बिश्नोई समाज ने वन्य जीव रक्षा हेतु मुख्यमंत्री गहलोत को सौंपा ज्ञापन : हीरालाल बिश्नोई

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जयपुर। अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरालाल बिश्नोई ने शोपुर मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए 8 चीतों को भोजन हेतु हिरण जिंदा बाड़े में डालने की निंदा करते हुए कहा है कि इससे पूरा विश्नोई समाज आहत है तथा इस अबोध पशु की कि जा रही निर्मम हत्या को रोकने के लिए समाज कुछ भी कुर्बानी देने की तैयारी में है। उन्होंने कहा कि इतिहास साक्षी है कि विश्नोई समाज ने खेजड़ी के वृक्ष और हिरण सहित अन्य जीव जंतु को बचाने के लिए सैकड़ों लोगों की कुर्बानी दे दी थी।

आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन में पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि इस मामले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्री को ज्ञापन भेजा जा चुका है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी समाज के एक शिष्टमंडल ने बुधवार को ज्ञापन दिया है राज्य के वन पर्यावरण मंत्री हेमाराम चौधरी को भी ज्ञापन दिया गया है। विश्नोई ने बताया कि मुख्यमंत्री गहलोत और वन पर्यावरण मंत्री हेमाराम चौधरी इस पूरे घटनाक्रम और चीतो द्वारा निर्ममता से हिरण के किए जा रहे शिकार के वीडियो देखकर व्यथित हो गए हैं, और उन्होंने विश्वास दिलाया है कि इस संदर्भ में बिश्नोई समाज की भावना से केंद्र सरकार को अवगत कराया जाएगा और राजस्थान से इन चीतो के भोजन के लिए एक भी चीतल हिरण नहीं जाने दिया जाएगा।

महासभा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरालाल बिश्नोई ने बताया कि बिश्नोई समाज के गुरु जंभेश्वर भगवान के दिए गए सिद्धांतों पर चलते हुए पिछले 5 शताब्दियों से बिश्नोई समाज पर्यावरण प्रकृति एवं वन्यजीवों की रक्षा करता आ रहा है उन्होंने बताया कि खेजड़ी के वृक्ष बचाने के लिए 363 बिश्नोई समाज के महिला पुरुषों का बलिदान इतिहास में दर्ज है वही लगभग 200  बिश्नोई समाज के लोग जीव जंतु को बचाने के लिए शिकारियों के हाथों शिकार हो चुके हैं। 

उन्होंने कहा कि चीतो के लिए बंद दायरे में हिरण छोड़ा जाना उसकी निर्मम हत्या जैसा है समाज की सभी संस्थाएं साधु संत जीव रक्षा समिति जीव रक्षा सभा एवं महासभा इस संपूर्ण मामले में एक मत है और बीकानेर में होने वाले आगामी मुकाम के मेले में इस संदर्भ में ठोस निर्णय लिया जाएगा। बिश्नोई ने कहा कि विदेश से चीते लाने का निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण हैं और इससे भी ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण फैसला उनके भोजन के लिए हिरण को पेश करना है, उन्होंने इस संपूर्ण मामले में भाजपा नेताओं तथा वन्य जीव प्रेमी माने जाने वाली मेनका गांधी की चुप्पी आश्चर्यजनक है।