लेखक : राकेश जैन कोटखावदा
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वेद व्यास एक ऐसी शख्सियत ... जिन्होंने ताउम्र देश-प्रदेश के रचनाकारों-चिंतकों-लेखकों को मंच और माईक प्रदान किया है, लेकिन खुद को और अपने रचनाकार को हमेशा परदे के पीछे रखा। प्रगतिशील सोच को अपनी हर साँस में संजोकर जनहित को सदैव अपने जेहन में रखा। वेद व्यास ने अपना समस्त जीवन, समाज में व्याप्त विभिन्न विकृतियों, विद्रूपताओं, अन्याय और अनीति के खिलाफ सतत् संघर्षशील रहते हुए व्यतीत किया है। उनका यह संघर्ष अब भी जारी है। अग्निधर्मा कलम के धनी, प्रगतिशील लेखक, चिंतक और विचारक, साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष वेद व्यास स्वाधीन कलम के पैरोकार हैं।
वेद व्यास का जन्म 1 जुलाई,1942 को अविभाजित भारत के सिंध प्रान्त में मीरपुरख़ास में हुआ। इनका पुस्तैनी गाँव अलवर जिले की राजगढ़ तहसील का गढ़ी सवाई राम है। पूर्वज काम की तलाश में सिंध पहुंच गए थे। इनके पिताजी का नाम प्यारेलाल व्यास एवं माँ का नाम अशर्फी देवी था। भारत विभाजन के दौरान ये परिवार के साथ लूणी जंक्शन जोधपुर आ गये। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा लूणी जोधपुर में ही हुई।
वेद जब 20 साल के थे दसवीं तक पढ़े थे। घर वालों के तानों से तंग आकर लूणी जंक्शन से दिल दिमाग में नौकरी के नाम से अख़बार और आकाशवाणी का सपना संजोए जयपुर आ गये। जयपुर में दैनिक राष्ट्रदूत अखबार के मालिक हजारीलाल शर्मा इनके बहनोई मदनलाल शर्मा के दूर के रिश्तेदार थे। बहनोई मदनलाल शर्मा ने वेदव्यास के जीवन का पहला प्रशिक्षण और नौकरी 60 रूपए महीने में राष्ट्रदूत अखबार में लगवाई। यहाँ इन्हें दिनेश खरे, शिवपूजन त्रिपाठी, कैलाश मिश्र, सौभाग्य मल जैन, डॉ.जयसिंह एस राठौड़ तथा वीर सक्सेना आदि का सान्निध्य प्राप्त हुआ। वेद व्यास ने बताया कि मुझे निरंजननाथ आचार्य, भैरोसिंह शेखावत, ज्वालाप्रसाद शर्मा, प्रो. केदार शर्मा आदि की वह गोष्ठियां भी खूब याद है जिनमें हजारीलाल शर्मा एक अक्खड़ और फक्कड़ मित्र की तरह गुंजायमान रहते थे।
राष्ट्रदूत में छह माह तक रहे और फिर राजस्थान ललित कला अकादमी और वानर (बाल मासिक पत्रिका) में कार्यरत रहते हुए सन् 1964 में आकाशवाणी जयपुर में चले आए। आकाशवाणी में ये 30 जून, 2002 सेवानिवृत्ति तक पदासीन रहे। आकाशवाणी जयपुर से राजस्थानी भाषा में प्रथम समाचार वाचक रहे। आकाशवाणी में कार्यरत रहते हुए ही वेद व्यास ने 1983 में नई दिल्ली में आयोजित तीसरे विश्व हिन्दी सम्मेलन में भागीदारी की। वेद व्यास ने 1999 में लन्दन में हुए छठे विश्व हिन्दी सम्मेलन में एवं 2003 में सूरीनाम में आयोजित सातवें विश्व हिन्दी सम्मेलन में राजस्थान सरकार द्वारा प्रतिनिधित्व किया।
ये शिक्षा, साहित्य, कला, संस्कृति और पत्रकारिता के क्षेत्र में लगातार लेखन करते हैं। दैनिक नवज्योति का साप्ताहिक स्तम्भ 'ध्यानाकर्षण' और बाद में 'उल्लेखनीय' स्तम्भ इनके साहित्य, समाज और समय के 50 साल का मुखर गवाह रहा है। हिन्दी और राजस्थानी में रचनाकर्म करते हुए वेद व्यास ने लम्बी लकीर खींची है। समय के सच को लिखना इनकी आदत है। राजस्थानी भाषा की सेवा करने के लिए ही ये आकाशवाणी में राजस्थानी समाचार वाचक रहे। वेद व्यास ने राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर के सन् 1983 से 1986 तक उपाध्यक्ष एवं सन् 1989 से 1992 तक अध्यक्ष के पद को सुशोभित किया है। राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर के ये तीन बार सन् 1993 से 1994, 2002 से 2005 एवं 2011 से 2013 अध्यक्ष रहे हैं।
ये राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर की संविधान निर्मात्री समिति, केन्द्रीय साहित्य अकादमी के पुरस्कार चयन एवं निर्णायक समिति, राज्य सरकार के केन्द्रीय पुस्तक क्रय समिति, राज्य पुस्तकालय विकास समिति के सदस्य रहे हैं। ये राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना सन् 1973 में इन्होंने ही की और स्थापनाकाल से महामंत्री रहे हैं। इन्होंने 1992 में भाईचारा फाउण्डेशन के नाम से संस्था की स्थापना की, जो गरीब एवं अनाथ बच्चों के लिए सेवा कार्य कर रही है। ये 2011 से जयपुर से प्रकाशित पाक्षिक पत्र 'जनयात्रा' के संस्थापक भी है। वेद व्यास जब तीसरी बार 'राजस्थान साहित्य अकादमी' के अध्यक्ष बने तो मधुमती नवम्बर - 2013 का 'बाल साहित्य विशेषांक' निकाला, जिसकी अतिथि सम्पादक डॉ. विमला भण्डारी रही। यह अंक बच्चों के भविष्य के प्रति वेद व्यास की चिन्ता और जागरूकता को भलीभांति दर्शाता है।
इनकी पहली पुस्तक सन् 1966 में जाने-माने कवि हनवन्तसिंह देवड़ा और नये व होनहार कवि चिन्तनशील वेद व्यास दोनों के गीतों की पुस्तक "धरती हेलो मारै" प्रकाशित हुई थी। "धरती हेलो मारै" पुस्तक में हनवन्तसिंह देवड़ा के 9 गीत और वेद व्यास के 16 गीत है। राजस्थानी भाषा में ही वेद व्यास ने रावत सारस्वत के साथ मिलकर 1968 में "आज रा कवि" पुस्तक का सम्पादन किया है। इस पुस्तक में सन् 1947 से सन् 1967 तक बीस वर्ष की प्रतिनिधि 51 कवियों की राजस्थानी कविताओं का संकलन है। सुख और शान्ति की आकांक्षा लेकर ही एक स्वप्निल मीठी भावना से मनुष्य अपने लिए परिवार का सृजन करता है। इस परिवार सृजन से आबादी बढ़ती है और परिवार नियोजन की आवश्यकता हुई। परिवार नियोजन के राष्ट्रीय महत्व वाले रूप को अभिव्यक्त का विषय बना लोकरूप को जनभाषा में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है वेद व्यास ने अपनी 1970 में प्रकाशित गीत-पुस्तक "कीड़ीनगरो" में किया है।
राजस्थानी भाषा में मानव के कल्याण का संदेश "कीड़ीनगरो" पुस्तक में काव्य के माध्यम से किया है। इनके परिवार नियोजन सम्बन्धी गीतों, कविताओं के संकलन 'कीड़ीनगरो' एक समर्थ, अर्थ-गर्भित और फबता हुआ शीर्षक है जो अपने आप में विषय को स्पष्ट किया है। महात्मा गांधी के 150वें जन्मदिवस पर 42 कवियों द्वारा महात्मा गांधी के जीवन चरित्र पर रचित राजस्थानी भाषा की कविताओं का संकलन सन् 2000 में "आजादी रा भागीरथ : गांधी" प्रकाशित हुआ है। इसका सम्पादन वेद व्यास व श्याम महर्षि ने किया है। इस संग्रह में राजस्थानी भाषा के 87 रचनाकारों की कविताएं हैं। राजस्थानी भाषा में वेद व्यास की अन्य प्रकाशित रचनाएं गांधी प्रकाश (राजस्थानी गीत), बारखड़ी (राजस्थानी सम्पादन),सबद उजास (राजस्थानी सम्पादन) है।
किसी देश या राष्ट्र की पहचान, उसमें रहने वाले लोग, उसकी प्रकृति, उसकी इमारतें, उसके तीज-त्यौहार, धार्मिक सांस्कृतिक स्थल, उनका साहित्य, संगीत आदि ही होते हैं। भारत इन सन्दर्भों में बहुरंगी छटाओं का देश है। अलग-अलग प्रान्तों और जातियों की अपनी-अपनी समृद्ध परम्पराओं के कारण, अपनी अलग-अलग जीवन शैलियां हैं, अपने अलग-अलग सांस्कृतिक मूल्य है। यह अनेकता ही भारत की एकता का मूलाधार है। अनेकता को ही एकता मानने की दृष्टि ही सही भारतीय दृष्टि है। और इसी दृष्टि का साक्षात्कार होता है वेद व्यास की पुस्तक "राष्ट्रीय धरोहर" में। 1995 में प्रकाशित "राष्ट्रीय धरोहर" पुस्तक उस प्रगतिशील सोच और विचार की अवधारणा भी है जो सामान्यजन के सनातन काल से चले आ रहे संघर्ष का परिणाम है। वेद व्यास के सम्पादन में राजस्थान के तीर्थों की परिक्रमा के बिखरे चित्रों को 'राजस्थान के लोकतीर्थ' पुस्तक में प्रस्तुत किया है।
एक मुकम्मल इंसान और कलमकार वेद व्यास निष्ठा और कौशल से गुरु गंभीर विषयों पर लिखते रहे हैं। बच्चे ही हमारे भावी कर्णधार है। वेद व्यास ने मधुर शब्द योजना के साथ-साथ बच्चों के लिए आशावाद, राष्ट्र प्रेम और धार्मिक सहिष्णुता का संदेश देते हुए बाल गीतों की रचना की है। सहज सरल बोधगम्य बाल रचनाओं का खजाना है वेद व्यास के बाल गीतों का संग्रह "एक देश मेरे सपनों का"। बाल गीतों की इनकी पूर्व में प्रकाशित पुस्तकें हैं - सन् 1981 में 'भारत वर्ष हमारा है' एवं सन् 1984 में 'एक बनेंगे नेक बनेंगे'।
"अब नहीं तो कब बोलोगे" निबन्ध संग्रह में वेद व्यास के 27 निबन्ध है। निबन्ध आकार में छोटे लग सकते हैं लेकिन इन छोटे निबन्धों में व्यक्त विचार और तर्क बड़े हैं जो दिशाबोधक और प्रेरक कहे जा सकते हैं।
अपनी जीवन यात्रा के 81वें पड़ाव पर वेद व्यास का 24वां प्रकाशन 'अविस्मरणीय' 2023 में प्रकाशित हुआ। इस संग्रह में कुल 34 स्मृतियां हैं जिनमें चार यादों को कॉमरेड ज्योति बसु, शहीद भगतसिंह, कार्ल मार्क्स एवं स्वामी विवेकानन्द के अलावा शेष सभी 30 स्मृतियां वेद व्यास के उन समकालीनों पर केन्द्रित है, जो आज हमारे बीच नहीं हैं। वेद व्यास की साहित्य एवं पत्रकारिता के बीच की यात्रा को जानने का जरिया है स्मृति संग्रह 'अविस्मरणीय'। स्मृति संग्रह 'अविस्मरणीय' में आलेख- तीन खण्डों में साहित्य, समाज और समय पर केन्द्रित है। वेद व्यास लिखते हैं कि विचारों के सागर में एक बूंद का जीवन ही मेरा परिचय है और आगत कल का सपना है।
इनका विवाह दस साल जयपुर महाराजा की सेवा में रहे तत्पश्चात् 20 वर्ष तक राजस्थान की राजधानी जयपुर की गवर्नमेंट हॉस्टल के अधीक्षक रहे मोहनलाल शर्मा एवं श्रीमती रामप्यारी देवी की सुपुत्री सुमन के संग 20 नवम्बर, 1969 को जयपुर में सम्पन्न हुआ। सुमन शर्मा ने पांच विषयों हिन्दी, समाज शास्त्र,लोक प्रशासन, राजनीति विज्ञान एवं इतिहास में एमए करने के साथ ही पत्रकारिता में भी अध्ययन किया है। इन्होंने 1990 में पत्रकारिता में डिप्लोमा लिया है। इनके दो पुत्रियां रचना व प्रगति तथा एक पुत्र विचार व्यास है।
राजस्थान साहित्य अकादमी के विशिष्ट साहित्यकार सम्मान और राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के राजस्थानी भाषा सम्मान सहित मिले विभिन्न मान-सम्मान वेद व्यास के लेखन की साख को सवाया करते हैं। साहित्य अकादमी के सर्वाेच्च सम्मान ‘साहित्य-मनीषी’ से सम्मानित वेद व्यास को सम्मान स्वरूप 2 लाख 51 हजार रुपए तथा सम्मान पत्र प्रदान किया गया। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)