21 मई (पुण्यतिथि)
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देश को सूचना, संचार व समुन्नत प्रोद्योगिकी की सौगात देकर 21वीं सदी की ओर अग्रसर करने वाले राजीव गांधी एक ऐसे नेता थे जिनका अक्स लोग आज भी तलाश करते है। राजीव गांधी जैसी दूरदर्शिता और सरल सहज व्यक्त्वि अब कही देखने को नहीं मिलता। मरूधरा, आदिवासी क्षेत्र पूर्वी राजस्थान के डांग क्षेत्र की यात्राओं में मैंने उन्हें बहुत नजदीक से देखा है। सुरक्षा की चिन्ता किये बगैर आम लोगों में घुसकर उनके हालात जानकर गंभीर मंत्रणा के साथ विशेष करने को तत्पर रहते थे।
राजीव गांधी को भारत की युवा शक्ति का भान व सम्मान था। उन्होंने देशभर में मतदान की निर्धारित आयु सीमा 21 से घटाकर 18 वर्ष करने का फैसला किया। पंचायत राज संस्थाओं और स्वायत्तशाषी संस्थाओं को सशक्त किया, उनमें विशेषकर हर स्तर पर एससी, एसटी, ओबीसी व महिला आरक्षण का प्रावधान किया। इस निर्णय से गांव स्तर तक लोकतंत्र मजबूत, सशक्त व परिपक्य हुआ। सरकारी संस्थाओं में सुधार व कार्य क्षमता बढ़ाने के क्रम में, कार्य दिवस 6 से घटाकर 5 कर दिये।
राजीव गांधी ऐसे शासनाध्यक्ष थे जिन्होंने सरकारी क्षेत्र में भ्रष्टाचार को सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया। आज जो लोग उन पर बोफोर्स का चार्ज लगा रहे थे, हाई कोर्ट से क्लीनचिट मिलने के बाद मौन है। अयोध्या निर्माण के लिए जो लोग शोर मचा रहे है और भगवान राम के सम्मान की बात कर रहे है वे भूल रहे है अयोध्या में रामलला के दर्शन की अनुमति राजीव गांधी ने ही देकर साहस व समन्वय का अतुलनीय उदाहरण प्रस्तुत किया था।
लोकतंत्र में अगाध श्रद्धा रखने वाले राजीव को साथियों ने सत्ता हथियाने के लिए धोखा दिया, उन्हें सुविचारित तरीके से बदनाम किया। 1989 के लोकसभा चुनाव में राजीव सरकार बना सकते थे परन्तु उन्होंने बहुमत नहीं होने से विपक्ष में बैठने का निर्णय लिया। जनता को भूल का अहसास हुआजनता उन्हें पुनः प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहती थी। सत्ता में बैठे लोगों ने उनकी सुरक्षा समाप्त कर दी। व्यवहार के अनुरूप सुरक्षा की परवाह किये बगैर सीधे जनता के बीच चले जाते थे, आत्मघाती हमले के शिकार हो गये।
राजीव गांधी नहीं होते तो आज देश में कम्प्यूटर, टीवी, इन्टरनेट, सोशियल मीडिया नहीं होता। राजीव गांधी ने जब कम्प्यूटर प्रारम्भ किया तो आज के सत्ताधारी गाडे में बैठकर संसद गये थे और कहा था बेरोजगारी होगी, गोपनीयता समाप्त हो जायेगी। खेल जगत में भारत को आगे बढ़ाने के लिए राजीव आगे आये और बड़े पैमाने पर निर्माण के साथ खेलो का आयोजन प्रारम्भ किया। खिलाडियों को तमगे मिलने पर श्रेय लेने वाले ऐसे अवसर पर भी राजीव को याद नहीं करते।
राजीव को आंतकवाद से जुझना पड़ा। उत्तरी भात में पंजाब तो उत्तर-पूर्व में असम जैसे राज्यों में आम नागरिक आंतकवादियों व आंतकी घटनाओं से संघर्ष कर रहे थे। राजीव ने लोंगेवाला समझौता कर पंजाब को खुशहाली की ओर मोडा। उत्तर-पूर्व भारत के मूल निवासी भारत के अन्य हिस्सों से आये लोगों को शत्रु मान रहे थे, राजीव के प्रयासों से खाई पटी और सामुदायिक सौहार्द बना। राजीव मजबूत विदेश नीति के समर्थक थे। भारत-अमेरिका संबंध मधुर व मजबूत बने। भारत का सामंजस्य व सद्भाव रूस के साथ भी बना रहा। चीन, श्रीलंका से संबंध सुधार का प्रयास किया।
राजीव ने महसूस किया देश की प्रगति, उज्जवल तस्वीर व तकदीर बदलने के लिए मानव संसाधन को विकसित करने, सुशिक्षित और समझदार बनना आवश्यक है। उन्होंने मानव संसाधन विभाग की स्थापना की, सरकार ने विज्ञान एवं तकनीक के विकास पर सर्वाधिक जोर दिया। राष्ट्रीय नीति की घोषणा की, शिक्षा के उन्नयन के लिए देशभर में आधुनिक स्तर की उच्च शिक्षा देने की योजनायें तैयार कर कार्य प्रारम्भ किया। महिला सशक्तिकरण के लिए उन्होंने सुनियोजित पहल प्रारम्भ की। राजीव गांधी ने सत्ता की कमान संभालते ही सबसे पहले निर्णय लिया कि देश में लाईसेंस प्रणाली समाप्त की जाये। राजीव गांधी सबसे पहले भ्रष्टाचार को समाप्त करना चाहते थे।
राजीव गांधी सेे बतौर कांग्रेस महासचिव जैसलमेर व सवाईमाधोपर विकास योजनाओं के संबंध में गम्भीर चर्चा हुई। सवाईमाधाोपुर से हिंडोन तक रेलवे केबिन में उन्होंने प्रशासन व संगठन की बीच सद्भावना नहीं होने पर, कारणों पर चर्चा की। प्रधानमंत्री बनने के पश्चात उनसे मेरी भेंट करौली में हुई। मैंने उनकी परिपक्वता देखी तदुपरान्त डीपीआर के रूप में मैंने उनकी बांसवाड़ा, सिरोही की आदिवासी क्षेत्रों की यात्रा, मरूस्थल यात्रा व बीकानेर की यात्राओं को कवर किया। राजीव गांधी हेलीकाप्टर स ेचल रहे थे, हम नीचे कार से उन तक पंहुचने का प्रयास कर रहे थे। मैंने जब उनकी यात्रा जिसमें श्रीमती सोनिया गांधी भी थी, का एलबम उन्हें बीकानेर एयरपोर्ट पर भेंट किया तो उन्होंने बडे हर्ष के साथ उपस्थित लोगों को मेरी प्रशंसा की। वे मुझे अपने पास दिल्ली ले जाना चाहते थे परन्तु ईश्वर को कुछ ओर ही मंजूर था। अंतिम बार में उनसे सरिस्का में मिला, प्रशासनिक इंतजाम से वे नाराज हुए परन्तु शीघ्र ही शांत हो गये। उनके केबिनेट मीटिंग का प्रेस नोट मैंने जारी किया था।
वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रति उनका अपनत्व, विश्वास व आदर स्पष्ट झलकता था। जयपुर में मैंने एक ‘‘नेहरूज इन राजस्थान’’ प्रदर्शनी का आयोजन किया था, उसमें उन्होंने घंटो बिताये और राजस्थान की संस्कृति, विकास, समस्यायें, प्रशासन व राजनैतिक स्थिति को समझा। अशोक गहलोत सदैव उनके साथ रहे। मैंने देखा है अशोक गहलोत पूरी जिम्मेदारी, समझ, कर्तव्यनिष्ठा व सेवा भावना से जुड़े थे। शिवचरण माथुर उनके साथ थे, हरिदेव जोशी व जगन्नाथ पहाडिया का पृथक अस्तित्व व खेमा था, इसमें युवा अशोक गहलोत ने उनका विश्वास अर्जित कर सफलता प्राप्त की। राष्ट्र नायक राजीव गांधी को मेरा नमन। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)
(लेखक रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हैं)