लेखक : डॉ. सत्यनारायण सिंह
(लेखक रिटायर्ड आई. ए. एस. अधिकारी है)
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हमारे पर्यावरण की स्थिति प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग के कारण दिन प्रतिदिन गिरती जा रही है। बेहतर भविष्य के लिए, पर्यावरण की सुरक्षा के लिए विकास को बढ़ावा देना है। पर्यावरण बचाओं, जीवन बचाओं, पृथ्वी बचाओं, धरती को स्वर्ग बनाना है पर्यावरण दिवस मनाना है। इसी उद्देश्य के साथ 1972 से 100 देश मिलकर प्रतिवर्ष 5 जून के विश्व पर्यावरण दिवस मनाते है। वार्षिक कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र के द्वारा घोषित विशेष थीम विषय पर आधारित होता है। पर्यावरण के बारे में जागरूकता और प्रोत्साहन देने हेतु सकारात्मक सार्वजनिक गतिविधियां वार्षिक अभियान का अंग रहती है। सन् 2020 की थीम ”जैव विविधता का जश्न मनाये दशकों से विलुप्त पौधे व जानवरों की प्रजातियों का बचाना है।“
विश्व पर्यावरण दिवस 2021 की थीम है ”सब मिलकर फिर से कल्पना करें, फिर से बनायें, फिर से पुर्नस्थापित करें।“ दिवस को मनाने का 8 देश पर्यावरण के मुद्धों के बारे में आम लोगों को जागरूकता फैलाने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। विभिन्न समाज एवं समुदायों के आम लोगों को पर्यावरण सुरक्षा उपायों में सक्रिय एजेन्ट बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है तथा सुरक्षित, स्वच्छ व अधिक समृद्ध भविष्य का आनन्द लेने के लिए, आसपास के परिवेश को सुरक्षित और स्वच्छ बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
पर्यावरण के मुद्धे, भोजन की बरबादी व नुकशान, वनों की कटाई, ग्लोबल वार्मिंग का बढ़ना, इत्यादि को बताने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की शुरूआत की गयी थी। पर्यावरण संरक्षण के दूसरे तरीकों सहित बाढ़ व अपरदन से बचाने के लिए सौर जल तापक, सौर स्त्रोतों के माध्यम से ऊर्जा उत्पादन, नये जल निकासी तंत्र का विकास, प्रवरल भित्ति को बढ़ावा, मैनग्रोव का जीर्णोद्वार आदि के इस्तैमाल के लिए आम लोगों को बढ़ावा देना, सफलतापूर्वक कार्बन उदासीनता को प्राप्त करना, जंगल प्रबन्धन पर ध्यान देना ग्रीन हाउस गैसो का प्रभाव घटाना, बिजली उत्पादन के लिए हाइड्रो शक्ति का इस्तैमाल, निम्नकृत भूमि पर पेड़ लगाने के द्वारा बायो ईंधन को उत्पादन को बढ़ावा देनें पर जोर रहा है।
पर्यावरण दिवस के मुख्य स्लोगन है। ”धीर तो जीवन योग्य बनाना है, धरा को हरा-भरा बनाना है, पर्यावरण को सुरक्षित बनाना है, धरती को स्वर्ण बनाना है, देश को स्वच्छ बनाना है, पेड लगाकर महान बनाना है, पर्यावरण का महत्व सबकों समझाना है, धरती को प्रदूषण मुक्त बनाना है।“
2021 का तीन मुख्य संदेश है। अगर हम पर्यावरण का नाश करेंगे तो हमारे पास समाज भी नहीं बचेगा, मानव जीवन खतरे में, हम सब की समझदारी इसमें हैं कि पेड लगायेंगे, पेड बचायेंगे, पर्यावरण सुरक्षा की जिम्मेदारी लेंगे, अपनी दुनिया को साफ और हरा रखेंगे, स्वच्छ शहर, ग्रीन सिटी, विज्ञान का कद इतना नहीं बढ़ाओंगे कि पर्यावरण प्रदूषण करके प्राकृतिक आपदाओं से बच जाओंगे। पर्यावरण प्रदूषण फैलाकर प्राकृतिक आपदाओं से कैसे बच पाओंगे। यह भी स्पष्ट संदेश है कुछ भी नहीं होगा केवल विश्व पर्यावरण दिवस मनाने से, पर्यावरण शुद्ध व स्वच्छ होगा, पेड लगाने से घर से अच्छा दुनिया में कोई जगह नहीं है।
पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमति इन्दिरा गांधी ने ”पर्यावरण की बिगड़ती स्थिति एवं उसका विश्व के भविष्य पर प्रभाव विषय पर कहा था, पर्यावरण सुरक्षा को दिखा में यह भारत का प्रारम्भिक कदम है, हम प्रतिवर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाते है, उसकी सफलता सुनिश्चित करने के साथ सालभर काम करते है।“ पर्यावरण संरक्षण अधिकतम 19 नवम्बर 1986 से लागू हुआ, जलवायु, भूमि इन तीनों से सम्बन्धित कारक तथा मानव, पौधे, सूक्ष्म जीव, अन्य जीवित पदार्थ आदि पर्यावरण के अन्तर्गत आते है।
2021 की थीम परिस्थिति तंत्र की बहाली मुख्य है तालाब, नदी, पोखर को प्रदूषित वहीं करें, जल का दुरूपयोग नहीं करते तथा इस्तेमाल बाद बन्द करें, बिजली का अनावश्यक उपयोग को बदं रखें। कूड़ा-कचरा को डस्टबिन में फैके और दूसरों को इसके लिए प्रेरित करें, इससे प्रदूषण नहीं होगा। प्लास्टिक और पॉलिथिन का उपयोग बंद करें और उसके बदले कागज क बनें झोले या थेले का प्रयोग करें। पशु-पक्षियों के प्रति दया भाव रखें, नजदीकी कामों के लिए साईकिल का उपयोग करें।
सम्पूर्ण मानवता का अस्तित्व प्रकृति पर निर्भर है। इसलिए एक स्वस्थ एवं सुरक्षित पर्यावरण के बिना मानव समाज की कल्पना अधूरी है। प्रकृति को बचाने के लिए संकल्प लेना होगा, वर्ष में कम से कम एक पौधा अवश्य लगायें और उसे बचाए तथ पेड-पौधो के संरक्षण में सहयोग करें। घर की बालकॉनी, क्यारी, गमले, बगीचे से पौधे को ध्यान से देखें उनका पालन पोषण करें, अपने समूह में चिंतन, मनन, विमर्श करें।
राष्ट्रपति बाइडन ने अर्न्तराष्ट्रीय समझोते के समय सही कहा था कोई भी राष्ट्र अकेले ही जलवायु परिवर्तन की समस्या का समाधान नहीं कर सकता हर देश को समाधान का हिस्सा बनना होगा, हम एक दूसरे पर निर्भर है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)