्षेत्र विकसित हो रहे है। यहाँ काम करने वाले युवा देर रात तक काम करते है तथा इसके बाद कुछ रिलैक्स होना चाहते है। उनके लिए मौज मस्ती का तरीका बार या पब में जा कर दो, तीन या इससे भी अधिक शराब के पेग पीना ही होते है। आबकारी विभाग के आदेशानुसार राज्य शराब की दुकाने सवेरे 9 बजे से रात 8 बजे तक ही खुली रहती है। अब सरकार शराब के दुकानों और बार को रात देर तक खुले रखना चाहती है। लेकिन आईटी पार्क तथा इसके आस पास के इलाकों में रह रहे तथा आईटी कंपनियों से जुड़े लोग यह मांग कर रहे है को यह समय बढा कर रात एक बजे कर दिया जाये। उनका कहना है कि इकं कंपनियों में बहुत से विदेशी लोग भी कम काम करते जो दिन भर डट कर काम करने के बाद नाईट लाइफ का आनंद लेने के आदी है। चूँकि सरकार राज्य में हर कीमत पर आईटी को तेजी से विकसित करना चाहती है इसलिए वह इस मांग को मानने में सहमत हो गयी है। इस इलाके में स्थित बार या पबों को विशेष परमिट जरी किये जायेंगे ताकि वे अपना कारोबारी समय एक बजे तक जारी रख सकें।
2016 में जब कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे की सरकार थी तो उसने राज्य विधान सभा के चुनावों से कुछ समय पूर्व पूर्ण शराब बंदी लागू करने की घोषणा की थी। लेकिन यह मोर्चा सत्ता में नहीं आ सका। इसके स्थान पर सत्ता में आयी वाममोर्चे की सरकार ने कहा उसका राज्य में शराबबंदी करने का कोई इरादा नहीं है। सरकार का कहना था कि उसके वार्षिक राजस्व में शराब की बिक्री और आबकारी के जरिये एक बड़ी राशि आती है। जब तक सरकार की इसका कोई विकल्प नहीं मिलता राज्य में शराब की बिक्री पर कोई पाबन्दी नहीं होगी। कोरोना काल में जब शराब की दुकाने बंद थी तब देश में केरल की वाम पंथी सरकार ही ऐसी सरकार थी जिसने शराब की ओन लाइन बिक्री आरंभ करने की नीति अपनाई। चर्च से जुड़े संगठनों और कट्टरपंथी मुस्लिम संगठनों ने इसके खिलाफ आवाज़ उठाई लेकिन कोई बड़ा आन्दोलन नहीं हो सका। चर्च ने अपने स्तर पर लोगों को शराब का नशा नहीं करने का उपदेश जारी किया लेकिन इसका भी कोई असर नहीं हुआ। हाँ चर्च मछुयारों की बस्तियों में अवैध शराब की बिक्री को कुछ हद तक रोकने में सफल रहा। लेकिन इसके बावजूद राज्य में शराब की खपत लगातार बढ़ती ही रही चूँकि सरकार शराब की बिक्री को किसी न किसी तरह प्रोत्साहित कर रही थी।
अब एक ओर जहाँ शराब की दुकाने देर रात तक खुले रखने की नीति अपना रही है वहीँ वाइन ब्रूवारियों लगाने को प्रोत्साहन दे रही है। केवल यहीं नहीं बल्कि शराब निर्माता कंपनियों को यह सलाह दी दे रही है की वे सस्ती किस्म की शराब और बीयर का उत्पादन करे ताकि शराब पीने वालों की जेब पर अधिक बोझ नहीं पड़े। राज्य में अब तक शराब की दुकानों में प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी। शराबी को लोहे की जाली में बनी खिड़की से शराब लेनी पड़ती थी। इसके चलते शाम के समय इन दुकानों पर लम्बी लाईने नज़र आती थी। अब सरकार ने इस व्यवस्था को बदल कर शराब की दुकानों को स्टोर के रूप में बदल दिया है। ग्राहक सम्मान से इनके अंदर जाकर अपनी पसंद की शराब खरीद सकता है।
कांग्रेस के अलावा श्रमिक संगठन एटक सरकार की शराब को बढ़ावा देने की नीति का खुल कर विरोध कर रहा है। मजे की बात यह है की एटक कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया का श्रमिक संगठन है। राज्य में यह पार्टी मोर्चे की सरकार का अंग है। लेकिन मोर्चे को नियंत्रित करने वाली मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं का कहना है इस पार्टी न सरकार की नई अबकारी नीति का किसी भी स्तर विरोध नहीं किया। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)