बुर्रहानुद्दीन बाबा का 2 दिवसीय उर्स कुल की रस्म के साथ सम्पन

जाफ़र लोहानी

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मनोहरपुर (जयपुर)। निकटवर्ती ग्राम नायन अमरसर में स्थित हजरत बुर्रहानुद्दीन चिश्ती रहमतुल्ला अलेह के चिल्ले पर वार्षिक उर्स का आयोजन किया गया जिसमें हिंदू मुस्लिम जायरीनों ने बढ़-चढ़कर के हिस्सा लिया। 

समाजसेवी शंकरलाल जांगिड़ ने बताया कि शाम 5 बजे बाद खादिमों की मौजूदगी में चद्दर पेश की गई इस दौरान हाजिर हिन्दू मुस्लिम जायरीनों के मुख से यही स्वर फूट रहे थे कि "निगाहे वली में वो तासीर देखी, बदलती हुई रोज हजारों की तक़दीर देखी"!

शाम 7 बजे पंगत प्रसादी यानी लंगर चालू किया गया जिसमे जायरीनों ने पंगत प्रसादी ली यह क्रम रात के 12 बजे तक चला। रात्रि 10 बजे बाद महफिले ए शमां का आयोजन किया गया जिसमें राजस्थान की प्रसिद्ध कव्वाल पार्टियों में रईस एंड कव्वाल पार्टी द्वारा बाबा की मान मनुहार की गई। दरगाह के ख़ादिम मोहम्मद इमरान मलिक ने बताया कि दरगाह प्रांगण को दूल्हे की तरह सजाया गया हैं! आसपास एवं दूर-दराज के हिंदू मुस्लिम जायरीन शिरक़त करके बाबा से दुआएं की। 

उल्लेखनीय है कि हजरत बुर्रहानुद्दीन चिश्ती रहमतुल्ला अलेह वर्षों पूर्व नायन अमरसर के रेतीले टीलों में सुनसान बियाबान जंगल में अकेले बैठ कर के कठोर तपस्याए की थी। उन्होंने इस तपस्या के बल पर अपने खुदा को राजी किया था यहां आस - पास में रहने खाने और पीने की कोई व्यवस्था नहीं थी बाबा का निजाम यह था कि खुदा की ईबादत बड़े ही तल्लीनता से करते थे और जो भी खुदा से दुआएं करते थे वो पूरी हो जाती थी। जिसके परिणाम स्वरूप उनके पास अपने आप ही खाना आ जाया करता था धीरे-धीरे बाबा की करामातें अन्य लोगों तक पहुंची। इसके बाद कुछ लोग आना शुरू हो गए जब उन लोगों को लाभ पहुंचा तो उन लोगों ने गांव में बताए इस पर  गांव के लोग भी वहां आए और चमत्कार देखे उसके बाद इनकी चमत्कार की कहानी घर घर तक पहुंची!

लोगों का कहना है कि यहां पर राजा हो या रंक सबकी तमन्नाए पूरी हुई है बाबा ने दुआ के वास्ते हाथ उठाकर के उनके हक में दुआएं मांगी और दुआएं तुरंत कबूल हो गई यह करामात बा दस्तूर आज भी जारी हैं। 

आज भी गरीब हो या अमीर सब बाबा के दरबार में आते हैं चमत्कार देखते है जंगल में आकर बाबा के धूणे के पास बैठकर दुआ करने वाले सफल है। जायरीनों ने बताया कि बाबा बुर्रहानुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह के धूणे पर आज भी कई करामातें हो रही हैं। बाबा की दुआओं से मुकद्दर संवर जाता हैं! बुर्रहान बाबा ने कठोर तपस्या के बल पर वह मुकाम हासिल कर लिया था जिसके लिए बड़ी-बड़ी हस्तियां भी तरस जाया करती है और बाबा ने मायूस लोगों की तमन्नाएं पूरी की है बाबा के दरबार पर रोते हुए आते थे और हंसते हुए जाते थे बाबा की नजर में कोई भेदभाव नही हैं सब को एक समान से देखते हैं। इस अवसर पर बुजुर्गानेद्दीन के ख़िदमतगार अय्यूब खान चोहान, अब्दुल हफ़ीज़ सारवान, अब्दुल अज़ीज़ लोहानी, पंच जतन यूट्यूब चेनल के सहयोगी बुन्दू लौहार, मोहसीन खान, महमूद शाह, आबिद खान चोहान, सलीम मिस्त्री, राम निवास, रामजीलाल सेन उर्फ कब्बू नाई।