तमिलनाडु में उदयनिधि स्टालिन का “उदय”

लेखक : लोकपाल सेठी

वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं 

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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री  तथा सत्तारूढ़  द्रमुक के सुप्रीमो  एम. के. स्टालिन को पार्टी का मुखिया तथा  राज्य के  मुख्यमत्री बनने के लिए दशको तक इंतजार  करना पड़ा था। उनके पिता पार्टी और सरकार के दशको तक मुखिया रहे करूणानिधि ने अपने बेटे एमके स्टालिन को अपना उत्तराधिकारी जरूर बनाया लेकिन देरी की। कभी तमिल फिल्मो के पटकथा लेखक रहे करुणानिधि ने अपने जीते जी पार्टी में आगे जरूर बढाया लेकिन न तो पार्टी के मुखिया पद तक  पहुचने दिया और न ही अपने रहते मुख्यमंत्री की कुर्सी दी। आखिरी दिनों में जब वे बहुत बीमार थे उन्होंने स्टालिन को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष जरूर   बनाया। इसके विपरीत स्टालिन अपने बेटे उदयनिधि को अपने रहते ही सब कुछ देना चाहते है। इस मुद्दे पर स्टालिन पार्टी के भीतर कुछ दवाब में भी है कि वे इस युवा तथा उर्जा से भरपूर बेटे को जल्दी से जल्दी अपना उत्तराधिकारी बनाने की दिशा आगे कदम उठायें जाएँ। 

उदयनिधि ने अपने दादा की तरह फिल्म उद्योग में अपना करियर बनाने की कोशिश की। एक फिल्म में काम भी किया लेकिन यह फिल्म चल नहीं पाई। तब उन्होंने पारिवार की परम्परा के अनुसार राजनीति की ओर रुख किया। वे द्रमुक के युवा विंग में सक्रिय हो गए। यह मोटे तौर यह एक दशक पूर्व हुआ। इसलिए उनके समर्थको का कहना था कि स्टालिन ने अपने बेटे की राजनीति में हेलीकाप्टर एंट्री नहीं की बल्कि उसने अपना करियर धरातल से शुरू किया। धीरे-धीरे  उन्हें युवा विंग का महासचिव बना दिया गया। पार्टी के भीतर तथा पार्टी के बाहर के लोगों का कहना है कि 2019 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन दिनो वे चुनावी सभाओं में अपने हाथ में एक ईंट रखते थे। 

बीजेपी पर हमला करते हुए वे कहते थे कि केंद्र की सरकार ने  राज्य में एम्स खोलने का वादा किया था। फिर वे ईंट दिखाते हुए कहते थे कि आज तक एम्स की एक ईंट भी नहीं लगी है। उनकी सभाओं में बड़ी संख्या में युवक आते थे और वे उनके इसके अंदाज़ को पसंद करते थे। वे आम तौर पर जीन और टी शर्ट ही पहनते थे और अब भी पहनते है। उन दिनों उनके उमर लगभग 35 साल थी तथा वे पार्टी के बड़ा युवा चेहरे थे। 2021 जब द्रमुक एक दशक के बाद फिर सत्ता में आई और एम.के. स्टालिन पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने अपने मंत्रिमंडल में बेटे को भी शामिल कर लिया। उन्हें कोई महत्वपूर्ण विभाग नहीं दिया गया। उन्हें खेलकूद विभाग दिया जिसमें अधिक काम काज  नहीं था। तब यह कहा गया कि उन्हें इसलिए कम महत्व का विभाग इसलिए दिया गया ताकि वे संगठन के लिए अधिक से अधिक समय दे सकें। हाल के लोकसभा चुनावों  में उन्होंने  धुंआधार प्रचार किया तथा द्रमुक और इसके साथी दलों के उम्मीदवार सभी सीटें जीतने में सफल रहे। 

इसके बाद से ही पार्टी में सुगबुगाहट शुरू हुयी कि पार्टी के इस युवा नेता को और बड़ी जिम्मेदारी दी जाये ताकि पार्टी 2026 के विधान सभा जीत कर फिर सत्ता में आ सके। द्रमुक में करुणानिधि के समय कुछ नेताओं ने यह कहना शुरू कर दिया था कि पार्टी में परिवारवाद को आगे नहीं बढ़ने दिया जाये। संभवतः इसके चलते उन्होंने अपने बेटे को लम्बे समय तक आगे नहीं बढ़ने दिया। ठीक यह बात उस समय भी कही गई जब उदयनिधि को पहले  युवा विंग की जम्मेदारी दी गई और फिर मंत्री भी बना दिया गया। लेकिन यह विरोध सीमित था  तथा और ज्यादा दिन तक नहीं चला। इस समय पार्टी के भीतर यह बात चल रही  है कि पार्टी के इस युवा नेता को संगठन चलाने का काफी अनुभव हो चूका है तथा अब उन्हें सरकार में आगे बढाया जाये। 

सीधे तौर पर कहा जाये तो  मांग यह है कि उदयनिधि को राज्य का उप मुख्यमंत्री बना दिया जाये। अगले विधान सभा चुनावों में अगर पार्टी फिर सत्ता में आती हो तो मुख्यमंत्री का पद उन्हें दे दिया जाये। एम के स्टालिन सार्जनिक रूप से इस मुद्दे पर अभी चुप है लेकिन उनके करीबी समझे जाने वाले पार्टी नेताओं कहना है कि वे इस तरह के प्रस्ताव के विरोध में  नहीं  हैं। वे नहीं चाहते अपने पिता के चलते जिस प्रकार उन्हें ये दोनों पद नहीं दिये गए ऐसा वे अपने बेटे साथ नहीं करना चाहते। ऐसा  माना  जाता है।  उत्तराधिकारी की  प्रकिया अगले कुछ महीनों में शुरू हो जायेगी तथा पार्टी अगला चुनाव उदयनिधि के चेहरे को आगे रख  कर ही लड़  सकती है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)