वरिष्ठ नाट्य निर्देशक नरेन्द्र सिंह बबल के निर्देशन में नाटक मुक्ति का मंचन

चन्द्र शेखर चन्द्रेश की रिपोर्ट

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जयपुर। कला,साहित्य संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के सहयोग से नरेन्द्र सिंह बबल के निर्देशन में इंडियन थियेटर सोसायटी के बैनर पर रवीन्द्र मंच के मिनी थियेटर में नाटक मुक्ति का नववर्ष की पूर्व सन्ध्या पर मंचन हुआ।

कैलाश सोनी द्वारा लिखित भावनात्मक प्रधान नाटक मुक्ति में दर्शाया गया कि इंसान जब बूढा हो जाता है तो घर के टेलीफोन की घण्टी भी कम बजने लगती है.. उम्र के साथ-साथ तमाम रिश्ते भी बूढ़े हो जाते है। नाटक मुक्ति वृद्ध-माता पिता की लाचारगी पर आधारित है जो अपने बेटे के घर लौटने की प्रतीक्षा वर्षों से कर रहे होते हैं। बेटे के लिए तड़पती माँ बीमारी से जूझ रही है जिसकी सेवा में वृद्ध पिता लगे हैं। अहसास और लगाव की परिकाष्ठा को दर्शाता वृद्ध पिता का संवाद ," उसका खाँसना ही मेरे लिए अहसास है उसके होने का मेरे साथ , मेरे पास।"  सम्प्रेषण की भाषा कुछ भी हो सकती है परन्तु उसमें मुख्य होती हैं भावनाएं और खांसी भी सम्प्रेषण का एक माध्यम हो सकती है नाटक में यह भावनाओं को अभिव्यक्त करने में स्पष्ट परिलक्षित होती है।

आज समाज में बच्चों द्वारा उपेक्षित माता-पिता की पीड़ा को नाटक मुक्ति मार्मिक रूप से प्रस्तुत करता है तो वहीं यह प्रश्न भी उजागर करता है कि बच्चों का भविष्य बनाने की कशमकश में  माता-पिता अपनी महत्वाकांक्षाओं को बच्चों पर थोपते चले जाते है! जिस कारण बच्चों की मौलिक प्रतिभा का हनन होता चला जाता है। वहीं बच्चे इसे अपना दमन समझने लगे जाते है। जिस बजह से बच्चे अपने पेरेंट्स से दूरियां बनाने लग जाते है। अब ऐसे में प्रश्न ये उठता है कि क्या बच्चों का भविष्य बनाने वाले माता-पिता गलत हैं या फिर वो बच्चे जो अपने बचपन को अपने माता-पिता की महत्वाकांक्षाओं की भेंट होता देख उन से दूरियां बना लेते हैं। 

इन्हीं भावनाओं से ओतप्रोत नाटक मुक्ति में ऐसे ही सवालों का बोध कराया गया है। जिन पर समाज को चिन्तन करने की आवश्यकता है। नाटक में नरेन्द्र सिंह बबल एवं गौरव त्रिपाठी मुख्य भूमिकाओं में नज़र आये। जिनके दमदार अभिनय से दर्शकों की आँखे नम हो गई। नाटक में प्रीत (राहुल) व शबनम खान ने माँ की भूमिका को वाचिक अभिनय में प्रस्तुत किया तो वहीं विकास सैनी के संगीत संयोजन ने नाटक को प्रभावी बना दिया। अन्य कलाकारों में हिमांशु झांकल ,दीक्षित साहु, उमेश गुर्जर,सोनू शर्मा, दीपक वर्मा, सुमित चेची, अंशुल सैनी, विजय गुर्जर इत्यादि ने नेपथ्य का कार्यभार संभाला।