आपत्तिजनक टिप्पणी पर कठोर कानून बनाने का उलेमाओं व इमामों द्वारा प्रस्ताव पारित

5 सितंबर 2025 को पैगम्बरे इस्लाम के जन्म को 1500 साल होने पर भव्य पैमाने पर मनाने का आ‌ह्वान

मीलादुन्नबी कॉन्फ्रेन्स में किसी भी धर्मगुरु के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर कठोर कानून बनाया जाए

वक्फ संशोधित बिल धार्मिक व सामाजिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करता है जिसे हम नकारते हुए बिल की वापसी के मांग करते हैं 

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जयपुर। ऑल इण्डिया मीलाद कॉन्सिल यूनिट राजस्थान व मर्कज़े अहले सुन्नत जयपुर की ओर से पैगम्बरे इस्लाम के 1500 साला मीलादुन्नबी आने के उपलक्ष्य में जयपुर में मीलादुन्नबी कॉन्फ्रेन्स आयोजित की गई। जिसमें उलेमाओं, इमामों व बुद्धीजीवियों ने शिरकत कर आगामी 5 सितंबर 2025 को पैगम्बरे इस्लाम की विलादत (जन्म) को 1500 साल होने पर भव्य पैमाने पर मनाने का आ‌ह्वान किया।

कॉन्फ्रेन्स की सरपरस्ती मुफ्ती अब्दुल सत्तार रज़वी मुफ्ती-ए-शहर जयपुर व अध्यक्षता मौलाना फज़्ले हक पूर्व चेयरमेन राजस्थान मदरसा बोर्ड, मोहम्मद सईद नूरी संस्थापक रज़ा एकेडमी मुम्बई मुख्य अतिथी व मौलाना मोहम्मद अब्बास रज़वी मुम्बई मुख्य वक्ता रहे। इस अवसर पर अल्पसंख्यकों के अधिकारों व समस्याओं के संबंध में महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए।

ऑल इण्डिया मिलाद कॉन्सिल के संयोजक मौलाना फज़्ले हक ने प्रस्ताव रखा कि हमारा देश साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल है। अनेकता में एकता रखते हुए एक दूसरे के धर्म का आदर किया जाता रहा है। जिसकी वजह से साम्प्रदायिक सौहार्द हमेशा से बना हुआ है। मगर कुछ सालों से सौहार्द को बिगाड़ने के इरादे से इस्लाम धर्म के पैगम्बर पर अन्य धर्म के धर्मगुरूओं द्वारा आपत्तिजनक टिप्पणियां खुलेआम की जा रही है जिसकी लम्बी सूची है। हम उसकी निंदा करते हुए केन्द्र व राज्य की सरकारों से अपील करते हैं कि किसी भी धर्मगुरु के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले के खिलाफ कठोर कानून बनाए, ताकि ऐसे व्यक्तियों को कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान हो। ताकि भविष्य में किसी भी धर्म के खिलाफ कोई भी संस्था या धर्मगुरू आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर देश के साम्प्रदायिक सौहार्द को हानि न पहुंचा सके।

देशभर में चलने वाले मदरसे अल्पसंख्यक समाज के धार्मिक व सामाजिक संस्कृति की पहचान है। समाज द्वारा मदरसों को आधुनिक शिक्षा से जोड़ा गया है। मगर आज मदरसे मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। मदरसों की धार्मिक व सामाजिक पहचान की रक्षा करना देश के दिए हुए संविधानिक अधिकार के अनुसार हमारा कर्तव्य है। हम राज्य व केन्द्र सरकार से अपील करते हैं कि मदरसों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराए जाएं ताकि अल्पसंख्यों में गरीब बच्चे शिक्षा से वंचित न हो। व मदरसों के धार्मिक व सामाजिक अधिकारों में हस्तक्षेप न किया जाए।

वक्फ की सम्पतियां खुदा के नाम पर दान दी हुई होती है। संपतियों के विकास व रक्षा के लिए बनाया गया केन्द्रीय वक्फ एक्ट सक्षम हैं उसमें परिवर्तन की कोई आवश्यकता नहीं। केन्द्रीय सरकार द्वारा लाया गया वक्फ संशोधित बिल की आवश्यकता नहीं है। इस संशोधित बिल में लाए गए नियम हमारी धार्मिक व सामाजिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करते हैं जिसे हम सिरे से नकारते हुए इस बिल को वापस लेने का प्रस्ताव पारित करते हैं।

इस अवसर पर मोहम्मद सईद नूरी संस्थापक रज़ा एकेडमी मुम्बई, मुफ्ती अब्दुल सत्तार मुफ्ती ए शहर जयपुर, मौलाना मोहम्मद अब्बास रज़वी मुम्बई, मौलाना कारी अहतराम आलम, मौलाना सय्यद मोहम्मद कादरी, मुफ्ती गुफरान रजा, कारी मोईनुद्दीन, कारी वली मोहम्मद, कारी ज़ाहिद हुसैन नूरी उलेमाओं व इमामों ने प्रस्ताव को सर्वसम्मति से समर्थन देकर पारित किया।

ऑइ इण्डिया मीलाद कॉन्सिल के अध्यक्ष मोहम्मद सईद नूरी ने राजस्थान प्रदेश मीलाद कॉन्सिल का सरपरस्त मुफ्ती अब्दुल सत्तार रज़वी को व संयोजक हसीन अहमद को व सहसंयोजक मोहम्मद इमरान कादरी को व संभागीय अध्यक्ष नासिर अहमद अंसारी को बनाया है। (प्रेस विज्ञप्ति)