फर्जी डिग्रियों का जाल

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शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता की बात करना ही बेमानी है। यहां तक की प्राथमिक स्तर से लेकर माध्यमिक, उच्च माध्यमिक विद्यालय एवं उच्च शिक्षण संस्थानों में भी शिक्षकों की कमी है। हजारों पद खाली पड़े हैं। वास्तव में शिक्षा की कमान उन व्यक्तियों के हाथ में है जिनको सिर्फ रिश्वत से मतलब है। चाहे युवाओं का भविष्य खराब हो जाए इससे इनको कोई फर्क नहीं पड़ता। आए दिन पेपर लीक होने के मामले सामने आते हैं और परीक्षाएं रद्द करने के कारण प्रतिभावान छात्रों का नुकसान होता है। कोई युवा जब अधिकारी बनना चाहता है तो उसके लिए मेहनत करनी पड़ती है लेकिन जब बिना मेहनत के डिग्री मिल जाती है तो आगे जाकर वह देश के लिए क्या करेगा और कैसे करेगा? 

लेखिका : लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़ (राजस्थान)।