लेखक : रमेश जोशी
व्यंग्यकार, साहित्यकार एवं लेखक, प्रधान सम्पादक, 'विश्वा', अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति, यू.एस.ए., स्थाई पता : सीकर, (राजस्थान)
ईमेल : joshikavirai@gmail.com, ब्लॉग : jhoothasach.blogspot.com सम्पर्क : 94601 55700
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आज सुबह-सुबह जैसे ही घर के आगे डीजल वाला पुराना ऑटो अपने अंजर-पंजरों को हिलाता हुआ घनघनाया तो आँख खुल गई । आजकल बिजली वाले रिक्शा भी घर के आगे से गुजरते हैं लेकिन उनका शोर कम होता है । घड़ी देखी, पाँच-सवा पाँच बजे थे। कहीं किसी अडानी-अंबानी ने तो हजार-पाँच सौ करोड़ नहीं भिजवा दिए ? ठीक है, आजकल अडानी जी के ठेके कई देशों में रद्द हो रहे हैं तो बिजली को डबल इंजन की सरकारों वाले राज्यों में खपाने के जतन चल रहे हैं ।
लेकिन हम तो उपभोक्ता हैं । भोग रहे हैं अपने करमों के फल । भोक्ता तो जाने अमरीका, कीनिया, बांग्लादेश, श्रीलंका कहाँ-कहाँ बैठे हैं ।
देखा तो तोताराम ।
हमने कहा- तोताराम, अभी दूध आया नहीं कि मुफ़्तिया ग्राहक हाजिर।
बोला- आज मैं चाय पीने के लिए नहीं आया। मैं दिल्ली जा रहा हूँ। सोच तुझे बताता चलूँ कि मेरी चाय मत बनाना। हमने कहा- दिल्ली? दिल्ली में अब कौन बैठा है तेरा स्वागत करने। मोदी जी ही क्या अब तो सारा परिवार लगा हुआ है देश की एकता को सँभालनेके लिए महाराष्ट्र में। योगी जी भी अपना राष्ट्रीय एकता वाला मंत्र ‘बँटोगे तो कटोगे’ लेकर महाराष्ट्र पहुँचे हुए हैं।
बोला- मैं तो अयोध्या को लिए निकला हुआ हूँ । आज सवा छह बजे वाली ट्रेन से निकलूँगा तो कहीं भागते-भागते 17 नवंबर की शाम तक पहुँच पाऊँगा । बेचारे चंपत राय जी अकेले क्या क्या करेंगे ।
हमने पूछा- क्या रामलला के गर्भगृह की छत ठीक करवा रहे हैं ? उसके लिए कार-सेवकों की क्या कमी है। और फिर अभी क्या जल्दी है। अब जून-जुलाई तक कौन सी बरसात हो रही है जो छत टपकेगी।
बोला- छत की कार सेवा की बात नहीं है। 18 नवंबर को रामलला का तिलक आ रहा है ना। समय से पहुँच जाता तो कुछ काम ही करवा देता।
भगवान राम के ससुराल जनकपुर धाम से पहली बार 251 तिलक चढ़ाने वाले 501 नेग के साथ अयोध्या तिलक चढ़ाने आयेंगे। पहला तिलक है ना रामलला का। फिर 6 दिसंबर की शादी है लेकिन खैर उसके बारे में तो बाद में सोचेंगे।
हमने कहा- लेकिन अब तो ज़माना बहुत आगे निकल आया है। बहुत सी बातें और नियम बदल गए हैं। अब तो भारत में लड़कियों की विवाह की आयु भी 21 वर्ष कर दी गई है। हो सकता है त्रेता युग में विवाह की आयु जैसा कि राम की 13 साल और सीताजी की 6 साल बताई जाती है, चलती हो। पता नहीं इस चक्कर में राम और सीता की शिक्षा किस प्रकार आगे बढ़ी होगी।
इसके बाद तो सामान्य रूप से तिरिया 13 मरद 18 कहा जाता था। गाँधी जी का विवाह भी 12 साल की आयु में कर दिया गया था । मोदी जी की शादी भी 17 साल की आयु में कर दी गई थी। अगर आज की तरह 21 साल का नियम होता तो उचित निर्णय लेने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता। वैसे बाल विवाहों की क्या बात की जाए, कुछ लोग तो बच्चों के जन्म से पहले ही तय कर लेते थे कि यदि तेरे लड़की और मेरे लड़का हुआ तो दोनों की शादी पक्की। कभी कभी तो ऐसा तक होता था कि लड़का पैदा होते ही मर गया तो ऐसे में लड़की गर्भ में ही विधवा हुई मान ली जाती थी। इसी समस्या पर पंडित नाथू राम शंकर शर्मा की संवत 1976 में लिखी ‘गर्भ रंडा रहस्य’ नामक एक पुस्तक भी है।
यह राम विवाह सब प्रकार से नए नियमों के सर्वथा विरुद्ध है। कहीं कोई रामद्रोही चंपतराय पर बाल विवाह के मामले में केस दर्ज न करवा दे।
बोला- यह कोई हिन्दू आस्था के आहत होने का मामला थोड़े ही है जो पुलिस तत्काल एफ आई आर दर्ज कर लेगी और कार्यवाही भी शुरू कर देग। जब आज तक बाल विवाह का विरोध करने वाली दलित कार्यकर्ता भँवरी बाई को ही न्याय नहीं मिला तो यह तो भगवान राम का मामला है। बुलडोज़र वाला ‘राम राज’ है। वह ज़माना गया अब अब्दुल ही नहीं, किसी मंथर और धोबी पर भी चल सकता है।
और दहेज तो भई, सब अपनी हैसियत के हिसाब से और शोभा के लिए देते ही हैं। अगर थोड़ा बहुत माँग भी लिया तो क्या बुराई है। अभी रामलला में भव्य भवन में भी तो खर्च हुआ है और अब यह टपकती छत। कुछ न कहें तो भी राजा जनक को कुछ तो सोचना ही चाहिए।
हमने कहा- तो फिर चाहे तो दो चार कुर्ते पायजामे हमारे ले जा। अब तो शादी-विवाह, प्री-वेडिंग वन-टू-थ्री, रिसेप्शन आदि सब निबटाकर ही आना।
और हाँ, निमंत्रण-पत्र साथ जरूर ले जाना क्योंकि बहुत से बड़े-बड़े लोग आयेंगे। हो सकता है बिना निमंत्रण-पत्र के एंट्री ही न मिले।
बोला- निमंत्रण-पत्र तो नहीं आया लेकिन राम के काम के लिए हम जैसे राम भक्तों को किसीसे पूछने की क्या जरूरत है?
हमने कहा- आजकल वह बात नहीं है। अब तो देव-दर्शन भी औकात के हिसाब से होते हैं। और फिर आजकल चुनाव के चक्कर में यूपी में ‘बँटोगे तो कटोगे’ का जोर चल रहा है। कहीं चपेट में आगया तो राम विवाह की जगह राम नाम सत्य हो जाएगा। अगर विवाह की मिठाई का ही शौक है तो तुझे यहाँ हलवा खिला देंगे। वैसे भी क्या पता इस कार्यक्रम में किसी चर्बी वाले को घी सप्लाई का ठेका न मिल गया हो।
बाद में जैसे तिरुपति चर्बी लड्डू प्रसंग की घिन के चक्कर की तरह ‘शंख-प्रक्षालन’ करता फिरेगा। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)