सोशल मीडिया इंसान के मानसिक विकार व अकेलेपन को बढ़ा रहा है। सोशल मीडिया ऐसा प्लेटफॉर्म है जिस पर इंसान अपनी मनपसंद व प्रिय सामग्री को देख सकता है। लेकिन यह एक भ्रम है। इंसान अपनी मानसिक एकाग्रता स्थिर नहीं रख पा रहा है। स्क्रीन से निकल कर हमें सच्चाई को स्वीकार करना होगा। लगातार स्क्रीन देखने से दिल दिमाग व मस्तिष्क पर हानिकारक प्रभाव डालता है। साइबर क्राइम का नेटवर्क इतना मजबूत है कि सार्वजनिक और निजी संस्थाओं को भी हैक कर लिया जाता है।
सबसे बड़ा खतरा यह है कि इंसान समाज व सच्चाई से भी दूर हो रहा है। एआई यानी किआर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीकी इन मुश्किलों को और बढ़ाएगी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंसान के सोचने समझने व बौद्धिकता को भी धीरे-धीरे खत्म कर देगी। यह एक ऐसी तकनीक है जिसमें सब कुछ उपलब्ध है। इंसान जो चाहे वह सामग्री तैयार उपलब्ध हो जाएगी, उसमें बुद्धि का प्रयोग नहीं करना पड़ेगा। धीरे-धीरे यह हमें यथार्थ से भी दूर कर देगी। हमारी बौद्धिकता वह सोचने समझने की क्षमता कम होती जाएगी। सोशल मीडिया, एआई तकनीक के खतरे से सावधान रहे।
लेखिका : लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़ (राजस्थान)।