भारत जोड़ो यात्रा राहुल गाँधी का नया अवतार

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लगभग एक महीना पहले जब  कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने दक्षिण भारत स्थित  कन्याकुमारी से अपनी भारत छोड़ो आरंभ की थी, इसके उद्देश्य और सफलता को लेकर कई प्रकार की बातें कही गयी थी। हालाकिं  कांग्रेस के नेताओं को पूरा विश्वास था की पांच महीने तक चलने वाली यह यात्रा पार्टी के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ेगी लेकिन विपक्ष, विशेषकर बीजेपी, ने इस यात्रा को एक नाटक बताया था और यह कहा था कि इस यात्रा से कमजोर होती कांग्रेस को कोई नया जीवन नहीं मिलेगा।  

लेकिन एक महीने बाद यह यात्रा रोज नए आयाम स्थापित करती नज़र आ रही। राहुल गाँधी का विवादों से नाता रहा है इसलिए इस यात्रा के दौरान भी वे कुछ विवादों में आये लेकिन इसके बावजूद यात्रा सामान्य रूप से जारी रही। यात्रा के शुरू में इसने लोगो को अपेक्षित रूप से आकर्षित नहीं किया। लेकिन जैसे ही   इस यात्रा ने केरल में प्रवेश किया लोगो का हजूम इससे जुड़ता चला गया। इस यात्रा में भाग लेने के लिए पार्टी के केंद्रीय स्तर पर 120 लोगों का चयन किया गया था। यह कहा गया था यात्रा जिस राज्य में से गुजरेगी उसके नेता भी इसमें शामिल होंगे। केरल और कर्नाटक में यात्रा जहाँ से गुजारी, वहां वहां लोगों ने न केवल इसका स्वागत किया बल्कि कुछ दूरी तक इसके साथ भी चले। ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं में राहुल गाँधी के साथ चलने और उनके साथ सेल्फी लेने के होड़ लगी रही। इस यात्रा का एक बड़ा उद्देश्य पार्टी के नेताओं को आम व्यक्ति से जोड़ना है तथा अब तक इसमें यह पूरी तरह सफल होती नज़र आती है। 

उत्तर भारत में जहाँ कांग्रेस हाल के वर्षों में कुछ कमजोर नज़र होती नज़र आती हैं वहीं दक्षिण में अभी भी इतनी कमज़ोर नहीं हुई है। इस यात्रा का मार्ग तय करते समय इस बात का ध्यान रखा गया था कि इस पार्टी को राजनीतिक रूप से लाभ मिले। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को केरल में 20 लोकसभा सीटों में से 18 सीटें मिली थी। इसमें वह वायनाड की वह सीट भी शामिल थी जहाँ से राहुल गाँधी  जीते थे। इसी के चलते पार्टी के नेताओं में यह आत्मविश्वास था कि 2021 के शुरू में राज्य में होने वाले विधान सभा चुनावों में वह वाम मोर्चे को पराजित कर सत्ता में पर काबिज़ होगी। लेकिन पार्टी की आन्तरिक कलह के चलते पार्टी चुनाव हार गयी। इसके बाद से यह तय  हुआ कि पार्टी संगठन को मजबूत किया जाये। इसके अंतर्गत यह तय हुआ था कि केरल में यात्रा का कार्यक्रम 18 दिन का होगा। इस यात्रा के दौरान राहुल गाँधी को न केवल बड़ी संख्या में लोगों से मिलने का मौका मिला बल्कि जमीन से जुड़े पार्टी के कार्यकर्तायों पार्टी की कमजोरियों के बारे में वास्तविक जानकारी मिली। इस फीडबैक के आधार पर ही पार्टी का नेतृत्व आने वाले लोकसभा चुनावों में पार्टी के उम्मीदवारों के चयन की रणनीति बनाएगा। 

कर्नाटक में कांग्रेस 2018 तक सत्ता में थी। लेकिन तब हुए विधान सभा चुनावों में  पार्टी अपने बल पर सत्ता में फिर आने से चूक गई। राज्य में इसने जनता दल (स) के साथ मिलकर सरकार बनाई जो एक साल से अधिक नहीं चल पाई। अब यहाँ अगले साल के शुरू में होने वाले हैं इसलिए अभी से इसकी तैयारियां शुरू हो गई है।  225 सदस्यों वाली विधान सभा में कांग्रेस के पास 76 सीटें है। इसलिए पार्टी के नेताओं को विश्वास है कि अगर अभी से पूरा जोर लगाया जाये तो पार्टी यहाँ सत्ता में आ सकती है। इसलिए सबसे से अधिक ध्यान पार्टी के भीतर की गुटबंदी को काबू करने की ओर लगाया जाये। वर्तमान  में बीजेपी सरकार की छवि उतनी अच्छी नहीं जितनी की अपेक्षित थी। इन सबको देखकर यह तय किया था की भारत जोड़ो यात्रा यहाँ कम से कम 20 दिन तक रहेगी। यात्रा में जिस प्रकार से भीड़ जुट रही है उसको देखते हुए यह अंदाज़ लगाया जा सकता है कि कांग्रेस का ग्राफ ऊंचा जा रहा। मैसूरू में राहुल गाँधी की सभा के दौरान अचानक भारी वर्षा शुरू हो गई। आयोजकों को भय हुआ कि इसमें जुटी भीड़ जल्दी ही तितर-बितर हो जायेंगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लोग सभा में जुटे रहे है और इसी वर्षा में राहुल गाँधी पूरे जोश से अपना भाषण दिया। इसके बाद से यात्रा के आयोजकों में एक नया उत्साह भर गया है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने निजी विचार हैं)

लेखक : लोकपाल सेठी

(लेखक, वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)