संसद की प्रति मिनट की कार्रवाई पर लाखों रुपए का खर्चाहोता हैं आम जनता की खून पसीने की कमाई होती है। हंगामा करने की बजाय शांतिपूर्ण तरीके से बहस की जाए, विचार-विमर्श की शैली अपनाई जाएतो किसी भी मुद्दे का हल आसानी से निकाला जा सकता है।
लेखिका : लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़, (राजस्थान)।