सहायक क्षेत्रीय निदेशक, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, इग्नू क्षेत्रीय केंद्र भागलपुर, बिहार। इग्नू क्षेत्रीय केंद्र पटना भवन, संस्थागत क्षेत्र मीठापुर पटना। शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार।
एक शिक्षाविद्, स्वतंत्र सोशल मीडिया पत्रकार, स्वतंत्र और निष्पक्ष लेखक, मीडिया विशेषज्ञ, सामाजिक राजनीतिक विश्लेषक, वैज्ञानिक और तर्कसंगत वक्ता, संवैधानिक विचारक और कश्मीर घाटी मामलों के विशेषज्ञ और जानकार।
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गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु
गुरुर्देवो महेश्वर:
गुरु साक्षात् परं ब्रह्म
तस्मै श्री गुरवे नम:।
इक तेरा सुमिरन करके, सब नदियाँ पार करूं।
मुझे दिखाया राम तूने, तेरा नित आभार करूं॥
31 मार्च 2024 को मुझे अपने आध्यात्मिक गुरु जी डॉ. रामेश्वरानंद स्वामी, निर्मल आश्रम पुष्कर के संस्थापक से मिलने का अवसर मिला।
मैंने गुरु जी परम श्रद्धेय वंदनीय डॉ. रामेश्वरानंद स्वामी जी का गुलाब के फूलों की माला से स्वागत किया और उनके मान-सम्मान के रूप में उन्हें गले में दुपट्टा पहनाया। मैंने उन्हें आध्यात्मिक सम्मान के लिए गमछा दिया और फूलों के गुलदस्ते के साथ उनका हार्दिक स्वागत किया।
समर्थ नहीं जिव्हा मेरी, कैसे गुण तेरे उचार करूं।
मुझे दिखाया राम तूने, तेरा नित आभार करूं॥
यह आध्यात्मिक मिलन मेरे लिए इतना महत्वपूर्ण है कि 19 वर्ष बाद मेरी मुलाकात माननीय परम श्रद्धेय वंदनीय डॉ.रामेश्वरानंद स्वामी जी से हुई, लेकिन टेलीफोन पर बातचीत के माध्यम से मैं नियमित रूप से गुरु जी के संपर्क में रहता हूं और समय-समय पर मुझे उनसे मार्गदर्शन, आशीर्वाद, शुभकामनाएं, प्रशंसा, स्नेह, प्यार और मार्गदर्शन का अवसर मिलता है।
गुरु समान दाता नहीं, याचक शीष समान।
तीन लोक की सम्पदा, सो गुरु दीन्ही दान॥
गुरु सो ज्ञान जु लीजिये, सीस दीजये दान।
बहुतक भोंदू बहि गये, सखि जीव अभिमान॥
2005 में गुरु पूर्णिमा पर मैं निर्मल आश्रम पुष्कर राजस्थान में गुरु जी से मिला और कई बार मैंने उनसे मिलने की कोशिश की लेकिन बात नहीं बन पाई। मेरे लिए गुरुजी हमेशा मुझे फोन करते थे और मेरे समृद्ध जीवन, सामाजिक मार्गदर्शन और नैतिक सशक्तिकरण के लिए मुझे अपना आशीर्वाद, शुभकामनाएं और बधाई देते थे। 31 मार्च 2024 मेरे लिए एक धन्य दिन था, मुझे जयपुर राजस्थान की यात्रा के दौरान पूज्य गुरु जी डॉ. रामेश्वरानंद स्वामी जी का आशीर्वाद, शुभकामनाएं, स्नेह और प्यार मिला और सौभाग्य से मैं जयपुर में था और पिछले महीने मैंने पूज्य गुरु जी से मिलने की योजना बनाई थी। डॉ.रामेश्वरानंद स्वामी जी नई दिल्ली में थे लेकिन नहीं मिल सके।
गुरु पारस को अन्तरो, जानत हैं सब सन्त।
वह लोहा कंचन करे, ये करि लये महन्त॥
कहते हैं कि जब अच्छा समय आता है तो ढेर सारी खुशियाँ, मार्गदर्शन, आशीर्वाद, शुभकामनाएँ और तारीफें लेकर आता है। यह मुलाकात मेरे जीवन के लिए एक अच्छे समय की शुरुआत के रूप में है। 19 वर्ष के लंबे अंतराल के बाद मुझे अपने आध्यात्मिक गुरु जी डॉ. रामेश्वरानंद स्वामी साहब से मिलने का अवसर मिला।
सदगुरू तेरे चरणों में, मैं वंदन बारम्बार करूं। मुझे दिखाया राम तूने, तेरा नित आभार करूं॥ तू ब्रम्हा तू विष्णु और महेश तू।
गुरु की आज्ञा आवै, गुरु की आज्ञा जाय।
कहैं कबीर सो संत हैं, आवागमन नशाय॥
गुरु कुम्हार शिष कुंभ है, गढ़ि-गढ़ि काढ़ै खोट।
अन्तर हाथ सहार दै, बाहर बाहै चोट॥
मेरे लिए यह आध्यात्मिक मिलन जीवन की अगली मंजिल और लक्ष्य की शुरुआत के लिए एक नया परिवर्तन है। वास्तव में मैंने आध्यात्मिक गुरु परम श्रद्धेय वंदनीय डॉ.रामेश्वरानंद स्वामी जी के महान व्यक्तित्व से आशीर्वाद, जनता के कल्याण की नई दिशा और मार्ग के लिए बहुत सारा प्यार, स्नेह, प्रशंसा और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त किया। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने निजी विचार हैं)