नेहरू बाल साहित्य अकादमी ने की "बाल साहित्य मनीषी" पुरस्कारों की घोषणा

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जयपुर। पं.जवाहरलाल नेहरु बाल साहित्य के अध्यक्ष इकराम राजस्थानी ने बताया कि पंडित जवाहरलाल नेहरू के नाम से बनी देश की पहली बाल साहित्य अकादमी ने पहली बार प्रदेश और देश के पांच वरिष्ठ लेखकों को "बाल साहित्य मनीषी"पुरस्कारों हेतु चुना है। इकराम राजस्थानी ने बताया कि अकादमी द्वारा पांच बाल साहित्य मनीषियों  द्वारा उनके बाल साहित्य में दिए गए व्यापक योगदान और जीवन भर की उनकी साधना को ध्यान में रखकर उनका चयन किया गया है। अकादमी ने उदारता पूर्वक अपनी दृष्टि राष्ट्रीय फलक तक पहुंचाई है इसलिए जहां चार बाल साहित्य मनीषी राजस्थान से लिए गए हैं वहीं एक बाल साहित्य मनीषी का चयन राज्य के बाहर से किया गया है। 

बाल साहित्य मनीषी के रूप में सर्वप्रथम जयपुर की वरिष्ठ साहित्यकार 85 वर्षीय श्रीमती माधुरी शास्त्री जयपुर निवासी का हुआ है। श्रीमती माधुरी शास्त्री बाल साहित्य के क्षेत्र में पांच दशकों लगातार लिख रही हैं और वे 70 से अधिक किताबें लिख चुकी हैं, इसी गुणवत्तापूर्ण लेखन के लिए  उनका चयन हुआ है। श्रीमती माधुरी शास्त्री हिन्दी की सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। इनकी ख्याति बाल साहित्य की अग्रणी लेखिका के रूप में हैं। आपके बाल साहित्य पर उपन्यास, कहानी संग्रह, कविता संग्रह,पहेलियाँ, रूपक, एकांकी, विज्ञान कथा,बाल गीत ,महापुरूषों की जीवनी आदि पर आपकी पुस्तकें प्रतिष्ठित प्रकाशनों से प्रकाशित हो चुकी हैं। देश की राष्ट्रीय स्तर की प्रतिष्ठित बाल पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ निरंतर प्रकाशित हो रही हैं।

आपको राजस्थान साहित्य अकादमी से सम्मानित किया जा चुका है। राजस्थान ब्रज भाषा अकादमी द्वारा आपके कृतित्व पर 1998 में आप के व्यक्तित्व और कृतित्व पर मोनोग्राम प्रकाशित हो चुका है। आप अनेक पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकी हैं।

इस क्रम में अगला नाम मेड़ता सिटी नागौर के चांद मोहम्मद घोषी का है इनको भी बाल साहित्य मनीषी पुरष्कार के लिए चुना गया है । श्री घोषी राजस्थान के राजस्थान सहित देश भर की पत्र-पत्रिकाओं में बाल साहित्य की रोचक कथाओं को चित्रकला शैली में बहुत ही आकर्षक और मनोरंजन बच्चों के लिए चित्र बना कर छपते रहे हैं और उन्हें देश भर में खूब सराहा गया है। चांद मोहम्मद घोसी, एक कला धर्मी, बहु आयामी सृजनात्मक रचनाकार है. जिन्होंने राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर  प्रेरक चित्र कथाओं, बाल पहेलियों,  रेखा चित्र एवं बाल कविताओं के माध्यम से अपनी गौरवशाली पहचान बनाई है। पत्र-पत्रिकाओं सहित आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर भी इनकी प्रतिभा देखने को मिलती रही है. कई राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं ने समय-समय पर इन्हें विभिन्न पुरस्कारों से नवाजा है।

जयपुर के  वरिष्ठ साहित्यकार बहुमुखी प्रतिभा के धनी अनेक महत्वपूर्ण पुस्तकों के लेखक और पुरस्कार प्राप्त डा. प्रबोध कुमार गोविल ने बाल साहित्य लेखक के रूप में भी खासी ख्याति अर्जित की है आपको भी बाल साहित्य मनीषी पुरस्कार हेतु चुना गया है। आपको बाल साहित्य विधा की विभिन्न विधाओं के सशक्त योगदान के लिए इस पुरस्कार हेतु चुना गया है। आपकी संपादित पुस्तक "याद रहेंगे देर तक"। इसमें बच्चों से अपने आदर्श शिक्षकों के बारे में संस्मरण लिखवाए गए हैं। स्वं रचित पुस्तक "अपना बोझा अपने कंधे" भी बच्चों के लिए लिखे गए आत्म निर्भरता के निबंधों का संकलन ही है जिसे बाद में प्रौढ़ शिक्षण में पढ़ाने के लिए चुना गया। 

बच्चों के लिए लिखे गए बाल उपन्यास "उगते नहीं उजाले" के लिए आपको उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ने "सूर पुरस्कार" प्रदान किया। यह पुस्तक हिंदी और अंग्रेजी में छपी। आपका एक बाल साहित्य की पुस्तक "मंगल ग्रह के जुगनू" कुल सात भागों में है जो पिछले सात वर्षों से लगातार छप रही है। इस किताब में मंगल ग्रह के दो काल्पनिक जुगनुओं का वर्णन है जो प्रतिवर्ष धरती पर कुछ समय के लिए घूमने आते हैं और इस तरह यहां के अपने कुछ बाल मित्रों (विभिन्न जीव- जंतु तथा कुछ बच्चे) के साथ विभिन्न गतिविधियों में विचरण करते हैं। यह श्रृंखला काफ़ी लोकप्रिय है और इसके अंकों की व्यापक समीक्षा समय- समय पर देश की प्रतिष्ठित बाल- पत्रिकाओं ने की है। यह पुस्तक कई विद्यालयों में विद्यार्थियों के बीच भी वितरित की जाती है।

बाल साहित्यकार एवं लेखक दिल्ली निवासी डॉ. दिविक रमेश को बाल साहित्य मनीषी पुरस्कार के लिए चुना गया है। उल्लेखनीय है कि डा. दिविक को पूर्व में भी केन्द्रीय साहित्यअकादमी  से बाल साहित्य पुरस्कार मिल चुका है। दिविक  रमेश हिंदी के सुप्रतिष्ठित कवि, बाल-साहित्यकार, अनुवादक और चिंतक हैं। 1946 में, गांव किराड़ी (दिल्ली) में  जन्मे डा. दिविक ने विविध विधाओं में लगभग 85 पुस्तकें प्रकाशित हैं जिनमें 14 कविता-संग्रह, काव्य-नाटक ‘खण्ड-खण्ड अग्नि’, बाल साहित्य (कविता कहानी, नाटक, संस्मरण)  की लगभग 50  पुस्तकें, एक कहानी संग्रह और आलोचना-शोध की 8 पुस्तकें हैं| देश-विदेश के विश्वविद्यालयों के पाठयक्रमों में रचनाएँ सम्मिलित हैं। आपको साहित्य अकादेमी का बाल-साहित्य पुरस्कार(1918), सोवियत लेंड नेहरू पुरस्कार, गिरिजा कुमार स्मृति राष्ट्रीय पुरस्कार, हिंदी अकादमी, दिल्ली का साहित्यकार सम्मान, कोरियाई दूतावास का प्रशंसा-पत्र, एन.सी.ई.आर.टी का राष्ट्रीय बाल-साहित्य पुरस्कार, उ.प्र.हिंदी संस्थान का बाल भारती पुरस्कार आदि राष्ट्रीय- अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार-सम्मानों से सम्मानित हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के मोतीलाल नेहरू महाविद्यालय के प्राचार्य पद से सेवानिवृत हुए हैं आई.सी.सी.आर. (भारत सरकार) की ओर से दक्षिण कोरिया के हांगुक विश्विद्यालय में अतिथि आचार्य के पद पर काम कर चुके हैं। 

इकराम राजस्थानी ने बताया कि राजस्थान से जीन चार बाल साहित्य मनीषियों को चुना गया है उनके अकोला चित्तौड़ के वरिष्ठ बाल साहित्यकार  राजकुमार जैन राजन को भी इस हेतु चयन किया गया है। आप बहुमुखी प्रतिभा के अप्रतिम रचनाकार हैं। देश -विदेश की पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। बालसाहित्य सृजन, उन्नयन में समर्पित भाव से लगे हुए हैं। बाल साहित्य की 36 पुस्तकों सहित कुल 41 पुस्तकें प्रकाशित। 'पेड़ लगाओ', 'लाख टके की बात', 'सबसे अच्छा उपहार', 'बच्चों की सरकार', 'जन्मदिन का उपहार', 'मन के जीते जीत', 'रोबोट एक दिला दो राम' आपकी चर्चित बालसाहित्य कृतियाँ। कई पुस्तकों का पंजाबी, गुजराती, मराठी, असमिया, ओड़िया सहित, नेपाल से नेपाली में, श्रीलंका से सिंहली में अनुदित। आप कई पत्रिकाओं के संपादन से जुड़े हुए हैं। 12 पत्रिकाओं के बाल साहित्य विशेषांक आपके संपादन में प्रकाशित हुए हैं। 

अकादमी सचिव राजेन्द्र मोहन शर्मा ने प्रेस विज्ञप्ति बताया कि बाल साहित्य मनीषी पुरस्कार में सम्मानित किए जा रहे मनीषियों को ₹21000 की राशि श्री फल अभिनंदन पत्र भेंट किया जाएगा। कार्यक्रम मार्च के तीसरे सप्ताह में व्यापक तैयारी के साथ जयपुर में आयोजित होगा।