लेखक : लोकपाल सेठी
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)
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लगभग दो साल पहले डिप्लोमेटिक चैनलों के जरिये संयुक्त अरब अमीरात से बड़े पैमाने पर सोने की तस्करी का मामला सामने आने के बाद केरल की राजनीति में बवाल पैदा हो गया था क्योंकि तब ये आरोप सामने आये थे कि राज्य के सत्तारूढ़ वाम मोर्चे की सरकार के लोग इसमें लिप्त हैं। मामले को शांत करने के लिए मुख्यमंत्री विजयन पिनराई ने केन्द्र सरकार को सारे मामले की जाँच केंद्रीय एजेंसियों से करवाने की सिफारिश की थी। केंद्र सरकार ने मामले की जाँच राष्ट्रीय जाँच एजेंसी को सौंप दी थी।
शुरू में यह समझा जा रहा था कि इस मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारी भी जुड़े हुए थे। कुछ नाम सामने के बाद पिनराई ने अपने प्रमुख सचिव शिवशंकर को उनके पद से हटा दिया। बाद में उन पर कुछ अधिक दवाब बना उन्हें उनके पद से निलंबित कर दिया गया।
इस सारे मामले के एक प्रमुख स्वप्ना सुरेश, जो लम्बे समय तक अमीरात के कोच्चि वाणिज्य दूतावास में उच्च पद पर थी, ने अब एक ऐसा बयान दिया है जिससे राज्य की राजनीति एक बार फिर फिर भूचाल आ गया है। कानून की धारा163 के अंतर्गत मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज करवाए अपने बयान में स्वप्न सुरेश ने आरोप लगाया है कि इस तस्करी ने केवल खुद पिनराई जुड़े हुए थे बल्कि बल्कि राज्य मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव कोडियारी बालकृष्णन भी इसमें लिप्त थे। उसने यह आरोप भी लगाया है की तस्करी के जरिये आया सोना बिरयानी खाने के बर्तनों में सीधा मुख्यमंत्री को भेजा जाता था। उसने एक नया आरोप भी लगाया है कि पिनराई अपने चोरी के धन को दुबई पहुँचाने के लिए डिप्लोमेटिक चैनल का उपयोग किया था।
अतंर्राष्ट्रीय नियमों के अनुसार देशों के दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों द्वारा अपने देश को भेजी जाने वाली और वहां से आने वाली डाक अथवा अन्य सामान के बैगों की जाँच नहीं की जा सकती। इसी का लाभ उठा कई छोटे मोटे देशों के अधिकारियों के तस्करी में लिप्त पाए जाने की घटनाये सामने आती रहती है, जिसे कूटनीतिक नजरिये से रफादफा कर दिया जाता है।
स्वप्ना ने आरोप लगाया कि जब अमीरात के वाणिज्य दूतावास में थी तब एक दिन मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव शिव शंकर का फ़ोन आया कि दुबई की यात्रा पर गए मुख्यमंत्री, जल्दबाजी में अपना एक बैग अपने साथ ले जाना भूल गए। इसमें कुछ जरूरी सरकारी कागजात है। जिनकी तुरंत जरूरत है इसलिए इन्हें डिप्लोमेटिक चैनल के जरिये तुरंत दुबई भेजने में सहायता की जरूरत है। स्वप्ना का आरोप है इस बैग में सरकारी कागजात नहीं थे बल्कि ये नोटों से भरा था। स्वप्ना, जो इस समय जमानत पर जेल से बाहर है, ने आरोप लगाया है कि उनके बयान के बाद उन्हें लगातार जान से मारने की धमकियाँ मिल रही हैं। मुख्यमत्री के करीबी कुछ पुलिस और अन्य अधिकारी लगातार उन पर दवाब बना रहे है कि वे अपना बयान वापिस ले लें लेकिन वे इसके लिए तैयार नहीं है क्योंकि उन्होंने सच्चाई को उजागर किया है। वे इस मामले में जाँच अधिकारियों का सहयोग कर रही है।
बड़े स्तर पर डिप्लोमेटिक चैनल के जरिये अमरीत से सोने की तस्करी का मामला तब सामने आया था जब कोच्चि हवाई अड्डे पर वहां से आये एक दर्ज़न बैगों में दूतावास के पत्र और अन्य सामान के स्थान पर सोना पाया गया था। यह सोना 30 किलो था तथा बाज़ार भाव से इनकी कीमत 15 करोड़ रूपये थी। सूत्रों से प्रवर्तन निदेशालय को यह सूचना मिली थी कि वाणिज्य दूतावास की मिली भगत से गत कुछ समय से सोने की तस्करी चल रही है। सामान्य तौर पर प्रवर्तन निदेशालय को डिप्लोमेटिक बैग खोलने की अनुमति नहीं होती लेकिन निदेशालय ने विदेश विभाग से पूर्व अनुमति पाकर इन बैगों को खोला था।
इस मामले में स्वप्ना के दो और साथियों को गिरफ्तार किया गया था को कभी अमीरात के दूतावास में उसके साथ काम करते थे। स्वप्ना ने अपने प्रारंभिक बयान में कहा था कि जब हवाई अड्डे पर बैग खोलने की नौबत आई तो उन्होंने शिवशंकर से संपर्क किया था तथा उन्होंने निदेशालय के अधिकारियों से मामले को रफादफा करने के लिए कहना लेकिन अधिकारी टस से मस नहीं हुए। स्वप्ना, जो एक तलाकशुदा है, को शिवशंकर की बहुत करीबी माना जाता है। शिवशंकर ने उन्हें अपने घर के पास ही आवास दिलवाया था तथा वे अक्सर वहां आते जाते नज़र आते थे। बताया जाता है कि तस्करी का यह धंधा काफी समय से चल रहा है तथा अब तक इस चैनल के जरिया 180 किलो सोने की तस्करी हो चुकी थी। इस घटना के बाद अमीरात ने अपने कोच्चि स्थित आने महा वाणिज्य दूत को वापिस बुला लिया था लेकिन तब तक मामले ने तूल पकड़ लिया था। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)