ख्वाजा साहब का 704 वां उर्स कुल की रस्म के साथ संपन्न
शैलेश माथुर की रिपोर्ट
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सांभरझील (जयपुर)। स्थानीय पुरानी धानमंडी स्थित ख्वाजा हुसामुद्दीन चिश्ती जिगर सोख्ता रहमतुल्ला अलेह का 704 वां उर्स सोमवार को दोपहर बाद अजमेर दरगाह दीवान की मौजूदगी में कुल की रस्म के साथ संपन्न हुआ। उर्स के आखरी रोज हजारों जायरीनों ने ख्वाजा साहब की चौखट चुमी, सभी की खुशहाली व अमन चैन के लिए दुआ मांगी। ख्वाजा साहब की मजार पर दिनभर चादर पेश करने वालों का भी तांता लगा रहा। उर्स के मुबारक मौके पर मुस्लिम समुदाय के नौजवानों व सीरत कमेटी की तरफ से जायरीनों के लिए छबील लगाई शरबत, पानी का इंतजाम किया गया। अंजुमन हुसैनिया इस्लामिया दरगाह कमेटी के ओहदेदारान व मेंबरान की तरफ से उर्स के संपन्न होने तक व्यवस्थाओं को बखूबी संभाला।
जावेद उर्फ मोहसिन खान ने बताया कि उर्स में सुबह 11:00 बजे कुल की महफिल शुरू हुई जिसके सदारत अजमेर दरगाह दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान साहब के उत्तराधिकारी जानशीन सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने की। दोपहर तीन बजे कुल की फातेहा हुई, जिसमे दीवान साहब की अमले की तरफ दस्तारबंदी की गई। कुल की फातेहा होने के बाद दीवान साहब मय अमले व अंजुमन हुसामिया इस्लामिया दरगाह कमेटी के पदाधिकारिय़ों के साथ आस्ताने में कुल की रस्म करने गए जहा आस्ताने में कुल की फातेहा के साथ मुल्क में अमन चैन की दुआ की गई। इसके बाद दरगाह खादिम अल्ताफ अहमद ने दीवान साहब की दस्तारबंदी की व कुल की रस्म अदा की गई।
इस मौके पर सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने उर्स के मौके पर संदेश दिया की यह मुल्क सूफी संतों का मुल्क है। सभी धर्म के सूफी संतों ने मोहब्बत का पैगाम दिया है। हम सभी की यह जिम्मेदारी बनती है की सूफी संतों के दिए गए पैगाम को मानना चाहिए साथ ही मोहब्बत सभी के लिए नफरत किसी के लिए नहीं। इससे पहले अजमेर दरगाह दीवान का अंजुमन हुसैनिया कमेटी के पदाधिकारियों, जिला पुनर संघर्ष समिति के संयोजक विवेक शर्मा, पूर्व चेयरमैन रहे मकरध्वज व्यास के पुत्र हिमांशु व्यास, तेरी दरवाजा रोड निवासी अब्दुल सईद, रब्बानी खान, पूर्व पार्षद सिराजुद्दीन मंसूरी, एम पटाखा वाले, मुस्तकीम खान सहित अनेक की तरफ से उनका इस्तकबाल किया गया।