जयपुर (राजस्थान)
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कर्मरत सदा रहे
रक्खे स्वाभिमान
देकर के सम्मान ही
मिल पाता है मान।
निज जीवन मे सारथी
बनकर के भगवान
देते साथ उसी का
जो कर्मवीर बलवान।
क्षमा, दया, करुणा प्रबल
रख धर्म, कर्म का मान
करे बिना ही परिश्रम
मिलता नही सम्मान।
जो होना है होकर रहे
करिए लाख जतन
बहता जल न रुक सके
न रुके चलती पवन।
जो सदा झुककर चले
पहुँचे अपने पंथ
अभिमान से अपयश मिले
कह गए साधु संत।
श्री कृष्ण के आदर्शों से जो मैंने अपने जीवन मे अपनाया वही इन दोहो में रचा है। भगवान सबके सारथी बनकर सबको मार्गदर्शन दें, यही कामना है।\आपको श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर हार्दिक शुभकामनाएं।