लेखिका : ममता सिंह राठौर
कानपुर, गाजियाबाद
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प्यार का दरवाजा खोल के तो देखो
रंग खुशबुओं के घोल के तो देखो
जियो जिंदगी दिल खोल के देखो
तमाम हौसलों को बुला के तो देखो
किसी किरदार, किसी के नसीब को न देखो
देखना ही है तो पहले खुद को देखो
जो मिला उसको खुश होकर के देखो
जो न मिला उसपे अफसोस न देखो
हम है तो किरदार ही अपने रोल को देखो
चलते -चलते कभी टटोल के देखो
हिसाब - किताब की उलझनों को छोड़ के तो देखो
कभी श्याम की मुरली और मधुमास देखो