धरा (कविता ): ममता सिंह राठौर

कविता 

लेखिका : ममता सिंह राठौर

कानपुर

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पहचान की बयानी लिख रही हूं

अपने किरदार की कहानी लिख रही हूं

हंसते चमकते निखरते ढलते रंग लिख रही हूं

बरसों बरस की ऊभन लिख रही हूं


सहजता, सरलता, और कुशलता लिख रही हूं

प्रेम, धैर्य और सौंदर्य की विषमता लिख रही हूं


लिखना यही कि स्वयं को लिख रही हूं

वेद से संवेद के अभेद लिख रही हूं

कथा व्यथा का परिपेक्ष लिख रही हूं


सच लिखूं तो क्या लिखूं 

अनवरत खेद लिखूं 

पिता लिखूं तो माँ लिखूं

पति के संग स्वयं लिखूं

स्वयं को जब धरा लिखूं तो भाग्य को प्रभा लिखूं