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जयपुर। नेट-थियेट कार्यक्रमों की श्रृंखला में राजस्थानी लोकगीत कार्यक्रम में राजस्थान के सुप्रसिद्ध लोक गायक सांवरमल कथक (श्री डूंगरगढ़) और साथी कलाकार खुशी चौहान ने अपनी सुरीली आवाज से राजस्थानी लोकगीतों की ऐसी अविरल धारा प्रवाहित की कि श्रोता सर्द मौसम की फुहारों में लोक संस्कृति में आनंद के हिलोरी लेने लगे।
नेट-थियेट के निर्माता राजेन्द्र शर्मा राजू ने बताया कि कलाकार सांवरमल कथक ने अपने कार्यक्रम की शुरूआत धन म्हारा देश बीकाणा घर की लुगाया म्हारे काम करे छे,चुग लायावे लकड़ी छोणा रे से की। उन्होंने सुप्रसिद्ध लोकगीत पाळ माथे पिपळी कलालण हिंडॊ घाल्यो ए इसके बाद म्हारा साजनीयांरे माने नींद नहीं आवे थारी ओलूड़ी सतावे, घर आओ मारा साजनीयां को बहुत ही मस्ती भरे अंदाज में प्रस्तुत कर लोगों को आनंदित किया । इसके बाद सांवरमल एवं खुशी चौहान ने एक युगल गीत गोरली कर सोलह सिंणगार, चाली पाणी न पणीहार और ओलूडी घणी आवे म्हारी नाजुडी न लोकगीत सुनाया तो लोग मंत्र मुग्ध हो गए।
अंत में कलाकारों ने बहुत ही प्रसिद्ध लोकगीत म्हारो रंग रंगीलो राजस्थान, सोना री धरती, जठ चांदी रो आसमान, रंग रंगीला रस भरयो, म्हारो प्यारो राजस्थान को बड़े ही मनोयोग से गाकर राजस्थान की लोक संस्कृति को समृद्ध बना दिया।
इनके साथ तबले पर धीरज कथक ने अपनी संगत से इस संध्या को खुशनुमा बना कर दर्शकों की तालियां बटोरी। खुशखरीद के देवेंद्र सिंधवी की ओर से कलाकारों को स्मृति चिन्ह प्रदान किए गए। संयोजक नवल डांगी, कैमरा मनोज स्वामी,संगीत रेनू सनाढ्य, मंच सज्जा अंकित शर्मा नोनू एवं जीवितेश शर्मा की रही।