अपनी बेटी का ख्याल आया तो दिल कांप गया...
लेखक : नवीन जैन

स्वतंत्र पत्रकार, इंदौर (मप्र) 

www.daylife.page

यदि भगवान का भी कहीं अस्तित्व है, तो वे भी शायद भारत नाम के इस महान देश, जहां स्त्री शक्ति स्वरूपा, तथा मातृ स्वरूपा मानी जाती है, को आज के दारुण हालात से उबार नहीं सकते है। मैया सीता के अपहरण, और द्रोपदी के चीर हरण की वजह से जहां रामायण और महाभारत जैसे युद्ध हो गए थे, वहां महिलाओ की मणिपुर में नग्न परेड हो जाए, लोग भेड़ियों जैसे उनके बदन को नोच खाएं। फिर उन्हें परिजन सहित मार डाला जाए, और उस देश के बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाले प्रधानमंत्री उफ तक नहीं करें, तो उस देश को शायद उसी आदिम युग की ओर लौटना पड़ेगा, जब लड़कियों को पैदा होते ही मार दिया जाता था। स्मृति ईरानी ने एक बार रजत शर्मा के कार्यक्रम में बताया था, कि कितने संघर्षों के बाद वे इस मुकाम पर पहुंच पाई हैं। पूरा वाकया सुनकर धन्य हो गए थे मेरे जैसे तमाम लोग। गला तक रूंघ आया था। तभी याद आया था महान गायिका आशा भोसले का यह कथन कि नारी शक्ति का रूप है, और बिना नारी की शक्ति के शिव भी शव मात्र हैं। 

एक तरफ तो देश में महिलाएं पुरुषों को मात दे रही हैं लगभग हर क्षेत्र में, और हमारी महिला बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी हैं कि मणिपुर की सरकार को बचाने के लिए ओछे, और घटिया तर्क दे रही हैं। स्मृति जी को क्या मालूम नहीं कि इसी बीच राजस्थान में दलित युवती के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपियों को पुलिस ने कुछ घंटों में ही धर दबोचा था। कांग्रेस शासित राजस्थान पुलिस के एक आला अफसर द्वारा दिए गए बयान के अनुसार उक्त आरोपी भारछास के लोग हैं। उक्त युवा संगठन किस पार्टी की विचार धारा में विश्वास रखता है, यह बात अलग से बताने की जरूरत है क्या? 

स्मृति जी के संसद के विडियो इस बात के गवाह हैं कि उन्होंने अपना रौद्र रूप ज्यादा तर अंग्रेजी भाषा में ही दिखाया, ताकि आम आदमी कुछ समझ ही नहीं सके। कौन नहीं जानता कि इस देश में आज भी अंग्रेजी समझने वाले 10/12 फीसदी लोग ही बताए जाते हैं। भारत में तो मां दुर्गा ने असुरो का संहार करने के लिए शस्त्र उठाए थे। मणिपुर के दुष्कर्मी राक्षस नहीं तो और क्या थे? स्मृति जी अपना गुस्सा उन हैवानो के प्रति दिखाती, तो यह पूरा देश उनके चरण धोकर पी लेता, हज़ार बार पी लेता, लेकिन अब देश की तमाम बेटियां स्मृति ईरानी को याद तो करेंगी, लेकिन हर बार ज्यादा भूलने के लिए। 

कहा जाता है, कि स्मृति ईरानी ने एक अलग सा पुण्य कार्य और किया था। हाल में उनसे  चुनाव क्षेत्र अमेठी में एक पत्रकार ने उनसे कोई चुभता सवाल पूछ लिया। बताया जाता है कि स्मृति जी ने उक्त पत्रकार के मालिक को फोन किया, और उक्त बेचारे खबरची को अगले ही दिन नौकरी से हटा दिया गया। अब तो भाजपा का 2014 से बाजा गाजा बजा रहे रिपब्लिक टीवी के कथित तेजस्वी पत्रकार जिनकी सैलरी करीब एक करोड़ रुपए के आसपास बताई जाती है, अपने शो में बार बार कह रहे हैं कि संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत केंद्र सरकार मणिपुर के मुख्यमंत्री वीरेंद्र सिंह को बर्खास्त कर दे। 

ऐसा यदि केंद्र सरकार नहीं करती है तो हमारी महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के पास यह विशेषाधिकार है कि वे मणिपुर के पिछले लगभग सवा तीन महीने के घटनाक्रम की पूरी रिपोर्ट वहां के राज्यपाल से ले और मणिपुर में कानून व्यवस्था की बहाली के लिए उचित निर्देश दें। याद रखे , कि जब राजस्थान में जगन्नाथ पहाड़िया मुख्य मंत्री थे तब उन्होंने महान कवियित्री स्वर्गीय महादेवी वर्मा की कविताओं की उनके सामने ही (महादेवी जी) मजाक बना दी थी। स्वर्गीय पहाड़िया जी को यह मजाक इतनी महंगी पड़ी कि उन्हें स्वर्गीय इंदिरा गांधी (तत्कालीन प्रधानमन्त्री) के आदेश पर मुख्य मंत्री पद से तत्काल इस्तीफा देना पड़ा था, जबकि पहाड़िया कांग्रेस के दिग्गज नेता थे। मन बहुत भारी हो गया है और अंत में एक शेर याद आ रहा है- बदनीयत उठ रही थी एक जानिब की तरफ, अपनी बेटी का ख्याल आया तो दिल कांप गया। 

हो सके तो हमारी बाल महिला विकास मंत्री गूगल पर इस शेर को कृपया पढ़ लें। स्मृति जी पर कोई आरोप नहीं है, लेकिन उनकी जवाबदेही पर तो सवाल उठेंगे ही। काश ऐसा हो कि अब देश के किसी भी हिस्से में से किसी महिला या पुरुष को नंगा करके सड़कों पर नहीं घुमाया जाए और अगर ऐसा होता भी है तो अपने राजनीतिक फायदों से ऊपर उठकर संबंधित सरकारें ऐसे कठोर कदम उठाएं कि ऐसी पाशविक हरकतें करने की सोचने वालों तक की सात नस्लें भी ऐसा न करने की रोज और बार-बार कसम खांए। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)