तिरुपति मंदिर की अकूत सम्पति : लोकपाल सेठी

लेखक : लोकपाल सेठी

(वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं राजनीतिक विश्लेषक)

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देश के दक्षिण में आंध्र प्रदेश में स्थित तिरुमाला तिरुपति मंदिर देश का सबसे अधिक सम्पति वाला मंदिर माना जाता, यह अरबों में मानी जाती है। 1933 के बाद से तिरुमाला पर्वत पर स्थित इस मंदिर की सम्पति का अधिकारिक रूप से विवरण कभी नहीं दिया गया। यहाँ चढ़ावे के रूप में आने वाली नगदी, जिसे हुंडी कहा जाता है, और भगतो द्वारा दिए जाने वाले सोने के आधार पर ही इस मंदिर की सम्पतियों का मोटे रूप से अंदाज़ लगाया जाता रहा है। 

इस मंदिर का प्रबंधन तिरुमला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। हाल ही में इस ट्रस्ट द्वारा अपनी सम्पतियों का अधिकारिक विवरण जारी किया गया। इस विवरण के अनुसार ट्रस्ट के बैंक खातों में जो धन और सोने के अलावा जो संपतियां उनका मूल्य 2.12 लाख करोड़ रूपये है। 

ट्रस्ट के पास कुल मिलाकर लगभग 13 टन सोना है। जिसमें से लगभग 10 टन सोना सरकारी बैंको के पास जमा है शेष सोना भगवान व्यंकटेश्वर के गहनों के रूप है।  इनमें से बहुत से ऐतिहासिक महत्व के हजारों साल पुराने गहने भी शामिल जिनकी कीमत का मूल्याकन नहीं किया जा सकता। केवल पिछले तीन साल में ही मंदिर को चढ़ावे के रूप में लगभग 3 टन सोना मिला है। ट्रस्ट की  लगभग 16000 करोड़ रूपये की राशि बैंको में जमा है या इसे इन्वेस्ट किया गया  है। ट्रस्ट के पास देश के विभिन हिस्सों में 7000 एकड़ से अधिक जमीन है। 

ट्रस्ट एक विश्विद्यालय के अलावा कई कालेज और अस्पताल चलाता है। इस मंदिर में लगभग एक लाख भक्त दर्शन के लिए नित्य रूप से आते हैं। उत्सवों  के समय यह संख्या 3 से 4 लाख हो जाती है। सामान्य श्रेणी के भगतों को मंदिर के गर्भ गृह में पहुचने के लिए घंटों लग जाते हैं। जिन भगतों के पास धन है वे टिकट खरीदकर मंदिर में पहले प्रवेश कर सकते है। इस तरह के विशेष दर्शन की टिकट 3,000 रूपये तक की होती है। यहाँ तक की मंदिर से प्रसाद  के रूप में मिलने वाले लड्डू के भी पैसे लिए जाते है। अपनी मन्नत पूरी होने पर बड़ी संख्या में भक्त, जिनमें महिलाएं भी शामिल है, अपने सिर के बाल भगवान् को  चढ़ाती है। सिर के बाल उस्तरे से उतारने के लिए अलग से एक बड़ा हाल बना हुआ हुआ है। ये बाल ऐसे ही नहीं फैंक दिए जाते। इन बालों को इक्कठा किया जाता है और  इसे बेचा जाता है। इससे ट्रस्ट को सालाना करोडो रूपये की राशि मिलती हैं। इन बालों से गंजों के लिए विग बनाने वाले खरीदते है। हाल ही में   ट्रस्ट ने सीनियर सिटीजनो के लिए मुफ्त दर्शन की व्यवस्था की है। उनसे प्रसाद के लड्डू की कीमत भी नहीं ली जायेगी। लेकिन दर्शन के लिए आने वाले सीनियर सिटीजन की संख्या बहुत कम निर्धारित की गई है। रोजाना अधिकतम 700 सीनियर सिटीजन ही इस सुविधा का लाभ उठा सकते है इस मंदिर में दर्शन करने की व्यवस्था को बहुत अच्छा माना जा सकता है। दर्शन ओन लाइन दर्शन का दिन और समय बुक करवा सकते हैं। इसके चलते भगतों का दर्शन के लिए अधिक समय तक इंतजार  नहीं करना पड़ता। 

हाल तक ट्रस्ट केवल इसी एक मंदिर का प्रबंधन करता आ रहा था। देश  का कोई ऐसा भाग नहीं जहाँ से भगत लोग इस मंदिर में नहीं आते हो। दूर से आने वालों को न केवल यहाँ आने में अधिक समय लगता है बल्कि पैसा भी अधिक करना पड़ता है। कुछ वर्ष पूर्व ट्रस्ट ने देश के अन्य भागों में भी तिरुपति मंदिर, जिन्हें बाला जी मंदिर अथवा भगवान् व्यंकटेश्वर मदिर भी कहा जाता है, निर्मित करने की बड़ी योजना शुरू की। चूँकि ट्रस्ट के पास धन की कमी नहीं इसलिए इसी तरह के और मंदिर बनाना कोई कठिन काम नहीं। शुरू में ऐसा मंदिर पडोसी राज्य कर्नाटक की  राजधानी  बंगलुरु में बना। फिर एक ऐसा ही एक बड़ा मंदिर विशाखापटनम बनना शुरू हुआ। अगला मंदिर शीघ्र ही ओडिशा में बनकर तैयार हो जायेगा। ट्रस्ट की योजना के अनुसार देश के विभिन्न भागों में  कम से कम 50 तिरुपति मंदिरों का  निर्माण किया जायेगा। ट्रस्ट को हाल ही जम्मू में राज्य सरकार दवारा 60 एकड जमीन उपलब्ध करवाई गई है। इस योजना में ट्रस्ट दवारा ऐसे स्थानों को चुनने में प्राथमिकता दी गई जहाँ पहले से ही हिन्दू आस्था वाले मंदिर हैं। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)