वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं राजनीतिक विश्लेषक
www.daylife.page
कुछ दिन पूर्व तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने राज्य विधानसभा में यह घोषणा की कि राज्य में शीघ्र ही एक नया अन्तराष्ट्रीय हवाई अड्डे का निर्माण किया जाये। जिस जगह इस नए हवाई अड्डे के निर्माण का प्रस्ताव है वह राज्य के कृष्णागिरी जिले में स्थित होसुर में होगा। इस जिले की सीमा कर्नाटक की राजधानी बंगलूरु से लगती है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह इलेक्ट्रॉनिक सिटी कहा जाने वाले इलाके होसुर से सटा हुआ है। उन्होंने कहा कि यह हवाई अड्डा 2,000 एकड़ में फैला होगा तथा इसकी क्षमता प्रति वर्ष 3 करोड़ यात्रियों को आने और ले जाने की होगी।
इसके कुछ दिनों बाद कर्नाटक सरकार के एक प्रवक्ता ने कि राज्य सरकार खुद अपना दूसरा अन्तराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने के तैयारी कर रही है जो बंगलुरु के आस पास ही होगा। वर्तमान में बंगलुरु में अन्तराष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो दिल्ली और मुबई के बाद सबसे बड़ा हवाई अड्डा है। यह 2008 में आरंभ हुआ था। इससे पहले इंदिरा नगर में वायु सेना के हवाई अड्डे से नागरिक उड़ाने चलती थीं। जैसे जैसे बंगलूर देश की आई टी सिटी के रूप में विकसित होने लगा राजधानी में बड़ा और अन्तराष्ट्रीय हवाई अड्डा होना चाहिए। इस प्रकार यह कम्पेगौड़ा अन्तराष्ट्रीय हवाई अड्डे के रूप में सामने आया।
जब इस हवाई अड्डे निर्माण का प्रस्ताव का आगे बढ़ा और यह काम बंगलुरु इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड मिला तो इसकी शर्तों में यह बात शामिल थी कि अगले 25 साल तक इसकी 150 किलोमीटर परिधि में कोई नया अन्तराष्ट्रीय हवाई अड्डा नहीं बनेगा। यह अवधि 2033 में खत्म हो रही है। जब तमिलनाडु और कर्नाटक सरकार ने यह बात कही कि शीघ्र ही एक अन्तराष्ट्रीय हवाई अड्डे का निर्माण किया जायेगा, तो नागरिक विमान पेशे से जुड़े लोगों को आश्चर्य हुआ। कारण यह था कि तमिलनाडु का होसुर बंगलूरु के वर्तमान अन्तराष्ट्रीय हवाई अड्डे से मात्र 40-50 किलोमीटर दूर है। इसी प्रकार कर्नाटक सरकार नया अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डा कनकपुरा में बनाना चाहती है जो राजधानी का एक उप नगर सा है और वर्तमान हवाई अड्डे से 30 किलोमीटर के आस पास है।
तमिलनाडु सरकार का कहना है कि वह केंद्र पर इस बात के लिए जोर डालेगा कि वर्तमान में जो 150 किलोमीटर की अवधि का नियम है उसमें बदलाव किया जा सके ताकि बढ़ती हुई हवाई यात्रियों के संख्या के अनुरूप एक और अन्तराष्ट्रीय होना चाहिए। सरकर का यह तर्क है कि अगर दिल्ली के जेवर में पास दूसरा अन्तराष्ट्रीय हवाई अड्डा बन सकता है तो होसुर में क्यों नहीं। दिल्ली के इंदिरा गाँधी अन्तराष्ट्रीय हवाई अड्डे से जेवर में निर्माणाधीन हवाई अड्डे की दूर 72 किलोमीटर बताई जाती है। तमिलनाडु सरकार का कहना है कि इसी प्रकार इस नियम में फिर शिथिलिता दी जानी चाहिए। कर्नाटक सरकार इसी आधार और कनकपुरा में दूसरा अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने की अनुमति देने की मांग कर सकती है।
सिविल एविएशन से जुड़े लोगों का कहना एक साथ और आस पास दो और अन्तराष्ट्रीय हवाई अड्डे बनना आर्थिक दृष्टि सही नहीं है। यात्रियों की संख्या में विभाजन होने के बाद ऐसे दोनों हवाई अड्डे घाटे के स्थिति में रह सकते है। इसलिए दोनों राज्यों की सरकारें इस बात की भरसक कोशिश करेंगी कि उसे पहले नया अड्डा बनाने के अनुमति मिले चूँकि यह तय है कि इस इलाके केवल और अन्तराष्ट्रीय हवाई अड्डे की ही अनुमति मिल सकती है।
तमिलनाडु का होसुर इलाका इलेक्ट्रॉनिक कारें बनाने का एक बड़ा केंद्र है। राज्य की द्रमुक सरकार इसे एक बड़े औद्योगिक केंद्र के रूप में विकसित करना चाहती है इसके लिए एयर कनेक्टिविटी होना जरूरी है। यहाँ इस समय एक निजी क्षेत्र का छोटा सा हवाई अड्डा है। इसके पास काफी जमीन है। सरकार इस संभावना का पता लगने में लगी है क्या इसे अन्तराष्ट्रीय हवाई अड्डे के रूप विकसित किया जा सकता है। दूसरा विकल्प यह है कि भूमि का अधिग्रहण किया जाये, जिसमें अधिक समय लग सकता है।
दोनों राज्यों की सरकारें यह मान कर चल रहीं है कि नया हवाई अड्डा बनाया एक लम्बी प्रक्रिया है और इसमें काफी समय लग सकता है। अगर इस परियोजना तुरंत काम शुरू किया जाता है तो पूरा होने में कई साल लग जायेंगे। उनका यह भरोसा है जब तक प्रारंभिक पूरा होगा 2033 का वर्ष बहुत करीब होगा। अगर इससे पहले अनुमति मिल जाती है तो ठीक नहीं यह अवधि पूरी होने के बाद स्वत: ही मंजूरी मिल जायेगी। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)