तपस्वी सूर्यतापी राजा दौलत सिंह जो सूरज की किरणों को शरीर में समा लेते हैं
सद्दीक अहमद की रिपोर्ट
अजीबो गरीब शौक इंसान को न जाने कहाँ से कहाँ पंहुचा देते हैं। लोग कुछ न कुछ अलग कर अपनी पहचान बनाने में कामयाब होते हैं। आज मिलाते हैं आपको एक ऐसी ही शख्सियत से जिन्हें डॉक्टर्स ने भी मना किया लेकिन वे 18 साल से तेज गर्मी हो या सूरज की तेज रोशनी में भी अपनी आँखों को खोलकर सूरज से बातें करना जिनका शौक बन गया वे हैं शिक्षाविद सूर्यतापी राजा दौलत सिंह जो कि जयपुर में सेंट लॉरेंस स्कूल के संस्थापक हैं। सूर्यतापी राजा दौलत सिंह अपने जमाने के सेन्ट जेवियर स्कूल के छात्र रहे है और आप ओल्ड बॉयइस एसोसिएशन के उपाध्यक्ष भी रहे।
सूरज देखने की शुरूआत आपने कैसे कि इसके जवाब में उन्होंने कहा कि एक दिन अनायास ही छत पर बैठे-बैठे मैं लगातार सूरज की ओर देखने लगा और मैंने कोशिश की कि बिना आँखों को टिम-टिमाते हुए देखूं, लेकिन पहला प्रयास और दूसरा प्रयास मेरा क्षणिक वक़्त का रहा, लेकिन जिअसे ही तीसरे दिन मैंने सूरज की ओर खुली आँखों से निहारना शुरू किया तो लगा कि मैं अपने मकसद में कामयाब हो रहा हूँ तत्पश्चात मुझे लगा कि मैं सूर्य देव को अपनी नज़रों में समा कर उसकी गर्मी को अपने शरीर में ग्रहण कर सकता हूँ। ऐसा बताते हुए सूर्यतापी राजा दौलत सिंह ने कहा कि फर्स्ट टाइम जब मैंने विशेष रूप से नवरात्री के मौके पर देखा तो मेरे शरीर से सूरज की गर्मी निकलती दिखाई दी और आँखों के माध्यम से मिलती ऊर्जा मेरे शरीर से निकलती रही और मुझे लगा मेरा शरीर शुध्द हो रहा है। नवरात्रि के अवसर पर राजा दौलत सिंह (लालपुरा) ने वह कार्य किया जिसको देखकर लोग अचम्मित रह गए।
तपस्वी सूर्यतापी राजा दौलत सिंह नवरात्रि के नौ दिनों तक बिना कुछ खाए रोजाना सूरज से आंख मिलाते रहे, इस दौरान रोजाना आधा घंटे से एक-एक घंटे तक सूरज से नजरें मिलाते हुए सूर्य देवता से बात करते हुए सूरज की किरणें ग्रहण कर अपने शरीर से दर्शाते रहे तब से आज तक लगातार सूर्य से खुली आँखों से नजरें मिलाते रहते है।
तब से आज तक वे लगातार बिना किसी मौसम के सूरज की तेज रोशनी को बिना किसी चश्मे के निहारते रहते है। सूर्यतापी राजा दौलत सिंह (लालपुरा) के इस विषय पर हमने नेत्र रोग चिकित्सकों से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि खुली आंखो से सूरज की ओर देखने से आँखों के "रेटिना" सहित आंखो के अन्य भागों में नुकसान पहुँच सकता है, और हम किसी भी व्यक्ति को यह सलाह नहीं देते कि वे खुली आँखों से सूरज को देखें। सूर्यतापी राजा दौलत सिंह ने कहा कि जब तक मेरा स्वास्थ्य साथ देता रहेगा मैं सूर्य देव की विशेष कृपा से उन्हें खुली आँखों से निहारते हुए नमन करता रहूँगा।