लेखक : रमेश जोशी
व्यंग्यकार, साहित्यकार एवं लेखक, प्रधान सम्पादक, 'विश्वा', अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति, यू.एस.ए., स्थाई पता : सीकर, (राजस्थान)
ईमेल : joshikavirai@gmail.com, ब्लॉग : jhoothasach.blogspot.com सम्पर्क : 94601 55700
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अक्सर ऐसा होता है कि तोताराम हम से मिलते हुए कभी जयपुर तो कभी दिल्ली जाने के लिए घर से निकलता है लेकिन हमारी ‘मन की बात’ की बात से परेशान होकर उसका इरादा बदल जाता है । आज जैसे ही तोताराम आया, हमने कहा- तोताराम, तुम्हारी चाय रखी है, पी लेना । हम तो दिल्ली के लिए निकल रहे हैं ।
बोला- क्या बात है ? जब मैं कहता हूँ तो कोई न कोई बहाना बना देता है और आज अचानक दिल्ली ! क्या मोदी जी ने किसी विशेष गोपनीय और वैश्विक महत्व के मुद्दे पर तेरी एक्सपर्ट राय लेने के लिए बुलाया है ? सड़क पर उनका विशेष विमान तो खड़ा दिखाई दिया नहीं ।
हमने कहा- अगर बुलाते तो राष्ट्रहित में जाना ही पड़ता । वैसे भले ही मोदी जी अगली ‘’मन की बात’ तक के लिए जनता से विषय आमंत्रित करते हों लेकिन वास्तव में वे न किसी की सुनते हैं, न किसी की मानते हैं । जो करना होता है रात आठ बजे नोटबंदी की घोषणा की तरह चार घंटे के नोटिस पर कर गुजरते हैं ।
बोला- फिर क्यों जा रहा है? सुना है दिल्ली में बहुत प्रदूषण बढ़ हुआ है। जो दिल्ली में हैं वे खुद शुद्ध हवा के लिए पहाड़ों में जा रहे हैं । यही हाल रहा तो हो सकता है दिल्ली की जनसंख्या आधी से भी कम रह जाए।
हमने कहा- समझ ले दिल्ली में प्रदूषण बढ़ रहा है और दिल्ली वाले दिल्ली छोड़कर जा रहे हैं, यही सोचकर दिल्ली जा रहे हैं। हालाँकि हम 1985 से 2001 तक दिल्ली में रहे। हमारे अधिकतर साथियों ने आते ही दिल्ली में कहीं न कहीं 100-50 गज का प्लाट खरीद लिया और अब भी पता नहीं किस मंत्री पद की आस में दिल्ली से चिपके हुए हैं लेकिन हमने दिल्ली तो क्या, कहीं भी कोई प्लाट नहीं खरीदा। और तो और प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ भी नहीं उठाया । अरे जब लोमश ऋषि जिनका एक ब्रह्मा के जीवन की समाप्ति के बाद एक रोम (लोम ) गिरता था, ने ही कोई घर नहीं बनाया हम क्या बनाते।
बोला- तो फिर अब अंतकाल में कबीर की तरह सीकर रूपी काशी छोड़कर क्यों दिल्ली रूपी मगहर जा रहा है?
हमने कहा- जब दिल्ली खाली ही हो रही है तो प्रदूषण वैसे ही कम हो जाएगा। सोचते हैं कहीं राष्ट्रपति भवन और मोदी जी वाले लोककल्याण मार्ग के आसपास दो चार बीघा जमीन खरीदकर कुछ सेंट्रल विष्ठा जैसा कोई छोटा-मोटा आवास बनवा लें।
बोला- मास्टर, आज तो मोदी जी से भी लंबी फेंक दी।
हमने कहा- दिल्ली कई बार उजड़ी और बसी है। आज उसके उजड़ने का नंबर है तो वहाँ जमीन खरीदना संभव है।
बोला- दिल्ली पहले भी दौलताबाद गई थी लेकिन लौट आई ।
हमने कहा- लेकिन मोदी जी पक्के इरादे वाले हैं वे अगर दौलताबाद गए भी तो फिर मोहम्मद तुगलक की तरह लौट कर नहीं आएँगे भले ही कुछ भी हो जाए ।
बोला- मोदी जी दौलताबाद क्यों जाएँगे ? यहाँ दिल्ली में ही औरंगजेब रोड का नाम अब्दुल कलाम रोड और सराय काले खां को भगवान बिरसा मुंडा चौक में बदलने जैसे फालतू काम करने पड़ रहे हैं तो दौलताबाद में तो जाने गुलामी की कैसी कैसी निशानियाँ होंगी। तुगलकाबाद के नजदीक ही घृषणेश्वर ज्योतिर्लिंग है। जाएँगे तो वहाँ जाएँगे। प्रदूषण से भी उक्ति और शिव की ध्यान समाधि। एक पंथ दो काज।
हमने कहा- हमारा खयाल है कि वे अपनी दीक्षा भूमि नागपुर जाएँगे लेकिन अभी तो ‘अमृतकाल’ के 25 स्वर्णिम वर्ष शुरू हुए हैं। 2047 का एजेंडा भी तो पूरा करना है।
बोला- यह भी तो हो सकता है कि वे सितंबर 2025 में अपने 75 वर्ष (निर्देशक मण्डल में प्रवेश की आयु) और संघ की शताब्दी के उपलक्ष्य में मास्टर स्ट्रोक ही लगा दें। वही झोला उठा कर सन्यास लेने वाला। सनातन की भी तो यही परंपरा रही है।
हमने कहा- वे कोई न कोई मास्टर स्ट्रोक लगाएँगे जरूर । मोदी जी 56 इंची छाती वाले ‘सिंह’ है जिसके लिए कहा गया है-
लीक लीक गाड़ी चले, लीकन चले कपूत।
इतने लीक न चालसी, सायर, सिंह, सपूत॥
बोला- लेकिन ‘जाएँगे कहा’ वाला प्रश्न तो अनुत्तरित ही है।
हमने कहा- शायद एक नया लोक बसाएँगे- ‘नरेन्द्रम् संपूर्णम् अमृतम् घटम् विजयम् पुरम् ’ जैसा ही कोई सरल सा, छोटा सा नाम होगा।
(लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)