जयपुर। धारा संस्थान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'बाल विवाह मुक्त भारत' अभियान के समर्थन में जयपुर ग्रामीण में व्यापक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में कुल 2750 लोगों ने बाल विवाह के खिलाफ शपथ ली और इसे समाप्त करने का संकल्प लिया।
धारा संस्थान के नेतृत्व में 50 गांवों में मशाल जुलूस, कैंडल मार्च और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें महेश पंपालिया, निदेशक, धारा संस्थान ने समाज के हर तबके को इस कुप्रथा को खत्म करने के लिए प्रेरित किया। इस आयोजन में बाल विवाह पीड़िताओं, सरकारी अधिकारियों, पंचायत प्रतिनिधियों, शिक्षकों और स्थानीय समुदाय ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।
कार्यक्रम में शादी से जुड़े सभी हितधारकों जैसे पंडित, मौलवी, हलवाई, बैंड बाजा वाले, और प्रिंटिंग प्रेस के मालिकों ने भी भागीदारी की। इन सभी ने शपथ ली कि वे बाल विवाह संपन्न कराने में किसी भी रूप में सहयोग नहीं करेंगे और ऐसी घटनाओं की सूचना तुरंत संबंधित अधिकारियों को देंगे।
महेश पंपालिया ने कहा:
"2750 लोगों की शपथ इस बात का प्रमाण है कि समाज इस प्रथा के खिलाफ एकजुट हो रहा है। बाल विवाह न केवल बच्चियों के अधिकारों का हनन है, बल्कि यह हमारे देश के विकास में भी बाधा है। यह अभियान समाज को शिक्षित और सशक्त बनाने का एक बड़ा कदम है।"
इस जागरूकता अभियान के दौरान धारा संस्थान ने बताया कि उन्होंने पिछले डेढ़ साल में 65 बाल विवाहों को रोका है। संस्थान 'जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन' (जेआरसी) का सहयोगी है, जो देशभर में बाल अधिकारों के संरक्षण और बाल विवाह रोकथाम के लिए काम कर रहा है।
यह सामूहिक पहल केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी द्वारा शुरू किए गए 'बाल विवाह मुक्त भारत' के आह्वान के तहत आयोजित हुई। उम्मीद है कि इस आंदोलन से समाज में बाल विवाह के उन्मूलन को नई गति मिलेगी।