तत्कालीन सरकार ने अपने राजनीतिक हित व सत्ता पाने के लिए किसी एक समुदाय को आरक्षण दिया। सरकार बदलती गई वह अलग-अलग समुदाय को आरक्षण देती गई और इस प्रकार आरक्षण व्यवस्था की विष बेल फैलती रही। हर वर्ग आरक्षण चाहता है, लेकिन आरक्षण केवल आर्थिक आधार पर देना चाहिए। आरक्षण से कई योग्य व्यक्ति वंचित रह जाते हैं। अगर किसी कमजोर छात्र को आरक्षण के आधार पर स्वास्थ्य सेवाओं में चुन लिया जाए तो क्या वह एक सफल चिकित्स बन सकता है और क्या वह मरीज के साथ न्याय कर पाएगा। अगर तकनीकी क्षेत्र में चुनाव किया तो क्या वह सफल इंजीनियर बन सकता है। देश में बड़े-बड़े प्रोजेक्ट होते हैं तो क्या वह उसमें काम कर पाएगा। सबसे बड़ी बात यह है कि आरक्षण व्यवस्था को समाप्त कर देना चाहिए।
लेखिका : लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़ (राजस्थान)