लीक से हटकर
लेखक : रामजी लाल जांगिड
वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं विभिन्न मामलों के ज्ञाता
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मैनें वर्ष 1965 में स्वर्गीय पंडित गोविन्द बल्लभ पंत की हिंदी में जीवनी लिखनी शुरू कर दी। उसके साथ साथ राजस्थान विश्वविद्यालय से इतिहास में पी. एच. डी उपाधि के लिए अंग्रेजी में शोध प्रबंध (Thesis) लिखना भी जारी था। इन दोनों कामों के साथ साथ हिन्दी और अंग्रेजी के दैनिक समाचार पत्रों तथा प्रमुख पत्रिका में सम सामायिक विषयों पर लगातार लिखना तथा आकाश वाणी पर प्रस्तुति देना भी चल रहा था।साहित्य,कला और संस्कृति के कार्यक्रमों में भागीदारी लगातार बनी हुई थी। मैं हिन्दी और राजस्थानी में कविताएं लिख रहा था।
इसी बीच सूचना मिली कि मेरा परिचय बर्लिन (जर्मनी) से छपने वाली International Directory of arts में छपा है। एक पेंटर के नाते । यह ग्रंथ कई भाषाओं में छपता था।
मैं हमेशा कुछ ऐसे काम करता था, जो पहले किसी ने न किए हों। वे लीक से हटकर हों तथा अनूठे हों। राजस्थान साहित्य अकादमी ने वर्ष 1964 में मेरी चौथी पुस्तक को वर्ष की सर्वश्रेष्ठ पुस्तक मानते हुए जो पुरस्कार राशि दी थी, उससे मैंने नए तरीके की प्रथम पत्रिका 'मरूमान' शुरू कर दी। नई दिल्ली की चर्चित साप्ताहिक पत्रिका 'दिनमान' के प्रकाशन के बाद।एक नवम्बर 1965 को इस पाक्षिक पत्रिका का छठा अंक तमिल में रचे जा रहे साहित्य पर केंद्रित था। हिन्दी पत्रकारिता के इतिहास में किसी अन्य भारतीय भाषा में रचे जा रहे साहित्य पर तब तक किसी भी हिन्दी दैनिक या बड़े संसाधनों वाली पत्रिका ने अपना ध्यान केंद्रित नहीं किया था। मैने तेलुगु भाषी श्रीमती हेमलता आंजनेयुलु को इस अंक का अतिथि सम्पादक बनाया था। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से एम. ए. (हिन्दी) में स्वर्ण पदक प्राप्त किया था। वह विवाह के बाद मद्रास में बस गई थी।
पहली कविता प्रसिद्ध तमिल कवि स्वर्गीय सुब्रह्मण्य भारती की थी। इसका हिन्दी अनुवाद हेमलता जी ने किया था। दूसरी कविता श्री एस. कंदस्वामी 'तुरेवन की थी। इसका हिन्दी अनुवाद श्रीमती के. तुलसी ने किया था। तीसरी कविता कम्बदासन जी की थी। इसका हिन्दी अनुवाद प्रसिद्ध हिन्दी सेवी श्री र. शौरि राजन ने किया था। लोकप्रिय युवा कवि श्री तुरेवन ने आधुनिक तमिल काव्य पर अपने विचार लिखे। श्री ति. जानकी रामन जी की कहानी और एक तमिल नाटक कार से भेटवार्ता भी शामिल की गई एक उपन्यासकार और एक नाट्य समीक्षक से इंटरव्यू लिये गए, एक संपादक और एक नर्तकी से भी बात की गई। दक्षिण भारत के मंदिरों और पुरातन तमिल साहित्य की चर्चा की गई।कोशिश की गई कि तमिलनाडु की पूरी झांकी एक जगह हिंदी पाठक को मिल सके।