मां अकेली थी

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विगत गर्मी की छुट्टियों में मेरी बेटी जयपुर से आने वाली थी। दामाद जी बाहर थे तो ससुर जी केब में बैठकर स्टेशन छोड़ने वाले थे लेकिन जैसे ही वे केब में बैठे 5 वर्षीय उसकी बेटी ने अपने दादा को जबरदस्ती कैब से उतार दिया और फिर वह स्टेशन चले गए। ट्रेन में पूरे रास्ते बेटी को डांटती रही। चित्तौड़गढ़ आने के बाद

उसने यह सारा वाकया मुझे बताया तो बच्ची उदास हो गई।

थोड़ी देर बाद अकेले में मैंने उससे पूछा आपने ऐसा क्यों किया बेटा। उसका जवाब सुनकर मैं हैरान रह गई, वह बोली घर पर मां अकेली थी, यानी कि उसकी दादी अकेली थी। मां का अकेला होना उसे ठीक नहीं लग रहा था। बच्चे कितने संवेदनशील होते हैं। छोटी सी मासूम बच्ची इतना सोच सकती है। यह मेरे लिए आश्चर्यजनक अनुभव था।

लेखिका : लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़