नव वर्ष की मंगल कामनाओं के साथ
लेखिका : ममता सिंह
कानपुर (उत्तर प्रदेश)
www.daylife.page
खामोशियों की दीवार गिराना भी जरूरी है
मोहब्बत हैं तो बताना भी जरूरी हैं
लंबा है सफर तो तैयारियां जरूरी हैं
बिगड़ने लगे जब बात तो खामोशियां जरूरी हैं
जब सोच के साथ साथ कोशिशें पूरी हैं
तो कौन कह सकता है मंजिलों में दूरी है
जब हौसले बुलंद तो क्या मजबूरी है।