इंदौर (मप्र) से
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अंतरराष्ट्रीय, और भारतीय मीडिया में ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईस, विदेश मंत्री हुसैन अमीर और अन्य कुछ अधिकारियों की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में हुई मृत्यु को विभिन्न दृष्टियों से देखा जा रहा है। इसलिए निश्चित रूप से फिलहाल ये नहीं कहा जा सकता, कि उक्त असामयिक मौतें हादसा थीं या किसी बड़ी साजिश के कारण हुईं। वैसे ईरान एक अत्याधुनिक तकनीकी सुविधाओं से लैस देश है। रूस का खुला समर्थन भी उसे प्राप्त है। इब्राहिम रईस वहां के बेहद लोकप्रिय राजनेता थे, इसलिए उक्त दोनों नेताओं की मृत्यु के सही कारणों का शायद समय रहते पता लग जाए, लेकिन इस तरह के मौकों पर असली वजह का खुलासा करने में कुछ "खास" मजबूरियां भी आड़े आ जाती हैं। इसलिए असली राज पता ही नहीं चल पाता।
बावजूद इसके उक्त पूरे घटनाक्रम से ये तो स्पष्ट होने में मदद मिल सकती है विश्व की दो महाशक्तियों यानी अमेरिका तथा रूस की सालों पुरानी दबी छुपी लड़ाई में किसी अन्य अपेक्षाकृत छोटे देश का भी बड़ा नुकसान संभव है। यही बात दुनिया लगभग दो सालों से चले आ रहे रूस और यूक्रेन युद्ध के दौरान देख रही है। यह तथ्य बार-बार स्पष्ट हो चुका है, कि रूस यूक्रेन को मटिया मेट करने पर आमादा है, जबकि अमेरिका के साथ अन्य यूरोपीय देश उसे (यूक्रेन) को शह पर शह दिए जा रहे हैं। जब अप्रैल माह में ईरान और इजराइल के बीच तनाव चरम पर था, तब ईरान ने तो कह दिया था कि अब वह शांत रहेगा, मगर इजराइल की गुप्तचर एजेंसी मोसाद के बारे में आम राय है कि वो न तो अपने दुश्मन को भूलती है, और न माफ करती है। वो बदला लेकर ही मानती है।इसीलिए उसे किलिंग मशीन तक कहा जाता है। मोसाद की सबसे बड़ी चूक तब सामने आई थी, जब फिलिस्तीन की तरफ से इजराइल पर हमला हुआ था, जिससे पूरी दुनिया हक्का-बक्का रह गई थी। तब तो खैर माना गया था कि मोसाद को समय पर आवश्यक इन पुट्स नहीं मिले, इसलिए वह फिलिस्तीन की कारगुजारी को सूंघ नहीं पाई, मगर ईरान तो इजराइल का जानी दुश्मन है। यही कारण है कि शक की गुंजाइश सबसे ज्यादा मोसाद को लेकर ही है। बता देना जरूरी है कि इब्राहिम रईस का हेलिकॉप्टर अजरबेजान के जिस स्थान पर कथित रूप से दुर्घटनाग्रस्त हुआ, वो जगह मोसाद का कंट्रोल रूम भी मानी जाती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान शुरू से इस बात को हजम नहीं कर पा रहा था कि सदियों पुरानी अरबों की सरजमीं पर इजराइल नामक यहूदी देश आखिर कैसे बसा हुआ और अति विकसित है, जिसके चारों ओर मुस्लिम देशों की बसाहट है। वाकई ये सच भी है कि इजराइल दुनिया का एकमात्र यहूदी देश है, जिसने अपने बल बूते पर लगभग हर दिशा में जमकर विकास करके दिखाया है, जबकि उसे 1948 में ही आजादी मिली थी। एक थ्योरी यह भी है कि जिस खराब मौसम का हवाला देकर इब्राहिम रईस के हेलिकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने की बात कही जा रही है, तो उसके साथ ही दो अन्य हेलिकॉप्टर भी उड़ रहे थे। सबसे महत्वपूर्ण एक सवाल ये भी है कि यदि मौसम इतना ही खराब था, तो फिर उक्त दोनों अन्य हेलिकॉप्टर अपने गंतव्य पर सही सलामत कैसे लौट आए? एक ओर अहम प्रश्न यह भी किया जा रहा है, कि मौसम यदि इतना ही खराब था, तो इब्राहिम रईस को आसानी से सड़क मार्ग द्वारा ले जाया जा सकता था, क्योंकि उक्त फासला करीब 150 किलोमीटर का था। जानकार यह भी कहते है कि दुर्घटना के दिन यानी 19 मई का रिकॉर्ड ही ईरानी विमानन अधिकारियों के पास उपलब्ध नहीं है, जबकि 18 और 20 मई का रिकॉर्ड प्रथम दृष्टया उन्होंने जांच लिया है। इसी कारण आशंका है कि ईरानी अधिकारी शायद ही सही निष्कर्षों पर पहुंच पाए।
हालांकि इजराइल ने आधिकारिक रूप से उक्त दुर्घटना में अपना हाथ होने से साफ इंकार किया है, लेकिन कुछ समय पहले सीरिया की राजधानी दमिश्क में इजराइल ने ही एक ईरानी ब्रिगेडियर जनरल और उससे पहले भी कुछ अधिकारियों को कथित रूप से मरवा दिया था।कहा जाता है कि ईरान में यह आम धारणा है कि ईरान के ही सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खोमेनेई ने कभी यह भी कहा था कि इजराइल चाहे जब ईरान में चाहे जैसी घटना को अंजाम देने की काबिलियत रखता है।
कई वैश्विक राजनीतिक हस्तियों जैसे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन ऑफ कैनेडी, भारत के पूर्व प्रधान मंत्री लालबहादुर शास्त्री की कथित मृत्यु ,पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी की हत्या, पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जिया उल हक़, पाकिस्तान की ही पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या और बांग्ला देश के संस्थापक शेख मुजिब्बुर रहमान की हत्या आज भी विवादास्पद है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)