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सरहद पर देश की रक्षा करने में लगे हुए शहीदों उसके पैतृक गांव में लाकर सरकार बड़े आदर के साथ उसका दाह संस्कार करवाती है पर कई बार यह देखा गया है कि दा ह संस्कार के बाद उनकी विधवाओं को वे सभी सुविधाएं जो सरकार के द्वारा उनके लिए निर्धारित की गई है उसके लिए उनको दर-दर भटकना पड़ता है अतः उनके विधवाओं का सरकार पूरा ध्यान रखें और उसकी पूर्ति की जाए।
जब भी किसी शहीद का स्मारक बने तो उसका लोकार्पण शहीद की पत्नी से से करवाया जाए स्थानीय स्तर पर कोई भी राजकीय समारोह हो तो उसे अवश्य आमंत्रित किया जाए। तभी सच्चे अर्थों में शहीद की देशभक्ति का सम्मान होगा।
लेखिका : लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़ (राजस्थान)।