जिला संघर्ष समिति ने सांभर के पक्ष में हकीकत बताई
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सांभरझील। वर्तमान प्रदेश के मुखिया भजनलाल शर्मा द्वारा पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल के दौरान बनाए गए नवीन जिलों के संदर्भ में समीक्षा कर रिपोर्ट पेश करने हेतु बनाई गई नई कमेटी के गठन के बाद से ही जिले की हक की लड़ाई कई दशकों से लड़ रहे क्षेत्रवासियों की आस को फिर से पंख लगे हैं। इसी संदर्भ में आज जिला बनाओ संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने डिप्टी सीएम प्रेमचंद बेरवा से मुलाकात कर सांभर के साथ हुए सौतेले व्यवहार की बात बताई। अनिल कुमार गट्टानी व जितेंद्र डांगरा बताते हैं कि सरकारी रिकॉर्ड में राजस्थान का सबसे पुराना उपखंड सांभर है लेकिन 70 सालों से अनवरत जिले के लिए यहां के विभिन्न संगठनों की और से संघर्ष किए जाने के बावजूद इसके हक को छीना गया है। पर्यटन नगरी का दर्जा प्राप्त ऐतिहासिक और पौराणिक नगरी में सभी सरकारी न्यायिक विभाग मौजूद है। सांभर में अनेक गवर्नमेंट के भवन खाली पड़े हैं। नवीन बिल्डिंग खड़ी किए जाने के लिए भूमि की भी कोई कमी नहीं है। प्रशासनिक व भौगोलिक स्थिति भी सांभर के हक में है। पदाधिकारियों का कहना है कि सांभर को जिला बनाने से सरकार का जीरो बजट में ही काम हो जाएगा। करीब 500 करोड़ से अधिक सरकार के खर्च होने से बचेंगे। इस दौरान समिति के विवेक कुमार, पार्षद गौतम सिंघानिया, मनीष कुमार व अन्य की मौजूदगी रही।