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सांभरझील। सांभर नगर पालिका में पार्षद के चुनाव में भाजपा से टिकट लेकर चुनाव लड़ने के इच्छुक बालकिशन जांगिड़ को पार्टी के एक स्थानीय नेता की दखलंदाजी के कारण टिकट देने साफ इनकार करने के बाद न चाहते हुए भी खुद की भावना को दबाते हुए कांग्रेस पार्टी का रुख किया और वहां से टिकट लेकर वे चुनाव जीतने में सफल तो हुए लेकिन उनका मन कांग्रेस में हमेशा ही विचलित रहा, कांग्रेस में भी जो सम्मान उनको मिलना चाहिए था वह भी नहीं मिला तो आखिरकार उन्होंने अंत में प्रदेश स्तर पर जाकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की तो स्थानीय नेताओं में भी जबरदस्त खुशी का माहौल इसलिए भी बना, क्योंकि भाजपा अपनी अंदरुनी फूट व एक स्थानीय नेता की जरूरत से ज्यादा चतुराई के कारण भाजपा अपना बोर्ड नहीं बना पाई थी।
बालकिशन जांगिड़ की किस्मत उनके काम आई और जनरल सीट होने के कारण भाजपा में भारी उठा पटक के चलते पिछड़ी जाति का होने के बावजूद चेयरमैन का ताज उनके माथे बंधा, जबकि लगातार तीन दफा चुनाव जीतने वाले सामान्य वर्ग के पार्षद धर्मेंद्र जोपट जो की अध्यक्ष पद के लिए जनता की मांग के अनुसार काबिल थे उन्हें भाजपा की अंदरूनी साजिश के कारण यह मौका गंवाना पड़ा। इसी प्रकार दो दफा कांग्रेस के पार्षद रह चुके वाइस चेयरमैन नवल किशोर सोनी को कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया तो वे निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे और अपनी जीत का डंका बजा कर कांग्रेस को दिखा दिया कि उनका राजनीति वर्चस्व कहीं पर भी कम नहीं हुआ है।
नसीब उनका भी काम आया और वाइस चेयरमैन का ताज निर्दलीय पार्षद को मिला। अध्यक्ष जांगिड़ जो कि भाजपा को मन से धारण किए हुए थे ने आखिरकार कांग्रेस से अंततः नाता तोड़कर भाजपा में करीब एक माह पहले ही ज्वाइनिंग कर यह सिद्ध किया कि वह भाजपा के साथ ही है। इधर वॉइस चेयरमैन नवल किशोर सोनी को कांग्रेस से तवज्जो न मिलने के कारण उन्होंने पार्टी छोड़ दी और उन्होंने भी भाजपा का दामन थाम लिया। हालांकि इस कालांतर में अध्यक्ष एक भ्रष्टाचार के मामले में एसीबी के रडार पर आ गए, यद्यपि अभी तक उन पर कोई आरोप प्रमाणित नहीं हुआ है।
बताया जा रहा है और माना भी जा रहा है की वे डाइरेक्ट भ्रष्टाचार में इंवॉल्व नहीं थे, बल्कि उन्हें फंसाया गया था। मामला फिलहाल अदालत में विचाराधीन है और प्रकिया के तहत उन्होंने फिर से अध्यक्ष का पद ज्वाइन करने का मौका मिला। अब दोनों ही वर्तमान में बीजेपी से जुड़े हुए हैं कांग्रेस को एक बड़ा राजनीतिक झटका माना जा रहा है और यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि अब आने वाले नगर पालिका चुनाव में भाजपा फुल मेजॉरिटी से अपनी शहर की सरकार बनाने में कामयाब होगी, क्योंकि भाजपा के साथ हल्दी लगे ना फिटकरी वाली कहावत चरितार्थ हुई। भाजपा को अब राजनीतिक अवसर बेहतर प्राप्त करने का मौका मिल गया है तो वहीं कांग्रेस अब अंदरुनी रूप से मंथन करने में जुटी है कि आगामी रणनीति किस प्रकार से बनाई जाए कि उनका कांग्रेस का बोर्ड फिर से बन सके।