30वीं पुण्यतिथि पर विशेष
लेखक : डॉ. कमलेश मीणा
इग्नू क्षेत्रीय केंद्र श्रीनगर कश्मीर में क्षेत्रीय निदेशक (प्रभारी) के रूप में कार्य कर चुके हैं
वर्तमान में डॉ. कमलेश मीणा, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय इग्नू क्षेत्रीय केंद्र खन्ना पंजाब में सहायक क्षेत्रीय निदेशक। शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार।
www.daylife.pageपत्रकारिता का मुख्य उद्देश्य है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि सरकार और हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें। दैनिक नवज्योति ने अब तक ईमानदारी और लगन से यह काम किया है। स्वतंत्रता सेनानी व दैनिक नवज्योति के संस्थापक संपादक कप्तान दुर्गा प्रसाद चौधरी की पुण्यतिथि पर महान मिशनरी पत्रकार को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। कप्तान दुर्गाप्रसाद चौधरी जंगे आजादी के सिपाही थे। उन्होंने पत्रकारिता के माध्यम से आजादी के संदेश को आमजन तक पहुंचाने के साथ राष्ट्र के निर्माण में भी विशेष योगदान दिया। कप्तान साहब ने प्रदेश की हिन्दी पत्रकारिता के गौरव को बढ़ाने के लिये जीवनपर्यन्त सेवायें दी, जो सदैव अविस्मरणीय रहेगी। वे इतिहास पुरुष थे जिनकी सेवाओं को सदैव याद किया जाएगा। उनके द्वारा स्थापित परंपराओं का निर्वहन नवज्योति परिवार आज भी कर रहा है।
महात्मा गांधी के सानिध्य में भी रहे कप्तान चौधरी
नवज्योति केवल अखबार नहीं है अपितु राजस्थान के इतिहास का ऐसा रोजनामचा है जिसके माध्यम से राजपूताना में हुए आजादी के संघर्ष और राजस्थान के गठन से लेकर अब तक के सारे घटनाक्रमों को पढ़ा देखा व समझा जा सकता है। गांधीवादी विचारों से ओतप्रोत कप्तान दुर्गाप्रसाद चौधरी को महात्मा गांधी के सानिध्य में भी रहने का अवसर मिला। उन्होंने आजादी के लिये अजमेर व आसपास के क्षेत्र में लगातार सत्याग्रह किया। डूंगरपुर, बांसवाड़ा, अजमेर, भीलवाड़ा जैसे क्षेत्रों में माणिक्य लाल वर्मा के साथ रहकर किसानों, समाज के कमजोर वर्ग और आदिवासियों को संगठित किया, उनके कल्याण के साथ उनमें जनचेतना का संचार किया। कप्तान साहब ने कई बार जेल यातनायें भी सही। उन्होंने वर्ष 1936 में अजमेर से नवज्योति को साप्ताहिक रूप में प्रकाशित किया, जो वर्ष 1948 में दैनिक के रूप में प्रकाशित होने लगा। आर्थिक संकटों और सरकारी दबावों के बावजूद वे निर्भीकता से इस समाचार पत्र को प्रकाशित करते रहे।
कप्तान साहब आजादी के दौरान कांग्रेस सेवादल की टोली के कप्तान थे इसी वजह से उनके साथी उन्हें कप्तान साहब का संबोधन देते थे। बाद में वे कप्तान साहब के नाम से लोकप्रिय हो गए। वे पत्रकारों की स्वतंत्रता के पक्षधर थे और उन्होंने अपने समाचार पत्र से जुड़े सभी पत्रकारों को पूरी स्वतंत्रता दी हुई थी। उनके समय में नवज्योति पत्रकारों के एक प्रशिक्षण केन्द्र में जाना जाता था। कप्तान साहब सहज, सरल व्यक्तित्व के धनी थे। वे अपने साथ काम करने वाले सभी लोगों को अपना परिवार ही मानते थे। कप्तान साहब पत्रकारिता में सत्य व विश्वसनीयता को सर्वाधिक महत्त्व देते थे चाहे उससे कोई भी प्रभावित हो।
हमारा मीडिया दूरदर्शी विचारों और मिशनरी कार्यों के रास्ते से भटक गया है। अधिकतर हमारा मीडिया दूरदर्शी विचारों और मिशनरी कार्यों के पथ से भटक गया है लेकिन आज तक दैनिक नवज्योति अपने मिशनरी और दूरदर्शी विचारों के साथ मजबूती से खड़ा है। दैनिक नवज्योति समाचार पत्र, राजस्थान के प्रतिष्ठित अखबारों में एक है। 2 अक्टूबर, 1936 को स्वतंत्रता सेनानी स्व. कप्तान दुर्गाप्रसाद चौधरी ने दैनिक नवज्योति समाचार पत्र की राजस्थान से शुरुआत की थी। कप्तान दुर्गाप्रसाद चौधरी ने दैनिक नवज्योति के जरिए देश के आजादी आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई।
वर्तमान में से यह समाचार पत्र राजस्थान के जयपुर, अजमेर, जोधपुर, उदयपुर और कोटा संभागों से प्रकाशित हो रहा है जो प्रदेश के हर जिले में जाता है। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में पत्रकारिता और मीडिया बिरादरी के पास बहुत बड़ी शक्ति है लेकिन इस शक्ति का दुरुपयोग लोकतंत्र की शक्ति को नष्ट कर सकता है और समाज के साथ-साथ राष्ट्र के लिए भी घातक साबित हो सकता है इसलिए संवेदनशील मामले की तरह मीडिया पर भी कुछ पाबंदियां होनी चाहिए। एक समय मीडिया ने राजनीति और समाज के भ्रष्टाचार को उजागर किया लेकिन आज हमारा मीडिया आज के भ्रष्टाचार और कॉर्पोरेट संगठनों का हिस्सा बनता जा रहा है।
पूंजीवादी और बड़े कारपोरेट घराने सिर्फ पैसा और मुनाफा कमाने के लिए मीडिया चला रहे हैं, उन्हें लोकतंत्र, लोकतांत्रिक मूल्यों, समाज, राजनीतिक और राजनीति, प्रशासनिक सुधार और पर्यावरण के मुद्दों की कोई चिंता नहीं है और न ही वे भ्रष्टाचार, अपराध, पंथ के बारे में चर्चा कर रहे हैं। आज सौभाग्य से दैनिक नवज्योति अखबार को हमारे लोकतंत्र, लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास और उदारवादी विचारों की वृद्धि के लिए संवैधानिक विचारधारा में विश्वास के लिए जाना जाता है।
नवज्योति अखबार के लिए पहले दिन से यह थी कप्तान साहब की महान विरासत और दृष्टि है। यह भारतीय मीडिया के लिए विशेष रूप से पत्रकारिता और कप्तान साहब जैसे देशभक्त पत्रकारों के माध्यम से लोकतंत्र को पुनर्जीवित करने का नया युग था। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि पत्रकारिता की शुरुआत का उद्देश्य ब्रिटिश शासन के खिलाफ लोगों की आजादी के लिए लड़ना था और सामाजिक बुराइयों और रूढ़िवादी रीति-रिवाजों, कर्मकांडों और कपट को खत्म करना था और इसे राष्ट्र के लिए मिशनरी काम के रूप में लिया गया था लेकिन आज हमारा मीडिया देश लोगों की सेवा और राष्ट्र निर्माण प्रक्रिया के पथ और मिशन से भटक गया है।
संस्थापक मूल्यों और मिशनरी विचारों से कोई समझौता नहीं :
दैनिक नवज्योति 2 अक्टूबर 1936 (86) वर्ष से राजस्थान में एक दैनिक समाचार पत्र अपने मूल मूल्य और मिशन पर खड़ा है और निष्पक्ष रूप से हमारे लोकतंत्र और संवैधानिक अधिकारों को सशक्त और मजबूत करने के लिए हमारे वर्गों के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व कर रहा है।
दैनिक नवज्योति समाचार पत्र के संस्थापक दिवंगत कप्तान दुर्गा प्रसाद चौधरी साहब को ब्रिटिश शासन में कई गंभीर और कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने मिशनरी भावना और समाचार पत्र के विचार के साथ कोई समझौता नहीं किया, जो लोगों की जरूरतों को पूरा करने और बेजुबानों को आवाज देने के लिए था। नवज्योति अखबार की समाचार सामग्री के माध्यम से नवज्योति ने हमेशा अंग्रेजों के हर प्रकार के भेदभाव, शोषण, अन्याय और असमानताओं के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
पत्रकारिता की मिशनरी भावना जो आज तक दैनिक नवज्योति समाचार पत्र की सामग्री और संपादकीय जानकारी से भी परिलक्षित होती हैं और इस साख का श्रेय दिवंगत कप्तान दुर्गा प्रसाद चौधरी साहब की पत्रकारिता को जाता है और इसे बनाए रखने का श्रेय नवज्योति अखबार के मुख्य संपादक दीनबंधु चौधरी साहब को जाता है।
पूरी तरह से संवेदनशील, जिम्मेदार और जवाबदेह अखबार: कप्तान दुर्गा प्रसाद चौधरी की पत्रकारिता आज भी मिशनरी, दूरदर्शी, संवैधानिक विचारधारा और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए प्रासंगिक है। कप्तान साहब ने हमें लोकतंत्र के संवर्धन और लोगों की हिमायत के लिए मूल्य आधारित पत्रकारिता की शिक्षा दी।
कप्तान दुर्गा प्रसाद चौधरी की इन्हीं शिक्षाओं पर आज तक दैनिक नवज्योति अखबार मजबूती से प्रतिस्पर्धा के इस युग में खड़ा है। आज दैनिक नवज्योति अखबार ईमानदारी से संवैधानिक विचारधारा की रक्षा कर रहा है और लोगों की जरूरतों को पूरा कर रहा है और उनके सच्चे प्रतिनिधि के रूप में उनकी आवाज उठा रहा है। यह मीडिया और पत्रकारिता बिरादरी से लोकतंत्र में लोगों की अपेक्षित भावना है लेकिन आज हमारे मीडिया में क्या हो रहा है? आज का मीडिया, समाचार सामग्री, सूचना, पत्रकारिता, मीडिया संगठन और मीडिया बिरादरी समाज, राष्ट्र और लोकतंत्र के विकास के प्रति अपने कर्तव्यों, जिम्मेदारियों और जवाबदेही से परे जा रहे हैं जो भारतीय मीडिया के लिए विशेष रूप से लोकतंत्र का सबसे अशांत, असंवेदनशील और गैर-जिम्मेदार युग है।
यह हमारे कप्तान साहब की पत्रकारिता नहीं थी। उनकी पत्रकारिता शोषित, दलित, वंचित, हाशिए के लोगों, किसानों, आदिवासियों और अन्य पिछड़े क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करने के लिए आवाज देने की थी।
कप्तान दुर्गा प्रसाद चौधरी जीवन भर सच्ची पत्रकारिता के लिए हमेशा खड़े रहे और यही विश्वास नवज्योति अखबार का आज भी है। लोगों ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान इसके स्थापित माप और मिशन पर भरोसा किया। यह विरासत दूसरे अखबारों से नवज्योति अखबार को अलग करती है और यह राजस्थान में दैनिक नवज्योति अखबार की सबसे समृद्ध विरासत है जो अन्य अखबारों के पास शायद ही कभी थी। पत्रकारिता के छात्र होने के नाते, पत्रकारिता और जनसंचार के पाठकहोने के नाते और मीडिया अध्ययन और पत्रकारिता के शिक्षक होने के नाते, मैं शर्मिंदा हूँ और मुझे शर्म आती है कि दिन-ब-दिन विश्वसनीय और सत्य आधारित समाचार सामग्री और पत्रकारिता का संकट गहरा होता जा रहा है, लेकिन दो दशकों से अधिक समय से दैनिक नवज्योति समाचार पत्र का नियमित पाठक होने के नाते मुझे हमेशा गर्व महसूस हुआ और मुझे हमेशा गर्व महसूस होता है कि मैं एक नैतिक रूप से अत्यधिक सम्मानित समाचार पत्र का एक नियमित पाठक हूं और आज भी दैनिक नवज्योति समाचार पत्र एक मिशनरी और दूरदर्शी विचारशील के रूप में जाना जाता है और यह समाचार पत्र बौद्धिक लोगों के दिलों-दिमागों में सबसे लोकप्रिय है।
दैनिक नवज्योति निष्पक्ष और स्वतंत्र समाचार पत्र :
पत्रकारिता और मीडिया का अर्थ है- समाज और राष्ट्र के लिए समानता, सत्य और ज्ञान की वकालत करना, जनसंचार और न्यू मीडिया बिरादरी का अर्थ है- देश और सभी समुदायों के उत्पीड़ित, निराश, वंचित और हाशिए के गरीब लोगों को आवाज देना, लोकतंत्र का चौथा स्तंभ का अर्थ है- आम जनता के सच्चे प्रतिनिधि के रूप में निर्वाचित सरकारों की निगरानी करना और पत्रकारिता और पत्रकारों की मिशनरी भावना लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करना और लोकतंत्र की त्रिस्तरीय प्रणाली में लोकतांत्रिक तरीके और मूल्यों में समान भागीदारी सुनिश्चित करना है। इन मूल्यों के लिए ईमानदारी और समर्पण के साथ खड़े दैनिक नवज्योति अखबार का 84 साल का इतिहास आज हमारे मीडिया के लिए सबसे अच्छा उदाहरण है।
लेकिन दुर्भाग्य से आज का भारतीय मीडिया में क्या हो रहा है? कहने की जरूरत नहीं है। हमारे पाठक और भारतीय मीडिया के वास्तविक हितधारक वर्तमान परिदृश्य में हमारे मीडिया की भूमिका को देखकर निराश हो रहे हैं। आज के मीडिया ने लोकतंत्र में अपनी स्थिति बदल दी है जो पहले चुनी हुई सरकार के विपक्षी नेताओं की भूमिका निभाता था लेकिन आज हमारा भारतीय मीडिया सरकार के साथ उनके सहयोगी और प्रवक्ता के रूप में खड़ा है।सौभाग्य से इस तरह की विफलताएं और दोष अब तक दैनिक नवज्योति अखबार के साथ कभी नहीं हुए और उन्होंने अपने अखबार में निर्वाचित सरकारों और विपक्षी दलों को लोकतंत्र में निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से समान स्थान दिया।
मीडिया के लिए समान दूरी, समान स्थान और सम्मान बनाए रखना आज मुख्य चुनौती है लेकिन कुछ मीडिया बिरादरी संगठन इस संबंध में सफल रहे हैं लेकिन प्रमुख मीडिया संगठन अपने कर्तव्यों, जिम्मेदारियों और जवाबदेही के साथ ईमानदारी से न्याय करने में विफल रहे। नवज्योति ने अपनी पत्रकारिता के माध्यम से बुनियादी आवश्यकताओं, किसानों, कमजोर वर्ग और वंचित समुदाय के लिए वकालत की।
कप्तान दुर्गा प्रसाद चौधरी साहब ने हमें सिखाया कि मीडिया के माध्यम से यह हमारी जिम्मेदारी है कि जो भी लोगों की समस्याएं और चिंताएं हैं, उनके मुद्दों को आवाज देना हमारी जिम्मेदारी है। कप्तान साहब ने अपनी पत्रकारिता के माध्यम से हमेशा आदिवासी समुदायों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों, शोषण, अपमान या किसी भी कमजोर समूह या वर्ग के मानवाधिकारों के उल्लंघन का मुद्दा उठाया। आज ये मुद्दे मीडिया और पत्रकारिता बिरादरी के दिलों-दिमाग से गायब हो गए हैं।
दिवंगत कप्तान दुर्गा प्रसाद चौधरी साहब की 30वीं पुण्यतिथि न केवल कप्तान साहब को श्रद्धांजलि देने का अवसर है, बल्कि दैनिक नवज्योति अखबार के माध्यम से उनके जबरदस्त मिशनरी और दूरदर्शी कार्यों और पत्रकारिता की मिशनरी भावना की शिक्षाओं को याद करने और उनका पालन करने का भी दिन है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)
डॉ. कमलेश मीणा, सोशल मीडिया लेखक, मीडिया विशेषज्ञ, तर्कसंगत विचारक, संवैधानिक अनुयायी, राजनीतिक, सामाजिक, स्वतंत्र आलोचक, आर्थिक और शैक्षिक विश्लेषक। ईमेल:kamleshmeena@ignou.ac.in मोबाइल: 9929245565