'ओम द हॉलिस्टिक कॉन्क्लेव' का अद्भुत आयोजन

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जयपुर। बदलते पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन का असर इस समय पूरे भारत देश के मौसम में दिखाई दे रहा है। इन्ही विषय को लेकर थर्ड आई न्यूज नेटवर्क और शख्सियत पत्रिका के संयुक्त तत्वाधान में साइंस पार्क शास्त्री नगर में दो दिवसीय 'ओम द हॉलिस्टिक कॉन्क्लेव' का अद्भुत आयोजन हुआ। इस आयोजन की खास बात यह रही कि इसमें आध्यात्म, विज्ञान, ज्योतिष वर्ग, सामाजिक संस्था के विद्वान जनों का अद्भुत संगम देखने को मिला। परिचर्चा में 8 सत्र आयोजित किए गए। 

जिसमें कार्यक्रम की शुरुआत श्री श्री 1008 अनंत विभूषित परम पूजनीय महामंडलेश्वर स्वामी संगम गिरी जी महाराज, बाबा जहर गिरी आश्रम, हरियाणा,  महंत मुकेशपुरी  महाराज, जूना अखाडा और  हाथोज़ धाम बालाजी सरकार के महंत, स्वामी बालमुकुंद आचार्य जी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। आयोजन में  ज्योतिष, वास्तु विद, ऊर्ज़ा विज्ञान विशेषज्ञ, आयुर्वेदिक व प्राकृतिक चिकित्सक के साथ ही खास तौर पर अमेरिका से आए डॉ विनोद साहनी ने पर्यावरण सरक्षणं पर अपने विचार प्रस्तुत किए जिसमे बढ़ते जलवायु परिवर्तन के कारकों पर मंथन हुआ। 

सभी ने माना की आज पेड़ लगाने के साथ ही साथ अगर उसके विस्तार तक हम उसकी सुरक्षा का भार भी उठाए। क्योंकि आज पेड़ लगाने के लिए जागरूकता बढ़ी है लेकिन सिर्फ उसके सुरक्षा पर ध्यान नहीं देने से वो कुछ ही समय में सूख जाते है या टूट जाते है। साथ ही जो लोग पेड़ नहीं भी लगा पा रहे तो कम से कम अपने दैनिक जीवन में चाहे कूड़ा निस्तारण की बात, हो, जल संरक्षण का विषय हो या वायु प्रदूषण का उसको प्रदूषित न करने का वचन ले। आध्यामिक रूप से वातावरण किस प्रकार आज बढ़ते डिप्रेशन की समस्या का भी हल हो सकता है। इसकी जागरूकता कैसे लोगो तक पहुंचे इन विषयों को भी प्रमुखता से मंच के माध्यम से रखा गया। 

आयोजक डॉ दीप्ति शर्मा ने कहा की कार्यक्रम के इस मंथन का अमृत जन जन तक तभी प्रभावशाली तरीके से लाभ दे सकता है जब देश के लोगो को स्वयं में जागरूकता लाकर इस विषय पर सबको साथ बढ़ना होगा। अक्सर ये देखा गया की कोरोना काल में जब प्रकृति पर मानव अत्याचार कम हुआ तो चाहे दिल्ली की यमुना हो या अलग अलग शहरों का प्रदूषण स्टार सब सामान्य हो रहा था। ये तब था जब हम इसके लिए पूर्ण रूप से जागरूक थे जो ऑक्सीजन पेड़ो द्वारा हमें मुफ्त मिलती है उसी की कमी से कितने परिवारों ने अपनी को खोया है। इसलिए जरूरी है की हर व्यक्ति अपनी प्रकृति में बदलाव लाएगा तो उससे समाज में बदलाव जरूर आएगा।