विधायक मनीष यादव ने परीक्षा आयोजन करवाने वाली संस्थाओं पर सवालिया निशान लगाए
यादव ने कहा कि परीक्षाओं में प्रशन डिलीट होने से योग्य प्रतिभागियों पर पड़ता है नकारात्मक प्रभाव
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जयपुर/शाहपुरा। विधायक यादव ने कहा कि पिछले कई वर्षों से आरपीएससी व अधीनस्थ बोर्ड के द्वारा आयोजित की जा रही भर्तियों में पूछे जा रहे प्रश्न परीक्षा सम्पन्न होने के बाद बड़ी संख्या में डिलीट कर दिए जाते है। डिलीट किए जाने का कारण रहता है कि परीक्षा में पूछा गया अमुक प्रश्न सही नहीं था। इसका एक उदाहरण तो अधीनस्थ बोर्ड द्वारा हाल ही में संपन्न करवाई गई जूनियर अकाउंटेंट और टीआरए भर्ती परीक्षा 2023 के संबंध देख सकते हैं। उक्त भर्ती परीक्षा का आयोजन 11 फरवरी 2024 को किया गया था, जिसका परिणाम 27 जून 2024 को बोर्ड के द्वारा जारी किया गया। लेकिन इस परीक्षा के एक तथ्य के बारे में मैं सदन को अवगत कराना चाहूंगा की, इस परीक्षा के 23 प्रश्न बोर्ड द्वारा इसलिए निरस्त कर दिए गए की अमुक प्रश्नों में त्रुटि थी। जबकि पेपर विषय के विशेषज्ञों द्वारा तैयार करवाए जाते हैं, उसके बावजूद किसी एक परीक्षा से इतनी बड़ी संख्या में प्रश्नों का डिलीट होना योग्य प्रतिभागियों के साथ अन्याय हैं। जहां प्रतियोगी परीक्षाओं में एक-एक अंक के फेरबदल से पूरी मैरिट बदल जाती हैं वहां इतनी बड़ी संख्या में प्रश्नों का डिलीट कर दिया जाना बहुत ही शोचनीय विषय हैं।
विधायक ने कहा कि कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से हाईकोर्ट में पिछले तीन साल का रिकॉर्ड पेश किया गया। पिछले तीन साल में राज्य कर्मचारी बोर्ड की ओर से 78 भर्ती परीक्षाएं ली गई। इन परीक्षाओं में 10204 प्रश्न पूछे गए। प्रतियोगिता परीक्षा होने के बाद बोर्ड की ओर से उत्तर कुंजी (आंसर की) जारी की जाती है। गत तीन वर्षों में बोर्ड ने अपनी आंसर की में 163 सवालों के जवाब बदले हैं और 215 सवालों को डिलीट किया है। डिलीट किए गए प्रश्न 2.10 फीसदी है। उपरोक्त तथ्यों के आधार पर कहां जा सकता हैं की पेपर बनाने वाले सब्जेक्ट एक्सपर्टस प्रश्न पत्र को कतई गंभीरता से नहीं लेते हैं। जबकि हमें सोचना चाहिए की परीक्षा में पूछा गया एक-एक प्रश्न किसी युवा के बेहतर भविष्य का द्वार खोलता है इसलिए ये एक बड़ी जिम्मेदारी का काम है। इस प्रकार की लापरवाही, योग्य प्रतिभागियों में भर्ती परीक्षाओं के प्रति अरुचि पैदा कर रहीं हैं। इसलिए हमें इस विषय को गंभीरता से लेते हुए कुछ मानक तय करने पड़ेंगे। ताकि प्रश्नों के डिलीट होने से लाखों बेरोजगार युवाओं को कोर्ट कचहरी में न्याय के लिए गुहार ना लगानी पड़े। वहीं दुसरी और इस लापरवाही के कारण ही भर्तियां कोर्ट में अटक जाती है, और नई भर्ती प्रक्रिया पर संकट आ जाता है।
विधायक ने कहा कि भर्ती परीक्षाओं में बार-बार प्रश्न डिलीट होने वाली इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए योग्य प्रतिभागियों के हित में प्रभावी और सार्थक कदम उठाया बहुत जरूरी है।