तरन्नुम के शहंशाह मोहम्मद रफ़ी साहब को शिद्दत से याद किया

42वीं बरसी पर अनेक लोगों ने मोहम्मद रफ़ी तरानों से समा बांधा 

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जयपुर। मोहम्मद रफ़ी फैन्स क्लब व आरी तारी दस्तकार संस्थान के जानिब से तरन्नुम के शहंशाह मोहम्मद रफ़ी साहब की 42वीं बरसी उन्हीं के गीतों को गाते-गुनगुनाते हुए मनाई गई। संचालक शकील जयपुरी ने मोहम्मद रफी की शख्सियत और गायकी परतफसील से रोशनी डाली। 

इस अवसर पर अबुल कलाम ने गीत दिल का सूना साज़ तराना ढूंढेगा... आज पुरानी राहों से कोई मुझे आवाज़ न दे... गाकर समां बांध दिया। ज़ाकिर हुसैन ने  याद न जाऐ बीते दिनों की..., चांद मलिक ने : तू इस तरह से मेरी ज़िन्दगी में शामिल है...,  शाहिद अन्सारी ने : तुमने किसी की जान को...,  सुनाकर प्रोग्राम की रोनक़ बढ़ादी। इस अवसर पर डिप्टीमेयर हैरिटेज जयपुर नगर निगम के असलम फारूकी ने खूबसूरत गीत भी सुनाया और सभी मेहमानों का शुक्रिया अदा किया। प्रोग्राम के सदर (अध्यक्ष) फहीम अन्सारी ने फूलमालाएं पहना कर श्रोताओं का इस्तकबाल (स्वागत) किया। आज़म ख़ां ने गायकों को मोमेंटो देकर सम्मानित किया। संयोजक फीरोज़ आलम ने (सोशल मीडिया) गायकों को तोहफे भी देकर उनका उत्साह बढ़ाया। मंच संचालन जानेमाने शायर, अनाउंसर शकील जयपुरी ने किया।