लेखक : डाॅ. सत्यनारायण सिंह
(लेखक रिटायर्ड आईएस अधिकारी हैं)
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महात्मा गांधी की बात तो सभी लोग करते है, लेकिन जिन्होंने महात्मा गांधी को अपने जीवन में आत्मसर्पण किया है, उन चंद नेताओं में है अशोक गहलोत। इस जमाने में अशोक गहलोत जैसा गांधीवादी होना, एक सपने जैसा लगता है।
अशोक गहलोत जब भी सत्ता में होते हैं, उनके सामने अपनी विकास योजनाएं बनाने में महात्मा गांधी की वही कसौटी होती है, जिसमें यह देखा जाता है कि पंक्ति में सबसे पीछे खडे़ आदमी तक उसका लाभ पहुंचेगा या नहीं? मुख्यमंत्री बनते ही कांग्रेस का घोषणा-पत्र मुख्य सचिव को थमा दिया जो नौकरशाहीं के लिए एक बाहूबल की तरह हो गया।
अशोक गहलोत ने हर कदम पर अपने राजनीतिक कौशल का परिचय दिया है। पंजाब चुनाव, गुजरात चुनाव और कर्नाटक में हुए चुनावी दाव पेंच में उनकी भूमिका ने उन्हें देश के पहली पंक्ति के नेताओं में लाकर खड़ा कर दिया है। पार्टी और प्रदेश की जनता उन्हें अब नई आशा की निगाहों से देख रही है। वे सही मायने में जननेता है। बुरे दिन देख चुकी कांग्रेस में उनका जादू अब सिर चढ़ कर बोल रहा है। अशोक गहलोत सच में जादूगर है। ऐसे जादूगर, जिन्होंने हमेशा गरीब आदमी को केन्द्र में रखकर अपने जादू की पट कथा लिखी है।
अशोक गहलोत ऐसी झक्क सफेद कमीज की तरह है, जिस पर कभी दाग नहीं लगा और दाग लगाने की कोशिश की गई तो दागों ने लगने से मना कर दिया। एक बार तो लोगों ने कहा कि उनके नाम पर होटल हैं। तब उन्होंने आरोप लगाने वालों को चुनौती दी -लाइए कागज लाइए, आपके नाम होटल कर देता हूं।
अशोक गहलोत को ताम-झाम पसंद नहीं है। वे शादी के महंगे और भव्य कार्ड पाकर खुश नहीं होते, बल्कि दुखी होते हैं। वे अपनी कार में पारले-जी के बिस्किट साथ लेकर चलते है और सड़क किनारे ढ़ाबों पर कड़क चाय पीना उन्हें पसंद है। छुरी-कांटे की इस सभ्यता में उन्हें प्याले की चाय प्लेट में डालकर पीते हुए देखा जा सकता है। राजनीतिक रूप से वे सजग और सचेत है। इस बारे में गुर्जर आन्दोलन के प्रणेता कर्नल किरोड़ीलाल बैंसला कहते है-‘अशोक गहलोत को कोई दूध भी पिलाए तो पहले वे उसे बिल्ली को पिलाकर देखेंगे, उसके बाद खुद पीऐंगे’।
अशोक गहलोत का राजनीति में जादू चलता है। यह गांधीवादी सादगी का जादू है। यह रेत के धोरों से निकल कर राजधानी के राजनीति के चमचमाते गलियारों में खम ठोक कर खड़े हो जाने जैसी कहानी है, जो किसी जादूई करिश्में से कम नहीं है। इसी के चलते अशोक गहलोत आज केवल कांग्रेस का ही एक बड़ा चेहरा नहीं है, बल्कि आम लोगों के बीच उनकी एक जननेता की छवि बन चुकी है। राजनीति के विभत्स जंगल में वे खुशबूदार हवा के झोंके की तरह आए है।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का कार्यालय के अन्दर प्रेस काॅन्फ्रेस चल रही थी। डाॅयस पर बैठे थे अशाक गहलोत, सचिन पायलेट, भंवर जितेन्द्र सिंह, रणदीप सुरजेवाला, अविनाश पाण्डे आदि। अंग्रेजी का एक संवाददाता अशोक गहलोत से सवाल पूछता है ’यह बताइए’ कौन बनेगा मुख्यमंत्री? कुछ क्षणों के लिए शांति गई। अशोक गहलोत बोलते है- कौन बनेगा करोड़पति? यह पहले पता चल जाता है क्या? ठहाके गूंजते है। प्रेस का काॅन्फ्रेस का संचालन कर रहे रणदीप सुरजेवाला उस जवाब को और ऊंचाई पर ले जाते हुए कहते है “इसे कहते हैं धोनी का हेलीकाॅप्टर शाॅट”। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)