भारत में एक परिवार नाम की संस्था है, जिसकी मुख्य पात्र नारी है। उसी के आसपास पूरा परिवार घूमता है। ईश्वर को जब अपनी सृष्टि को संभालना भारी पड़ गया तो उसने नारी को बनायाऔर सृष्टि संचालन का कार्यभार नारी को सौंप दिया।
जहां आदिकाल से भारत में नारी का देवी का स्थान दिया गया, लेकिन नारी को हर युग में प्रताड़ित किया गया। कभी सीता को कलंकित किया, कभी द्रौपदी का चीर हरण हुआ और गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या को श्राप देकर पत्थर बना दिया गया।
धीरे-धीरे हम आदिम युग से निकले नारी सशक्तिकरण का दावा किया जा रहा है। हर क्षेत्र में आसमान से जमीन तक नारी का वर्चस्व है। राजनीति में उच्च पदों पर महिलाएं विराजमान है। पर यह कैसी विडंबना है कि हमारे देश व समाज में नारी की आबरू, आत्म सम्मान तो आज भी सुरक्षित नहीं है। हमारा समाज सभ्य होता गया, पर नारी को प्रताड़ित करने में पुरुषों की मानसिकता नहीं बदली।
लेखिका : लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़, (राजस्थान)।